Saturday, November 14, 2009

मालपोतमे कर्मचारी मालामाल, के करत कारवाही ?



मनोज झा मुक्ति
देश पूर्णतया भ्रष्‍टाचारक दलदलमे जकड़ागेल अछि । नेपालकलेल भ्रष्‍टाचार कोनो नयाँ बात नहिं अछि, मुदा जन आन्‍दोलन दूक बाद देशमे भ्रष्‍टाचारक बाढ़िए जकाँ आबिगेल अछि । भ्रष्‍टाचारक एहि बाढ़िमे कर्मचारीसब मालामाल भऽ रहल अछि । ओना व्‍यापारी, पत्रकार, नेता आ देशक प्रायः निकाय एहि सँ अछुत नहिं रहल अछि, जेकरा जतऽ भेटैत अछि ओतहि लुटऽमे लागल अछि । भ्रष्‍टाचारक एहि बाढ़िमे बहुत मुश्‍किलसँ एकाध गोटे इमान्‍दार मनुख्‍ख भेटत, जकरा आजुक भ्रष्‍टाचारक माहौलमे बुड़िबकके संज्ञा भेटैत अछि

मधेश आन्‍दोलनकबाद मधेशमे जौं सभसँ बेसी फाइदा भेटल अछि त मधेशी कर्मचारीके । मधेशीक नामपर ओसब ब्रम्‍हलुट मचौने अछि । मधेश आन्‍दोलन आ तकराबादसँ दिनदुगुन्‍ना आ राति चौगुन्‍नाक हिंसावसँ खुजल शसस्‍त्र समूहक डरसँ मधेशक कार्यालयमे रहल अधिकांश पहाड़ी मूलक कर्मचारी अपन अपन सरुवा कराबिलेलक आ मधेशक कार्यालय सबमे स्‍थानिय मधेशी मूलक कर्मचारीके भ्रष्‍टाचारक नदि समुद्रमे परिणत भऽगेल । मधेशक कार्यालय सबहक हालति एतेक नाजुक भऽगेल अछि कि कर्मचारी खुलेआम घुस माँगिरहल अछि आ केओ किछु कहऽ नहि सकैया । कोनो जनता जौं किछु कहओ त कोनो ने कोनो दलक नेता आ ओहि कर्मचारीक अपन जातिपातिक लोक लाठी उठालैत अछि, जे भ्रष्‍टाचारक खेतीमे मलजलक काज कऽ रहल अछि । किछु जनता त घुस द कऽ आओर एकरा बढावा दऽ रहल अछि जल्‍दी जल्‍दी काज करेबाकलेल/अनैतिक काज करेबाकलेल, त अधिकांश जनता घुस देबाकलेल बाध्‍य भऽगेल अछि ।

भ्रष्‍टाचार कतेक चरम सीमापर पहुँच गेल अछि आ कोना खुलेआम भऽ रहल अछि तकर एकगोट उदाहरण महोत्तरी जिल्‍लाक जलेश्‍वर स्‍थित मालपोत कार्यालयक रवैयासँ देखल जाऽसकैय ।

मधेशमे रहल महोत्तरी जिल्‍लाक मालपोत कार्यालय सेहो मधेश आन्‍दोलनकवाद मधेशी कर्मचारीद्वारा खुलेआम लुटारहल अछि । मधेश आन्‍दोलन पश्‍चात महोत्तरीक मालपोत कार्यालय कामचलाउ रुपमे एकटा सुव्‍बाके सहारे चलि रहल अछि, ओहिना जेना राम भरोसे हिन्‍दू होटल । अखन महोत्तरी मालपोतक हाकिम बनल छथि मधेशीक नामपर मधेशीके लुटनिहार, कानूनी ज्ञानसँ अनभिज्ञ, कहुनाक सुव्‍बा बनल लाल देव राय । जे जनता पाइ नहि दैत अछि तकरा एतेक ने नियम कानून देखवऽ लगैत छथिन्‍ह जे जनता परेशान भऽजाइत अछि । कहबी जे छैक बन्‍दूक पकड़ा देलापर हवल्‍दार बनि जाइत छै सैह बातक प्रत्‍यक्ष उदाहरण बनल छथि लाल देव राय । मधेशीक नामपर हाकिम बनल कानूनक अक्षर नईं जनने आ पैघ कानुञ्‍चीके दावा कएनिहार लाल देव रायके कानूनी सल्‍लाहकार बनल अछि महोत्तरी मालपोतक खरिदार.......।

महोत्तरी जिल्‍ला मालपोतमे घुसक वर्णन करैत गा.वि.स. हाथीलेटके युवा पिताम्‍वर महतो कहलनि,‘हम काज कराबऽ मालपोतमे गेलहु त काज एकदिनमे नहिं भेल । दोसर दिन जहन ११/१२ बजे गेलहुँ त काज भेलाकवाद कार्यालयक खरिदार पदमे कार्यरत कर्मचारी सुशील ठाकुर भोरे भेलाक नाते नीकेसँ बोहनी करेबाक लेल कहलथि । एक्‍कहिटा सुशिल ठाकुर नहिं प्राय ः सब कर्मचारिक इहे रबैया ओतऽ देखवामे आओत ।

पंक्‍तिकार स्‍वयं एकटा काज लऽ कऽ एभिन्‍यूज महोत्तरी सम्‍वाददाता कमलेश मण्‍डलक संग महोत्तरीक मालपोतमे पहुँचल छल, एकटा कागज लेवाक छल हमरा सबके । जहन कागज भेटिगेल त ओतहिके कर्मचारी तेजनारायण झा अखनधरि बोहनी नहि भेल बात कहैत पाई मांगि बैसलाह । एतवे नहिं प्रायः सब टेबुलपर बिना बोहनी आ दक्षिणा देने कोनहुँ काज नहिं भऽ सकैय । कर्मचारीसब एनाकऽ पाइ मंगैत अछि जेना हूनक बाबु/बाबा पूँजी फँसाबिकऽ कोनो व्‍यापार/व्‍यवसाय कऽदेने होय । किछु कर्मचारी त हे एतवा कममे घाटा लागि जेतैक सन बात कहऽमे सेहो पाछा नई हटैत अछि । ई सऽब किछु जनितो सरकारी संयन्‍त्र मौन अछि, किया त ओहो भ्रष्‍टाचारमे लिप्‍त अछि ।

जखन एहि घुसक सन्‍दर्भमे कार्यालयक प्रमुख बनल सुव्‍वा लाल देव राय सँ पुछलगेल त ओ कहलथि ई घुसक बात सर्वथा मिथ्‍या अछि, अखनधरि केओ सिकायत नहिं केलक अछि । हम अपने सँ भरिदिनमे २ बेर निचा सँ उपर अनुगमन करैत छी । जौं घुस लैत देखि लेलियैक त हम अवश्‍य कारवाही करबैक । हूनका जहन हमसब अपनासबसँ माँगल बात कहलियैन त कहलथि,‘आहाँके तखने ने कहबाक चाही, अखन किया कहैत छी ।

जलेश्‍वर स्‍थित महोत्तरी मालपोतक प्राँगणमे एकगोट पागलसन भेषमे टहलैत मनुख्‍खके देखवैत एकगोट लेखनदास नामनई लिखवाक शर्तपर कहलथि जे काल्‍हि सातबजे रातिमे एहि पागलके जमिन हाकिमके पाइ खुवाबिकऽ दोसरगोटे अपना नामपर लिखबा लेलकैक । ओ ई कहलथि जे लाल देव जी ठीके कहलथि जे हम २ बेर अपने नीचा उपर जाकऽ निरीक्षण करैत छी । ओ दूइए बेर नहि ५/७ वेर नीचा सँ उपर सभ रुममे चक्‍कर लगवैत रहैत छथि जे साँझमे कोनो कर्मचारी ई नहि कहए जे हमरा आई कमे पाई भेल । ओ ई देखवालेल जाइत रहैत छथि जे ककरा टेवुलपर कतेक पाई झरि रहल अछि । कतौ हमरासँ बेइमानी त नहि भऽ रहल अछि ?

मधेशक कार्यालयसबमे मधेशी कर्मचारीके खुलेआम भ्रष्‍टाचार रोकबाकलेल केओ तैयार नहि अछि । जे एक/दू गोटा एकर विरोध करैत अछि तकर काज नहिं भऽ सकैय । कानून निरीह बनल अछि, जौं आक्रोशित किछु युवा अधैर्य भऽकऽ ओहन कर्मचारीके पिटैत अछि त सम्‍पूर्ण कार्यालयक कर्मचारी लगायत देशव्‍यापी रुपमे कर्मचारी सबहक आन्‍दोलन शुरु भऽ जाइत अछि । कर्मचारी जाहि जातिक अछि ओ जातिक व्‍यक्‍ति/सँघ संस्‍था/नेता ओकरा पक्ष लऽ कऽ बाजब/नारा जुलुश करबाक शुरु कऽ दैत अछि ।

घुसक खेती कतेक बढ़ल अछि एकर अन्‍दाजा एकटा खरिदार/मुखिया/सुव्‍वा सनसन कर्मचारीके आलिशान महल देखिकऽ लगाओल जाऽसकैय । जहन कि मात्र नोकरीक भरोसे इमान्‍दारिताक पाईसँ अपना सम्‍पूर्ण जीवनक कमाईसँ एकटा अधिकृत या फस्‍टक्‍लाश अफिसर नीक दूतल्‍ला घर अपना तलवसँ नहि बनावऽ सकैय । मुदा बाजत के ? आब देखबाक ई अछि जे के नेपाल मायक कोन बेटा आगा बढैत अछि भ्रष्‍टाचार आ भ्रष्‍टाचारीके समाप्‍तीक रास्‍तापर....।


Monday, September 7, 2009

देशक अवस्‍था आ जनताक प्रवृति

— मनोज झा मुक्‍ति

एखनुक परिवेशमे ककरोसँ पुछियौक देशक अवस्‍था केहन अछि ? त, कहता किकहू सभ ठाम भ्रष्‍टाचारे भ्रष्‍टाचार व्‍याप्‍त अछि । देशक नेता भ्रष्‍ट, कर्मचारी तन्‍त्रभ्रष्‍ट, पत्रकारिता जगत भ्रष्‍ट, व्‍यापारी भ्रष्‍ट...आर किदन किदन...सभचीज भ्रष्‍टेभ्रष्‍ट, तहन देशक स्‍थितिके कि कहबैक...। देशक स्‍थिति निश्‍चितरुपेण नीक त नहिंए अछि, मुदा एकर दोषी के ? सभजौं भ्रष्‍टाचारिए अछि त नीक व्‍यक्‍ति केओ नहिं ? आ देशक जनता कि दूधकधोएल अछि ? सबकेँ एकवेर अपना छातीपर हाथ राखिकऽ सोंचहिटा पड़त । आखिरकिया देशक हालति एहि तरहें दिनानुदिन खसकैत जाऽरहल अछि ? देशमें सब तरहक लोक हाएव कोनो आश्‍चर्यक गप्‍प नहिं ।

सबहक कहब ईछन्‍हि जे सभक्षेत्रमे भ्रष्‍टाचारीए लोकक चलाचल्‍ती छैक । अईसँ असहमत बहुतकम्‍मेगोटे हएता । मुदा यहो सत्‍ये छैक जे सत्‍यक बाटपर धिरे—धिरे आगा ससरैतलोक सेहो अई देशमे अछि । हँ, सत्‍यवादी धारमे लागल खाँटी राष्‍ट्रवादी सभकसँख्‍या बहुत कम अछि आ दिनानुदिन ओहि सँख्‍यामे ह्रास होइत जाऽरहल अछि ।तकर कारण कि ? जौं स्‍पष्‍टरुपसँ कहल जाए त दशक एहि परिस्‍थितिक जिम्‍मेवार आन केओनहिं, हमहि आँहाँ छी । हमही आँहाँ देशक नेताके, व्‍यापारी आ कर्मचारीकेँभ्रष्‍टाचारी बनावि रहल छियैक । हम आँहाँ एकटा नेताके भ्रष्‍टाचार करबालेल विवश कऽ दैत छियैक । जौंगाममे एकटा कोनो नेता साइकलपर चढिकऽ अवैत अछि या पैदल अवैत अछि तओकरा देखबाकले कोना जनता नहिं जाइत छियैक ।

एतवे नहिं ओई नेताकेअपना दरबज्‍जापर बैसऽदेवमें सेहो हमसब अपनाआपके हीन महशुस करैत छी । आ हमरे आँहाँक गाममे जौं एकटा नेता महँग गाड़ीमे चढिकऽ अवैत अछि त ओकरापाछा या कहु स्‍वागत करबाकलेल माइए पुते दौड़ैत छियैक, ओकरा अपनादरबज्‍जापर बैसबऽमे हमसब अपनाके गर्वान्‍वित भेल अनुभूति करैत छी । चुनावकसमयमे कतबो सकारात्‍मक सोंंचवला नेता किएक नहिं हुअए ओकरा भोंट देवाकबदलामें हमसब मतपत्रमे अपन जातिक उम्‍मेदवारके चिन्‍हमे मोहर लगवैत छी ।ओतवे नहिं अपन मतक महत्‍वके बुझितो हमसब अपना मतके पाई लऽ कऽ बेचि दैतछियैक जकर कारणसँ जकरालग अपन जातिक जनसँख्‍या वेसी अछि आ वेसी पाई अछिवएह नेता चुनाव जितैत छथि । कि हमर आँहाँक एहि तरहक व्‍यवहार एकटा नेताकेँभ्रष्‍ट बनवाकलेल विवश नहिं करैत छैक ।

जौं जातिक नामपर केओ जितैत अछि तओ अपना जातिक वाहेक आन जनताके वारेमे किया सोंचत ? आ अपना जातिकलेलसेहो किछु नहिं कऽसकैया, कियाक त ओ ई नीक जकाँ बुझने रर्हैत अछि जेअपना जातिकलेल हम काज नहिंयो करब तखनो हमर जाति हमरा भोंट देबेटा करत। आ ओ जे पजेरोबला नेता आ पाईबला नेताक तुलनामें अपनाके निरीहबुझैत अछि, ओहो हमरा आँहाँक सामिप्‍यता पएवाकलेल आ चुनाव जीतवाकलेलपाईएके अपना जीवनक सभसँ पैघ लक्ष्‍य बुझि ‘एनि हाउ, पाई कमाऊ’ के नीतिअवलम्‍वन कऽलैत अछि । आ जखन ओ पाइएक बलपर हमरआँहाँक भोट लेत त कियाहमरा आँहाँक विकासकलेल ओ सोंचताह ?

तहिना देशक कर्मचारिके हमही आँहाँसब अपन काज जल्‍दीसँ जल्‍दी करेबाकलेलया कानूनन नहिंयो होबऽवला काज गैरकानूनन रुपसँ करेबाकलेल घुस देल करैतछियैक आ एहिं तरहें एकटा कर्मचारीकेँ जवरदस्‍ती हमसब भ्रष्‍टारी बना दैत छियैक। ओनो कर्मचारीयो खासकऽ एकटा पुलिसमे जेबाकलेल हाकिम एकलाख टका लेलकरैत छैक, हाकिमके डाइरेक्‍टर बनेवाकलेल मन्‍त्रीद्वारा लाखो रुपैया घूस लेल जाइतछैक । जहन ओ कर्ज पैंच लऽ कऽ बहाल भेल रहैत छैक त कोनो बहन्‍ने कमेबेटाकरतैक । एकटा व्‍यापारीकेँ काला बाज़ारी करबामे सेहो हमसब अपने बहुत बेसीदोषी छी । हमसब बुझितो रहैत छि तइयो ओकर विरोधमे बजबाक हिम्‍मत नईकरैत छियैक ? हमरा आँहाँलेल के बाजि देत ? ककरो लग ओतेक फुरसति नहिंछैक ।

हमसब सबके भ्रष्‍टाचारी त कहैत छियैक, मुदा अपन टेटर नहिं देखैत छी ।सरकार अपन गाम अपने बनाबु कहिकऽ प्रत्‍येक गाममे १५ सँ ३० लाखधरि रुपैयाप्रतिवर्ष देल करैत अछि । गामक विकास कतेक भेल छैक, विशेषकऽ मधेशमे सेककरोसँ छुपल नहिं अछि । सभ पार्टीक प्रतिनिधिसब अपन बपौटी(पैत्रृक) सम्‍पतिबुझि खुलेआम लुटैत अछि आ हम आँहाँ मौन भऽ सबकिछु देखैत रहैछी । जौंकियो व्‍यक्‍ति ओइ काजक विरोध करैत छैक त हमहि आँहा केओ पार्टीक नामपर,केओ जातिक नामपर ओहन भ्रष्‍टाचारीकेा दूधक धोएल बनाऽदैत छियैक ।

ओहनभ्रष्‍टाचारीकलेल पार्टीयोसब अपन प्रतिष्‍ठाधरि दाओपर लगा दैत अछि ओकराबँचवऽमें । एकरा अरिक्‍त जे किछु कोनो गामठाममे जौं छोटछीन विकासक काजहोइत अछि त ओकरा विनाश करबामें हमसब बहादुरी बुझैत छी । अपना घरकअगााक सडकपर राखलगेल ग्राभेलक पाथर अपना घरमे घुसियाबऽमे त हमरा सबकेजोरा सम्‍भवतः कतौ नहिं भेटत । एतेक धरि कि सरकार विद्यालयसबके व्‍यवस्‍थित करबाकलेल अपनेगामक स्‍थानियव्‍यक्‍तिक अनुसारे चलेवाकलेल विद्यालय व्‍यवस्‍थापन समीतिके निर्माण योजना लाबिप्रायः सभ विद्यालयके समुदायमे हस्‍तान्‍तरण केलक, मुदा विद्यालय व्‍यवस्‍थापन समीतिअखन मात्र पाई कमेबाक एकटा स्‍थलक रुपमें परिणत भऽगेल अछि । चाहे विद्यालयमेशिक्षकक रखबामे होय या शिक्षककेँ सरुवामें हुए, विशेष कऽ मधेशक प्रत्‍येकविद्यालय व्‍यवस्‍थापन समीतिसभ एहि तरहक व्‍यापारमें लागिगेल अछि ।

विद्यालयक पढाईकेहन छैक, शिक्षक विद्यालयमें अवैत अछि कि नहिं, विधार्थी अवैत अछि कि नहिंताहिसँ व्‍यवस्‍थापन समीतिके कोनो मतलव नई रहल देखल जाऽरहल अछि । एहि तरहें देशक विकास कोना हायत ? जाधरि हमसब अपने नहिं सुधरब तआन के सुधारत ? जौं हमसभ एकटा सत्‍य बाटपर चलनिहार, देशभकत आ जनताकसमस्‍याके अपन बुझऽबला नेताक बदलामे तामझामबला पँजेरो एनिहार नेताकेनिरुत्‍साही नहिं करब त दिनानुदिन भ्रष्‍टाचारक दलदलमें हमसब धँसैत जाएब । सत्‍यकपक्षधरके मनोबल बढेनाई जरुरी आ सभक कर्तव्‍य भऽगेल अछि । आन कियो कियाहमरा आँहाँक सम्‍बन्‍धमे सोंचि देत ? ताएँ आनके दोष देबासँ पहिने एकवेरहमसभ अपने टेटर देखब कि ?

टेष्‍ट परीक्षा आबऽलागल, मैथिलीक विद्यार्थी पुस्‍तक बिहीन

मनोज झा मुक्ति
शैक्षिक वर्षक अन्‍त होमऽ लागल अछि, किछु दिनकवाद दशम कक्षाक टेष्‍ट परीक्षा सेहो हएत । आन आन विषयक विद्यार्थीक कोर्स अन्‍तो होमऽलागल अछि, मुदा हिलसि कऽ अथवा ककरो दबावसँ मैथिली विषय लेनिहार विद्यार्थी अखनो धरि पुस्‍तक केन्‍द्रक दुवारिपर हाजरी दैत बरोबरि भेटत । कारण जे दशम कक्षाक विधार्थी अखनो धरि नहि देखने अछि— दश किलासक मैथिली पोथी ।

धनुषा जिल्‍लाक लगभग एक दर्जन आ महोत्तरी जिल्‍लाक पर्सा पतैली लगायतक स्‍कूलमे मैथिली विषयक पढाई होइत अछि, मुदा विधार्थी आ शिक्षक दुनुगोटे मैथिलीक पुस्‍तक अखनधरि नई भेटलाकवाद फिरसान अछि । साझा प्रकाशनद्वारा प्रकाशित पुस्‍तक, जनक शिक्षा सामग्री केन्‍द्रद्वारा विधार्थीकलेल उपलब्‍ध कराओल जाइत अछि । जनकपुरधाम स्‍थित विद्यापति चौकपर रहल ‘विद्या पुस्‍तक केन्‍द्र’क विक्रेता कलानन्‍द झा कहलनि, ‘साझा प्रकाशनकेँ वेरवेर तगेदा कएलाकवादो मैथिलीक पुस्‍तक उपलब्‍ध नहि कराओल गेल’ ।

दुखक गप्‍प त ई अछि जे ताहिकालमे मैथिली विषयक पाठ्य पुस्‍तकक आभाव देखल गेल अछि, जाहिकालमे साझा प्रकाशनक अध्‍यक्ष छथि— मैथिलीक पैघ साहित्‍यकार/पत्रकार/कवि/फोरमक नेता/बहुतरास मैथिली संघ—संस्‍थाक अगुवा व्‍यक्‍तित्‍व श्री राम भरोस कापड़ि ‘भ्रमर’ । अपनाके मैथिलीक योद्धा आ साझा प्रकाशनक पहिल मैथिल/मधेशी चेयरमैन कहबामे गर्व कएनिहार कापड़िके पदपर पहुँचलाक वादो मैथिली पोथी नहि भेटव सर्वत्र आलोचनाक विषय बनल अछि ।
मैथिली विषयक पुस्‍तकक अभाव हएव, मैथिली भाषा आन्‍दोलनक व्‍यापकतामें सऽभसँ पैघ रोकावटकरुपमें देखाऽरहल अछि । मैथिलीक पाठ्य पुस्‍तकक सहज उपलब्‍धता जाधरि नई हएत ताधरि विद्यालयक शिक्षामें मैथिलीक पढाई मात्र भाषण धरि सीमित रहत । गणतन्‍त्र प्राप्‍तिकबाद मैथिलीकेा भजा कऽ भलेहिं कतेको मैथिल वरिष्‍ठ पदपर चलिगेल होथि, मुदा धरातलिय यथार्थ इएह अछि जे मैथिली काल्‍हियो पाछा छल आ एखनो सिसैकते अछि ।

Sunday, July 5, 2009

कि अछि ई चारि वर्ण आ छत्तिस जातिक फूलवारी ?


ध्रुव महतो

नेपालमे शाहवंशीय राजतन्त्रक आरम्भ पृथ्वीनारायण शाहसँ भेल अछि वएह नेपालके एकिकरण कएने रहथि, ताहिसँ हूनका राष्ट« निर्माता सेहो कहल जाइत छन्हि राष्ट« कहलासँ जनतेके बुझल जाइत छैक ताहिसँ नेपालीजनताके एकिकरण केनाइए नेपालक एकिकरण केनाइ अछि प्रश्न स्वभाविक अछि कि कोन आधारमे, केना नेपालक एकिकरण केलथि ?

वास्तवमे पृथ्वीनारायण शाह बाहुवली रहथि जे अपन बाहुवलक आधारमे नेपाली जनताके एकिकरण कऽ नेपालराष्ट«केँ एकिकरण कएने रहथि एकिकरणकबाद अपनाके ताई राज्यक राजा घोषित कएलथि अपनाद्वाराकहलगेल हरेक बातके कानून जकाँ मानवाक मनेवाकलेल सऽभके बाध्य कएलथि, विवशता वस सबके मानहिंपड़लनि आखिरमे एकटा विवश मनुष्य कइये कि सकैय ? आब शासन करबाकलेल एकटा शासन प्रणलीकआवश्यकता होएब स्वभाविके छल एहि सन्दर्भमें विचार केलनि कि जौं मनुष्य विभेद रहित भऽजाएत बाहुवलक आधारमें शासन करब कठीन होबऽसकैय, किया अखन बन्दुकक डरसँ सबकियो हमर आदेश मानत, मुदा आगामी दिनमें प्रजासब अपन वास्तविक अस्तित्वकेँ बुझलाकबाद एकजुट भऽजाएत तखन बन्दूकक बलपरशासन चलाएब कठीन भऽ सकैय

अन्तोगत्वा निर्णय केलथि कि जनताके विभेद रहित बनेनाई मूर्खता अछि, वरु छिन्नभिन्न कऽरखलाकबादे हमर बाहुवलक शासनक समय किछुए दिनकलेलपशुपतिनाथ कृपासँ टिकाऊ रहत एहि भयककारणसँ हमसब नेपालीक एकताक प्रतीक ओहि शाहवंशी राजसब कहल करैत छल जेपशुपतिनाथले हामीसबैको कल्याण गरुन् ताहिसँडिभाइड एण्ड रुलअर्थातफूटाउ राज करुके राजनीतिक प्रणली नेपालीजनताक उपर थोपव स्वभाविके छल ताही मनसायसँ प्रजाके सम्बोधन करैत कहलनि किहाम्रो नेपाल चारवर्ण छत्तीस जातको फुलवारी होमुदा ताहि समयक नागरिकसब एहि वाक्यक रहस्य बुझऽनईसकलाक बादोसुनिकऽ सब प्रसन्न भऽगेलथि अखन सेहो प्रायः नेपालीसब एकर अर्थ बिनु बुझने प्रसन्न भेल करैत छथि

भुजवल विश्व वस करि राखेसि कोउ स्वतन्त्र

मण्डलीक मनि रावण राज करइ निज मन्त्र ।।

रावण त्रmोध अनल निज स्वांश समिर प्रचण्ड

जरत विभिषण राखेउ दिन्हेउ राज अखण्ड ।।


पृथ्विीनारायण शाहसँ पूर्व, प्राचीन कालमे महाराजा मनु व्यवस्था केलनिकिछु लोकके पढाइलिखाइ नियम बनेबाक काजमे नियुक्त केलथि, जकरा ब्राम्हण कहलगेल, किछुके हातहथियार संचालन सुरक्षाकरबाक जिम्मेवारी देलनि जकरा क्षत्रिय कहलगेल किछुके धनसम्पति संग्रह खाद्य पदार्थक आपुर्तिकरवाक काजमे लगाओलगेल जकरा वैश्य कहलगेल एहि सबहक सेवामे नियुक्त काएलगेल लोकसबके शुद्रकसंज्ञा देलगेल

अतः मनुष्यमनुष्यक बीचमे भयंकर घृणाक भावना फैलयबाक काज पृथ्वीनारायण शाहसँ सेहो पूर्वहिं कालसँस्मृतिसब करैत आएल छल एवं पृथ्वीनारायण शाहक कार्यकालमे जाति प्रथाक जड़ि नीकजकाँ पसरिगेल छल वास्तवमे जन्ममे आधारित जातिप्रथा स्मृतिएसबहक देन होइतहुँचारि वर्ण छत्तीस जातिक फुलवारी नेपालकहिकऽ पृथ्वीनारायण शाह हूनक वंशजसब एकरा अनुशरण करैत जाति प्रथाके मजबुती दैत आएल अछि

सऽभ स्मृतिसब महाभारत कालकबादे लिखलगेलाक कारणें जन्ममें आधारित जातिप्रथाक उत्थान सेहो महाभारतकालक बादे भेल मानल जाऽसकैय ताई स्मृतिसबमें मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति पराशर स्मृति समाजमेबेसी प्रचलीत अछि इतिहासक विद्वानसब कहैत अछि कि महाभारत कालसँ अखनधरि ने कोनो मनु नामक राजाभेल, गौतमबुद्धक वाद याज्ञवल्क्य नामक रिषी

मौर्यवंशक अन्तिम सम्राट वृहद्रथक मृत्युवाद हूनक ब्राम्हण सेनापति पुष्यमित्र शूंगक शासन कालक उदय भेल पुष्यमित्र शुंग, भगवान बुद्धक सिद्धान्त सबकेँ खण्डन करैत जन्मेसँ निर्धारित ब्राम्हणसबहक पूज्यतामे आधारितचार्तुवण्र्य व्यवस्थाके स्थापित कएलथि धर्मशास्त्रक नामसँ स्मृतिसब ताहि समयमे प्रतिष्ठित भेल धर्मक दायित्वआचार्य गुरुसबके ताहि समयसँ देलगेल

पृथ्वीनारायण शाहक कार्यकालमें हूनक चारुकात फैलल घृणस्पद वंशावलीक सूचक लाखोकरोड़ो नामक, व्यवसायसबहक परिचायक छल धर्मक परिचायक नहिं छल ताइ लोकसबके अस्पृश्य घोषित करबाक धर्मकदायित्वलेने धर्माधिकारीसब, न्यायाध्यक्षसब हूनकासबद्वारा प्रदत्त स्मृतिजन्य व्यवस्थासब जाहि अनुसाररहनसहन एवं जीवन यापन करबाक काजकेँ धर्म कहल जाइत छल जकराचारि वर्ण छत्तिस जातिकनेपालकहि पृथ्वीनारायण शाहसँ अखनधरि हूनक वंशजसब सिञ्चित कएलनि राजतन्त्र आब नई अछि, समाप्त भऽगेल अतः हीन भावनाके सूचीत करऽवला आदिवासी, जनजाति, दलीत, चमार, डोम, कोलभील, केवट, कहार इत्यादि....जकर कोनो आधारे नहि अछि, आधारे नई रहल उपाधीसबसँ आइयो सटल रहबाकऔचित्य कि ? बहुत पैघ गल्ती अछि, अभिशाप अछि कियाकि यहि प्रकारसँ सटल रहब राजतन्त्र परिवर्तनभेलाक बादो जातीय पहिचानसबहक आधारमे नेपालीक फेर शोषण होएबाक संभावना अछि अतः हमरासब उपरथोपलगेल एहि जातीय उपाधिसबके त्याग कऽ अपन वास्तविकतासँ जूड़ी, इतिहासक मुख्यधारासँ जुटी

अखन अपना नेपालमे एकटा प्रश्न एकदम ओझराएल अवस्थामें अछि, जाहिसँ सबकियो डेरायल अछि अछि—‘जातिप्रथा चारि जाति छत्तीस वर्णक फूलवारी नेपाल अखन चारि जाति छत्तिस चूर्णमें परिणतभऽगेल अछि जातियताक बात लऽकऽ देश विखण्डन होएबाक खतरा बढि रहल अछि विविध जातजातिसबजातीय राज्यक माँग जोड़दाररुपसँ उठाऽरहल अछि जातीय आरक्षणक माँगसँ नेपाली आकाश गुञ्जयमानभऽरहल अछि प्रमुखरुपमें नेकपा माओवादी जातीवादके उठवैत देखापड़ि रहल अछि आनआन पार्टीसब सेहोअपनाके एहिसँ अछुत नई रखने अछि जातीवादक बात लऽकऽ दँगा सेहो होइत रहल अछि, एकटा मनुष्य दोसरमनुष्यकेँ खुन पिपासु बनल अछि, किया ? किया , प्रकृति सदैव अपनाके सर्वश्रेष्ठ रहल प्रमाणित करैत आएलअछि, एकटा भाई दोसर भाइसँ लड़ैत आएल अछि एहि तरहक जातीगुटबन्दी अज्ञान अविवेकसँ उत्पन्नहोइत अछि

एकरे परिणाम अछि कि सम्पूर्ण नेपाल लालकारी, उज्जरपियर रंगमें बाँटल अछि एक दोसरके दमनकरबाकलेल हातहथियार जम्मा करबाक होड़बाजीमें लागल अछि शीतयुद्धक वातावरण बनल अछि युद्धकहियो जाति जमीनकलेल होइत अछि कहियो व्यवसाय आकृतिक लेल, मुदा युद्ध निश्चित रुपसँ होएबेटाकरैत अछि, होइते रहत एहि युद्धक कारण जातिपाति, उँचनीच, छुवाछुत इत्यादि मनुष्यकेँ अन्तःकरणमेरहल राग द्वेष आदि प्रकृतिजन्य विकार सबहक देन अछि मुदा यहि युद्धके धर्मक सँग कोनो सम्बन्ध नहिअछि

आई चारि वर्ण छत्तीस जातिक चूर्ण नेपालमे जातिवादक नहि अछि ? सब जातीवादी बनिगेल अछि कियाजाति, सम्प्रदाय, भाषा क्षेत्रिय संकिर्णतासबकेँ आधार बनाकऽ चुनावमें टिकट देल जाइत हछि , ताहिजातिक लोकसबके चुनाक प्रचारमे पठाओल जाइत अछि हुनकेसबसँ प्रभावित भऽ हमसब अपन भोट सेहो दैतछी कर्मचारीसबहक नियुत्तिmमें सेहो कि हमसब जातिवादसँ अपरिचित छी ? मुदा मात्र कहलाधरिसँ होबऽवलानहि अछि, अपितु व्यवहारमे लागु करबाक बात अछि

हमसब कहैत छी, मुदा अपना व्यवहारमें लागु नई करैत छी तहन दोष ककरा देवै ? एकरालेल दोषीहमहीआँहाँ छी, जेकरा हमआँहाँ कहियो सरकारक आरक्षण नीतिमे तकैत छी, कहियो जातीय राज्यकनिर्माणमें तकैत छी कहियो एकरालेल धर्मके दोषी कहैत छी ओना धर्म शास्त्रसबमे कोनो एकौटा एहन श्लोकनहिं अछि जे भगवानद्वारा मनुष्यकेँ विभाजन काएलगेल हुए, उँचनीच, छुत या अछुत बनाओलगेल होए जातीवादकलेल दोष व्यवस्थाकारसब सेहो नहि अछि जे अपना समयक समाजक संचालनकलेल जातीवादसँसम्बन्धित कानूनसबके संरचना कएलनि वास्तवमे कहल जाए हमरेआँहाँक दोष अछि जे अखनोजातीवादके मानैत छी

सत्य कि अछि से बेगर जननहीं डिंगँ हँकैत रहैत छी सम्भवतः याह हमरा आँहाँके फोकटिया डिंगँ देखिकऽपृथ्वीनारायण शाह सोंचलथि जे नेपाल चारि वर्ण छत्तिस जातिक फूलवारी अछि, जकरा नामपर शासनकरब उपयुक्त रहत ताएँहेतु अपना समयक ओहि समाजिक व्यवस्थाकारसबकेँ गारि देबऽसँ नीक अपनामे सुधारकरब सबहकलेल उपयोगी भऽ सकैय

कि मधेशक अपेक्षाके पुरा करत ई सरकार ?





मनोज झा मुक्ति

देशमें एकिकृत माओवादीक सरकार हटलाकबाद लोकतान्त्रिक सरकाररुपमें माधव नेपालक अगुवाईमें सरकार निर्माणक प्रकृया शनै : शनै : आगा बढि रहल अछि । ओना सरकार निर्माणक प्रकृया शुरु भेला सेहो महिनासँ उपरे भऽगेल अछि आ दूइयो महिनाक बाद पुरा होएत से कठीने बुझाऽरहल अछि ।
सरकार निर्माणक त्रmममें बहुतो सहयोगी पार्टीसबमें मन्त्री बनवाकलेल अपनेमें दरार पड़िगेल अछि । किछु पार्टी त फुटिएगेल आ किछु फुटक किछेर पर पहुँचगेल अछि । एक्कहिटा पार्टीमें नहिं प्रायः सब पार्टीमें असन्तुष्टि उत्पन्न भऽगेल अछि । आओर जे जेना हुए, जाहि रुपे ‘सीताक श्रापल’ देशकेरुपमें नेपालके लेल जाइत छैक ताहि अनुरुप कोनो आश्चर्यक गप्प नहिं, जाइ तरहक एतुक्का परिवेश छैक, नेतासबहक विवेक छैक, ताहि अवस्थामे ई स्वाभाविके ।

नेपालमें सबसँ बेसी उपेक्षाक शिकार रहल मधेशक आकाँक्षा फेर एकवेर एहि लोकतान्त्रिक सरकारसँ तेजोबद्ध होवऽलागल अछि । आ ई स्वभाविके अछि, कियक त एहि सरकारमें अपनाके ‘मधेशीक पहिचान, सम्मान आ स्वाभिमान’क लेल लड़ऽवला पार्टी कहनिहार ‘तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी’ सेहो सहभागि अछि । ओना मधेशे मुद्दासँ अस्तित्वमे आएल मधेशी जनाधिकार फोरम आ मधेशीक बात कऽ कऽ एखनधरि टिकल सद्भावना पार्टी एहीस पहिलुका सरकारमें संलग्न छल । आ हूनकर सबहक मधेशप्रतिक बोली आ काजक मधेशी जनता समीक्षा कऽ चुकल अछि ।
ताइकेबाद अखन पहिलुका सरकारमें सहभागि नईभेल ‘सत्ता नहीं, प्रभुसत्ता चाहिए’के नारा दैत आविरहल तमलोपा, सरकारमें गेल अछि ते मधेशी जनतासब सरकार दिस होइ नई होइ, तमलोपा दिस टकटक्की लगौने अछि जे मधेशके ‘प्रभुसत्ता’क लेल पार्टी कि करत ? मधेशीवादी दलसबहक काज एवं रवैया देखिकऽ एक तरहें मधेशी जनता पहिनहिंसँ निराश भऽ कऽ बैसल अछि, तइयो क्षणिक काललेल मधेशक आशाक दृष्टि सरकारमें सहभागि तमलोपा दिस लागल अछि । मधेशक क्षणिक आशाक दृष्टिकेँ तमलोपा आ ओकर मन्त्रीसब कतेकधरि तृप्ति प्रदान कऽसकत से तमलोपाकलेल बहुत पैघ चुनौती रहल अछि आ याह एखुनका काज तमलोपाक भविष्य निर्धारण करत ।

तमलोपाक अँशमें तीनटा मन्त्रालयसब भेटल अछि, शिक्षा, उद्योग आ यूवा तथा खेलकुद । आन आन पार्टीक नजरिमें एहि मन्त्रालय सबकेँ महत्व भलेहिँ कम हुए, मुदा तमलोपाक लेल ई बहुत पैघ अवसर भऽ सकैय । ‘नीक अभिनेताक पुरस्कार पएवाकलेल नाटकमें नायकके भूमिका भेटय से कोनो जरुरी नई छैक, नाटकक एक सिनमें मात्र भूमिका रहल पात्र सेहो अपना अभिनयक बलपर उत्कृष्ट अभिनेताक रुपमे पुरस्कृत भऽ सकैय’, एहि बातके तमलोपाके मूलमन्त्रके रुममें लेब पड़तैक । एहि तरहक संस्कारी नेता रहल देशक जम्बो सरकारमें कतेक काज भऽ सकैय, ताइसँ मधेशी जनता अज्ञान नहिं अछि । तमलोपाके कि करब उचीत भऽ सकैय त ?

तमलोपाक भेटल शिक्षा मन्त्रालय मार्फतसँ मधेशमें विश्वविद्यालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रतिष्ठान, विश्वविद्यालय सबहक प्रत्येक तहमे समावेशीकरणक बातके लागु केनाई, शिक्षा नीतिमे सुधार कऽ असल शिक्षा प्रणाली लागु करबाक चुनौती रहल अछि । मधेशकलेल शिक्षा मन्त्रालय अन्तर्गत रहल सिटीभिटी, अनौपचारिक शिक्षा केन्द्र सबसँ नीकजकाँ काज काएल जाऽसकैय । तहिना उद्योग मन्त्रालयक मादे सिमेन्ट फैक्ट«ी सबकेँ गुणस्तर बढेबाक, मधेशमे नयाँ नयाँ उद्योगक स्थापना आ देशमें बन्द रहल उद्योगके पुनः संचालन करब मुख्य चुनौती पूर्ण काज रहल अछि ।

एहि तरहें सब पार्टी आ सरकारक उपेक्षाक सिकार बनल रहल यूवा तथा खेलकूद मन्त्रालयक मादे तमलोपा अपन आ मधेशक काया पलट करऽ सकैय । मधेशक यूवाके परिचालन कऽ देशमें खेलकूदक माहौलके श्रृजना करबाक बहुत पैघ अवसर तमलोपाक हाथमें आएल अछि । मधेश लगाएत देशक विभिन्न ठाममें ग्राउण्डक निर्माण, खेलाडी आ प्रशिक्षकके प्रोत्साहन करैत खेलक माध्यमसँ देशके आगा बढेबाक काज तमलोपा कऽ सकैय । ताइके लेल सबसँ पहिने सब मन्त्रालयमें रहल राजनीति नियुक्तिबला सीटके जते जल्दी हुए खाली कराबिकऽ अपन आ ठोस आदमीके राखबाक पहिल काज करऽ पड़तैनि । फेर अपन आदमी रखबाक नामपर जकरे मोनभेल तकरे राखऽ (कार्यकर्ता भर्ती केन्द्र बनाबऽ)सँ परहेज करैत सम्बन्धित क्षेत्रक विज्ञतापर सेहो ध्यान देवऽ पड़तैनि

सरुवा, बढुवा आ नियुक्ति देवऽसँ बेसी महत्व मधेशक सार्वजनिक काजके देबाक नीतिके आगु लाबऽ पड़तनि । जौं अपन आ नीकलोकके नई राखि मात्र डाक बढाबढ करैत पाइएक बले जथाभावी नियुक्त करैत गेल त तकर परिणाम सेहो भोगवाकलेल तमलोपाके तैयार रहऽ पड़तैनि ।

एहि सरकारमें सहभागिताक तुरत्त बादसँ तमलोपा मधेशक जनताक गिन्तीक मीटरपर चढिगेल अछि । आब देखबाक मात्र ई अछि कि अपन नाम अनुसार जतबे कऽसकी से काज करैत अपन सकारात्मक काजसँ तमलोपा अपन स्थान बनवऽमे सफल रहत या अखनधरिके मधेशकलेल देलगेल भाषण मात्र भाषणे छल से सिद्ध करत ? मधेशक आश बनल रहत या विकल्पक खोजिमें मधेशक आँखि फेरसँ पसरत !

Thursday, June 4, 2009

मल्ल काल आ मैथिली साहित्य



काठमाण्डू उपत्यकामे मल्लकालिन समयमें भेल मैथिली साहित्यिक विकासकें स्वर्णकाल मानल जाइत अछि । मल्लकालिन समयमें मैथिली काठमाण्डू उपत्याक राजकाजक भषाके दर्जा पओने छल । प्रायः सऽभ मल्ल राजा लोकनि मैथिली भषामें साहित्यक रचना कयने छलाह । मैथिली साहित्यमे अपन योगदान देनिहार किछु कवि मल्लराजा आ हूनक कृतिके सन्दर्भमें किछु जानकारी प्रस्तुत अछि ।

१. सिद्धिनरसिंह मल्ल(१६२०—१६५७) ः— हरिहरसिंहक पश्चात ई ललितपुर—पाटनशाखाक सुप्रसिद्ध साहित्यानुरागी राजा भेलाह । ओ शासक रहितहुँ सन्यासी जकाँ धर्मकर्ममें लीन रहैत छलाह । कृष्ण मन्दिरक शिलालेखमे हूनका युधिष्ठिरक समान धर्मात्मा, अर्जुनक समान परात्रmमी आ कर्णक समान दानी कहल गेल अछि । वस्तुतः ओ कोटाहुति यज्ञ कऽ अपन भक्ति—भावकेँ साकार कए देल तँ कृष्णविनायक पदावलीक रचना तथा कार्तिक नाचक प्रवर्तन कए साहित्य आ नृत्यक प्रति अपन सर्जनात्मक प्रतिभा सेहो अभिव्यक्त कएलनि ।ओना सिंहभूपतिक नामसँ प्रख्यात भेल एहि कविकेँ अनुमानहिसँ सिद्धिनरसिंह मल्ल कहलगेल छन्हि । एहिसँ पहिने नरेन्द्रनाथ गुप्त सिंहभूपतिके शिवसिंह अथवा विद्यापतिक उपाधि मानिलेने छलाह, मूदा ओ भ्रामक सिद्ध भेल । सिंहभूपतिक ‘रागतरंगिणी’ आ ‘नानारागगीतम्’ में दू÷दू गोट पद संग्रहित काएलगेल अछि । हिनक एकगोट पद ‘भाषा—गीत संग्रह’ में सेहो भेटैत अछि । हिनक किछु पंत्तिm एहि तरहक अछि ः—

सबहुँ सखि परबोधि कामिनि अनि देल पिय पास ।

जनि बाँधि व्याधञे विपिन सञो मृग तेजय दीघ निसास ।।

बैसलि शयन समीप सुवदनि जतने समुखि न होए ।

भेल मानस बुलय दहो दिस देल मनमथ फोए ।।

२. भूपतीन्द्र मल्ल(१६९५—१७२२) ः— जितामित्र मल्लकबाद भक्तपुरक राज भेल भूपतीन्द्र मल्लक स्थान नेपालक उत्कृष्ट कविगणमें उच्चतम अछि । ई विषेशतः भक्ति विषयक पदक रचना कएलन्हि । शिव, गौरी, हरि ओ शक्तिक अर्चना विषयक हिनक पदसऽभ छन्हि । हिनक पद एक पदावलीमे संकलित अछि, जकर अन्वेषण डा. बागची कएलन्हि । श्रीझबाली अपन ‘नेपाल उपत्यकाको मध्यकालीन इतिहास’ मे १०० मैथिली गीतक हिनक एकटा संग्रहक उल्लेख कएने छथि । हिनक बहुतो पद शिलोत्कीर्ण सेहो उपलब्ध अछि । हिनक किछु पंत्तिm एहि तरहक अछि ः—

पीत वसन कुमित विराज, खगपति आसन विराज

शंख चत्रm गदा पद्म वाहु सहास......

भूपतीन्द्र हरि गुण गाव ।

पदयुग सुन्दर हृदय विहाव ।।

३. जगज्ज्योतिर्मल्ल(शासन १६१३—१६३७) ः— संगीतशास्त्रक बड़का संरक्षकके सँगहि सुकवि रहल जगज्ज्योतिर्मल्लक दरबारमें अनेक मैथिल विद्वानसऽभ आश्रय पवैत छलाह । ‘मुदितकुवलयाशव(१६२८)’,‘हरगौरीविवाह(१६२९)’,‘कुंजविहारनाटक’ आदि हिनक रचना कहल जाइत अछि । तहिना विविध भाव—विषयक पदसंग्रह ‘गीतपंचाशिका’ सेहो उपलब्ध भेल अछि, जाहिमें भक्ति ओ श्रृँगारक अतिरिक्त बृद्धावस्थाक वर्णन, नवरसक वर्णन, विरहावस्थाक वर्णन संगृहीत अछि । हिनक किछु पंत्तिm एहि तरहक अछि ः—

कुसुम साजल सेज परिहर दूर, तोहे बिनु हृदयहोअए तसु झूर

जतन करए तुअ दरसन लाई, अविरल नयन नीर बहि जाई ।

अनुखन तोहर धरए धेयान, लए कुंकुम लिह तनु अनुमान ।

पए परि पुन पुन कर अनुताप, खन हँस खन रुस करए विलाप ।

नृप जगजोतिमल इहो सर गाय, दूति उकुति बुझ आठओ भाव ।

४. जगतप्रकाश मल्ल(शासन १६३७—१६७२) ः— हिनक अनेक मैथिली पद,‘पदसमुच्चय’, नानासंग गीतसंग्रह, ‘गीतपंचक’ अदिमें उपलब्ध अछि, विषयानुत्रmमें जे एहि प्रकारक अछि ः— १. भगवानक दशावतारक पद, २. विष्णुपद एवं ३. सदाशिवक पद । दरबार पुस्तकालयमे हिनक सात गोट नाटक सुरक्षित अछि, जाहि मध्य ओ मैथिली गद्यक बड़ सुललित प्रयोग कएने छथि । ओ नाटक सऽभ अछिः— ‘उषाहरण’, ‘नलीय नाटक(१६७०)’, ‘पारिजातहरण’, ‘प्रभावतीहरण(१६५६)’, ‘मलयगन्धिनी’, ‘मूलशशिदेवोपाख्यान’ एवं ‘मदनचरित’ । वस्तुतः जगतप्रकाश मल्लक समय मैथिली साहित्य—संगीतक उत्कर्ष नेपाल मध्य चरम सीमापर पहुँचि गेल छल आ एहि उत्कर्षमें हुनक महत्वपूर्ण योगदानक एहिसँ अनुमान कएल जाऽसकैया जे मध्ययुगीन इतिहासमे ओ ‘गन्धर्वविद्या—गुरु’ एवं ‘कविन्द्र’ नामे. प्रख्यात भेलाह । हिनक किछु पंत्तिm एहि तरहक अछि ः—

मोह ईसर कयल पितृ वनवास, तुअ पद पंकज मोरा आस ।

तिलक राख रताह तालक यति, बाम दिस नलय धरु मधुर जति

कान कुंडल अहि हाल मुण्डमाल ।

५. प्रताप मल्ल(१६४१—१६७४) ः— नरसिंह मल्लकबाद कान्तिपुरक राजा भेल, कवीन्द्र उपाधिसँ प्रख्यात प्रताप मल्ल पैघ विलासी छलाह । कूचबिहारक राजा वीरनारायणक पुत्री रुपमतिसँ, कर्णटकन्या राजमतीसँ, महुत्तरी राज्याधिपति कीर्तिनारायणक पुत्री लालमती आ अनन्तप्रिया, प्रभावती प्रभृतिसँ काएलगेल हूनक विवाह एकरा प्रमाणित करैत अछि । ओ संस्कृतज्ञ आ भाषाकविक संग—संग संगीत—नृत्य एवं तन्त्रादिक मर्मज्ञ सेहो रहथि । प्रताप मल्लक पदावली राष्ट«ीय अभिलेखालयमे सुरक्षित ‘गीतप्रतापमल्लीयम्’, ‘गीतागोविन्दम् प्रतापमल्लस्य’ आ ‘प्रतापमल्ल विरचित गीतम्’ प्रभृति गीतसंग्रहसबमे उपलब्ध होइत अछि । कान्तिपुरक तुलजाभवानीक मन्दिरमे उत्कीर्ण एकटा शिलालेखमे हिनक देवीवन्दना विषयक नौटा पद उपलब्ध होइत अछि जे उत्तम कवित्व आ प्रांजल भाषा—शैलीक दृष्टिएँ वस्तुतः हिनक ‘कविन्द्र’ उपाधिकेँ सार्थक बनबैत अछि । हिनक किछु पंत्तिm एहि तरहक अछि ः—

हेरह हरषि दूष हरह भवानि । तुअ पद सरण कएल मने जानि ।

मोय अति दीन हीन मति देष । नर करुणा देवि सकल उपेषि ।

कतनय करय सहस अपराध । तैअओ जननि कर वेदन बाध ।

परतापमल्ल कहए कर जोरि । आपद दूर कर करनाट किशोरि ।

६. श्रीनिवास मल्ल(१६५७—१६८५) ः— ललितपुर पाटन शाखाक कवि सिद्धिनरसिंहक बालक निवास मल्ल सेहो सुकवि छलाह आ मिथिलामे हिनक सुप्रसिद्ध प्रमाण ई अछि जे लोचनपर्यन्त अपन ‘रागतरंगिणी’ सन ग्रन्थमे हूनक पद उद्घृत कएलगेल । जगज्ज्योर्ति मल्लक पौत्र जगतप्रकाश मल्लक संग हिनक मैत्री छल से ‘मलय—गन्धिनी’क ‘ शिरिनिवास भूपतिशरण लेल जगतप्रकाश अति ताह सुख देला ।’सँ स्पष्ट होइत अछि । हिनक किछु पंत्तिm एहि तरहक अछि ः—

उपमिअ आनन नीज पंकज ससधर दिवस भलीने ।

भौहँ अनूपम अधर सोहाञोंन, नवपल्लव रुचि जीने ।।

सुन पेअसि की मोर, परल गरुअ अपराधे ।

वह मलयानिल जार कलेवर, न कर मनोरथ बाधे ।।

७. नृपमल्लदेव ः— ई निश्चित रुपमें कहल जाऽसकैय जे नृपमल्लदेव एक गोट प्रतिभाशाली सुकवि रहथि । जकर प्रमाण रुपमें हिनक एकटा विलक्षण पद ‘भाषगीत संग्रह’ आ एकटा ‘नेपाल—तालपत्र विद्यापति—गीत संग्रह’में सेहो उपलब्ध होइत अछि । रातिक चारिम पहरमे नायिकाकेँ विदा करबाक दूतीक वचन सुनि कविक निम्नलिखित उक्ति कतेक सरस आ अर्थ गर्भित अछि जे विशुद्ध मिथिलाभाषाक स्वभाविक शब्द —विन्यासमे श्रुँगारिक सहृदयताक मधुर अभिव्यक्ति कविक काव्यकुशलताक सूचना दैत अछि ः—

मल्लदेव नृप कैतय वचन सुनि तोहेँ दुति दुरमति जाती ।

ऐसनि प्रीति कैसे विघटाबह दुहु दिसँ दोगुन माती ।

८. रणजीत मल्ल(१७२२—१७७१) ः— भूपतीन्द्र मल्लक पश्चात् भक्तपुरक अन्तिम नरपति भेल रणजीत मल्लक समयमे सर्वाधिक संख्यामे नाटकक रचना भेल आ हिनकहि आश्रित भऽ काशीनाथ, धनपति, गणेश प्रभृति कवि —नाटककार साहित्य साधना कएलनि । हिनके पराजित कऽ पृथ्वीनारायण गोर्खा राज्यक विस्तार भक्तपुरधरि केलक ।

नेपालक अधिकाँश पदावली—साहित्य एखनहुँ धरि अप्रकाशिते अछि तेँ सर्वजन सुलभ नहि अछि । तथापि जएह किछु सामग्री अपलब्ध अछि ताही आधारपर एतऽ मल्ल राजा लोकनिक राज्याश्रयमे विकसित प्राचीन काव्य—धाराक रुपरेखा मात्र एतऽ प्रस्तुत अछि आ ताहूसँ मैथिली काव्य—साहित्यक हेतु नेपालमें उपस्थित ओहि स्वर्ण—युगक नीक जकाँ परिचय भेटि जाइत अछि । मुदा ई रुप—रेखा पूर्ण नहि कहल जाऽसकैत अछि ।


स्रोत मैथिली साहित्यक इतिहास

Monday, May 25, 2009

सांस्कृतिक संगम


सांस्कृतिक संगम
सभसं पहिल फ़ोटो देखियौ । वामकात बैसलि व्रती महिला काठमाण्डू रहनिहारि छैथ । हुनक नाम छन्हि ज्योति महर्जन(आब झा) । ओ बरसाइत पूजि रहल छैथ अपन जेठ ननैद अर्चना झा संग ।

मैथिली भाषा, संस्कृति, संस्कारसं दूर काठमाण्डुमे पलल बढल ज्योतिके बरसाइतक बियनि आ बरक पातके महत्व आब निक जका बुझल छन्हि । भलेहि ओ कहियो एहन ककरो करैत नई देखने रहैथ । तें आब घोघ तानिक'हुनका बरसाइत पुजैत देखि ककरो छुबुद्धि लगनाई अस्वभाविक नहि । अन्तरजातीय विवाह कएलाक बाद ज्योती आब मैथिली संस्कृतिसं पुरा तरहसं परिचित भ' गेल छैथ । मिथिलाक संस्कृति एहन अछि जे सभके अपनामे समेटिक' आगु बढैत अछि रहैया ।

पतिक दीर्घायुक कामना
पतिक दीर्घायुक कामना करैत रविदिन मिथिलान्चलक महिला बरसाइत (बट सावित्री) पाबनि पुजलनि। जनकपुरमे भोरेसं राममन्दिरक आगुके बड गाछलग स्त्रीगणक भीड लागल छल । ब्रातालु महिला भोरेसं नदी , पोखरिमे जा क' स्नान क' बरक गाछतर परम्परागत रुपसं पुजा पाठ कएलनि । मिथिलान्चलमे महिला बडड श्रद्धाक संग ई पावनि मनबैत अछि । सावित्री आ सत्यवानक जीवनगाथासं ई व्रत जोडल हएबाक कारणे अहिवातक लेल महत्वपूर्ण मानल गेल अछि । वरको गाछमे जल चढाओल जाइत अछि त नवका बांस आ तारक पंखासं वरके गाछके होंकल जाइत छै । व्रतालु स्त्रीगण एहि दिन प्रात: काल नित्यकर्म क' सासुर आनल कपडा लगा साथी संगीसभ संगे मंगलगीत गबैत वडक गाछके पूजैत अछि । व्रती महिला निष्ठापुर्वक गौरी आ विषहरके पूजा क' अन्त्यमे सत्यसावित्री तथा सत्यवानक कथा सुनैत अछि । एहि व्रतक एàतिहासिक महत्व रहलाक कारणे मिथिलांचलमे ई बहुत महत्व र विशेषता रखैत अछि । मैथिल स्त्रीगण अपन गाम ठामसं कोशो दुर रहितो परम्परागत रुपसं पुजैत छैथ ।

Thursday, May 7, 2009

हमसब कतऽ छी ?

मनोज झा मुक्ति
देश संघीयतामें जाएब प्रायः निश्चित अछि । सब भाषा—भाषी, जातजाति लोकनि अपन—अपन भषा—सँस्कृतिके जागरण करबामें जुटिगेल अछि । ताही अनुरुप मैथिली भाषीसब सेहो जागृत भेल छथि । मुदा ई एहि तरहक जागृति मात्र देखवामें अवैत अछि जे देखावाधरि बुझाऽरहल होए । मिथिला आ मैथिलीक नामपर किछु भेट जाए या राजनीति करैत रही ताइ तरहक काज मात्र भऽरहल अछि ।

ठीक छई, राजनीति केनाई कोनो खराब गप्प नई मुदा जाहि नामपर राजनीति करैत छी तकरा पूर्णरुपेण बिसरि जेनाई कतेक नीक बात । दोसर केलक तकरा मानब नई आ अपनेसँ करब नई, एहि तरहक सोंच सँ बाँचिरहल, अपनाके मात्र मैथिलीक ठिकदारी लेने जँका बात कएनिहारसबके अपन सँस्कार, अपन सँस्कृतिके याद कोना बिसरा जाइत छन्हि ? æहम नई करब त केओ नई करय, हमही मात्र मैथिलीक अभियानी आ दोसर केओ मैथिलीक काज करय त ढोंगी”, ताई तरहक दरिद्र मानसिकताक लोकसबके देखिकऽ एकटा मैथिलीक पुतके दुःख भेनाई स्वभाविक होइत अछि । प्रसँग अछि २०६६ सालक मैथिली दिवस अर्थात जानकी नवमीके ।

कोनहुँ मञ्चपर या कतौ मैथिली आ मिथिलाक काजप्रति अप्पन एकाधिकार मात्र रहल सन—सन मूर्खतापूर्ण सोंच रखनिहारके कि मैथिल आ मिथिलाके आदर्श, सीता बिसरा गेलनि ? जानकी नवमी अर्थात मैथिली दिवसके अवसरपर खास कऽ काठमाण्डूमें देखलगेल उदासीनता कि ई नई प्रष्ट करैत अछि जे ओ भाषण कयनिहारसब कतेक मिथिला आ मैथिलीप्रति सजग छथि ? ओऽत धन्यवाद देवाक चाही काठमाण्डूक शान्तिनगरमें स्थित मैथिल यूवा क्लवबलाकेँ जे अपन स्थापना कालहिँसँ प्र्रत्येक वर्ष जानकी नवमी अर्थात मैथिली दिवस मनवैत आएल अछि ।

ककरो गारि पढनाई या खोदवेद केनाइ सामान्य एवं सरलबात छई, मूदा केनाई ओतवे कठीन । जौं अपने नई कऽ सकैत छी आ कमसकम करऽवलाके सराहना नई करऽ सकैछी तहन आलोचनो त नई करियौ । हँ, कोनो काजक समीक्षा अवस्य होएबाक चाही जाईसँ आगादिनमे परिपक्वता अवैक, किया त कियो पेटेसँ सबकिछु सिखिकऽ नई आएल रहैत छैक ।
ओना हमरा सभमे एकटा अवगुण यहो अछि कि जे कियो भाषण करैत छथि हुनकरबात हमसब एक्कहीवेरमे स्विकार कऽलैत छी । हमसब कहियो ई बुझबाक कोशिश नई करैत छी जे ओ भाषण देनिहार अपना जीवनमे कतेक ताई बातके पालना करैत अछि ? संस्कार, सभ्यता आ सँस्कृतिके भाषण देबहीटा मात्रसँ ककरो नेता या अभियानी मानि ली ? या हुनकर काज एवं हुनकर जीवन पद्धतिके सेहो देखनाई जरुरी छई ? कि देशमें गणतन्त्र एहिलेल मात्र आएल छई जे जकरा जे मन लगै बजैत रहय, लिखैत रहय ? जौं वास्तविकरुपमे हमसब, खासकऽ मैथिल यूवासब ताहि तरहक प्रवृति रहल लोकके खुलेआम, सबहक बीचमें उदाङ्ग नई करबै त एहि तरहक ठग प्रवृति रहल लोकके मनोबल बढैत—बढैत समाज आ देशके मटियामेट होएव निश्चित अछि । æहम ई केने रही, हम ओ केने रही” ई माला मात्र जाप क कऽ अपन बराई अपने करबाक प्रवृतिके अन्त जाऽधरि नई होएत विशेष कऽ मिथिला आ मैथिलीक समृद्धि असम्भव अछि ।

एकर मतलव ई नहिं कि काज कयने लोकके सम्मान नई भेटवाक चाही से, जे कियो मिथिला आ मैथिलीकलेल कनियोटा काज केने छथि ओ सम्मानक पात्र छथि आ जे केओ कोनो छोट या पैघ काज मिथिलाकलेल करताह ओहो सम्मानक पात्र होएताह । æहम जौं कोनो तरहक नीक या खराब काज करब त ओकर सम्मान या दुत्कार हम अपने नई कि इतिहास करतै” ताईबातके मनन कऽ बुझनाइ जरुरी भऽ गेल अछि ।

जानकी या मैथिलीके अपन जननी, अपन प्रेरणाक श्रोत कहैत हमसब नई थकैत छी, मूदा सीता जयन्तिमे जानकीके हमसब बिसरि जाइत छी । जौ वास्तविकरुपमे आहाँ मिथिला आ मैथिलीक हितैषी छी त नयाँ मैथिल पुस्ता जिनका अपन सँस्कृतिके सम्बन्धमे नईं बुझल छन्हि हुनका बुझेवाकलेल, आन—आन समुदायक लोकमे अपन सँस्कृतिक महानता देखयवालेल हमरासबके पहिने अपना सभ्य आ सुसँस्कृत भेनाइ अति आवश्यक अछि । मिथिलाके प्र्रत्येक पावनि—तिहार, दिवस—समरोहके खुलारुपसँ मनावहिटा परत, जौं अपनाके अभियानी या मिथिलाक ठिकदारके दावी करैत छी तहन ।

एकटा सर्वसाधारण मैथिलके अपना राजीएरोटीसँ फुरसति नई छई आ ओसब अपना आपके ठिकदारो रहल दावी नईं करैत छथि । बातेसँ नईं अपन जीवनशैली आ अपन काजसँ देखावऽ परत जे कोन—कोन कारणे मिथिलाके अनदेखी कऽ कोनो सरकार या समुदाय नई जाऽसकैया ।

Monday, April 20, 2009

नेपाल रल्वेक दुरावस्था आ सरकारक कानमे तेल



महेन्द्र कुमार मिश्र

हमरा सब जकाँ भूपरिवेष्ठित मुलुकमे यातायातक चारि प्रणली मध्ये जल मार्गक विकाशकेँ कल्पना तत्काल केनाई सम्भव नहि । वायुमार्ग अति महग यातायातक साधन भेलाक कारणे आम नेपाली जनता, सर्वसाधारणकलेल सम्भव नहि अछि । सडक मार्ग आशा अनुरुप्नहियो होइत बहुतहद धरि निर्माणक पूर्वाधार तैयार करबाक चेष्टा अवश्य कऽलेलगेल अछि । अूदा विडम्वना केहन, विश्वक सबसँ सस्त, आरामदामयी, सुरक्षित एवं लोकप्रिय यातायात रेल्वेसेवा प्रणाली नेपालसँ विस्थापित होयबाक अवस्थामे अछि ।
इन्टरनेट एवं कम्प्युटरक युगमे जनसँख्याक वृद्धि भऽरहल अवस्थामे एकठामसँ दोसर ठाम शीघ्रातिशिघ्र पहँुचवाक आतुरता, ताहिक लेल रेलसेवा सनक आरामदायी आ सुरक्षित आधुनिक प्राविधिक सुसम्पन्न रेल मार्ग उपेक्षित एवं लावारीश अवस्थामे अछि ।

अखनो सँसारक दूर्लभ ईन्जन मार्टिनवर्नद्धारा निर्मित न्यारेगेज रेल्वे ईन्जन नेपालमे उपलब्ध अछि, मूदा संचालनमे नहि अछि । बेलायती शासनकालक रेल्वे ईन्जनसन १९३७, वित्रmम संवत१९९४ साल सँ संचालित सेवा आई पूर्णरुपेण उपेक्षित बनल अछि । बहुतो नेपाली जनताकेँ जानकारी नहि हैतनि जे नेपालोमे रेल संचालनमे छैक ।१९९०मे सर्वप्रथम सर्भे कऽ १९९२ सँ निर्माण काज प्रारम्भभेल विदेशकलेल काठ ढुवानीमे प्रयोग कायलगेल, जखन नेपालक हरियोवन समाप्त होबऽलागल तत्पश्चात ई रेल सेवा मानव सेवामे प्रयोग होवऽलागल ।

आजुक परिवर्तित अवस्थामे आवागमनक साधनकेँ रुपमे स्थापित भेल आजुक परिवर्तित अवस्थामे आवागमनक साधनकेँरुपमे स्थापित भेल । वैज्ञानिक युगमे अन्य विकशित देश अचम्भित सवकाश कएलक, भारतमे आजुक दिन सबसँ पैघ रेले मन्त्रालय छैक । भारतक आर्थिक् रीढक रुपमे रेल्वे स्थापित अछि । जापान, प्रmान्स आदि देशक रेल सेवामें आश्चर्यजनक प्रगति कएलक अछि ।
एक घण्टामे ४०० किलो मिटरक दूरी तय करैत अछि । भारतमे वेलायति साम्राज्यद्धारा रेलसेवा प्ररम्भ आ विस्तार भेल । प्रय ओही समय वि.सं. १९९४मे युद्ध शम्शेरक शासनकालमे नेपाल सरकार रेल्वे( एन.जे.जे.आर.) नेपाल जनकपुर जयनगर रेलसेवा आ (एन.जी. आर.) भारतक रक्सौल होइत वीरगँज अमलेखगँज तक साचालित रहै, मूदा बहुत पहिने सँ सेवा बन्द अछि । आब मात्र ५१ कि.मि. मार्ग जयनगर विजलपुरा सँचालित सेवा जनकपुर सा विजलपुरा, २०५९ साल अषाढ २३ गते आएल भिषण बाढिक प्रकोप सँ बिग्धी नदी पुल क्षतिग्रस्त भेने यहो रेल सेवा पूर्णरुपेण बन्द भऽ २९ कि.मि.मे मात्र सिमीत अछि ई सेवा । सरकारक अकर्मन्यता, लापरवाही तथा उपेक्षाक कारणे लोहाक लीक माटि सँ भरल अछि, घासपात जनमिगेल अछि, ठाम ठाम निर्मित यात्री प्रतिक्षालय सेहो ध्वस्त भऽरहल अवस्था छैक ।
रेलक जमीन सब सेहो अतित्रmमण मात्र नहि लिकेपर तरकारी बजार छानल गेल अछि, मूदा सरकार आ सम्बन्धित निकाय रेल प्रशासनक ध्यान एम्हर नहि देखल जा रहल अछि । वेर वेर जानकारी आ तथादा कएलाक बादो कोनो सुनवाइ नहि भऽरहल जनताक सिकायत रहल अछि ।

देशक ऐतिहासिक धरोहर एवं तराई मात्र नहि नेपालक गौरव रेलसेवा जीर्ण अवस्थामे अछि । बुमmना जाइत अछि जे यहि सेवाकलेल कोनो मायबाप नहि रहल । अखन धनुषा महोत्तरी धरि ई रेलसेवा सँचालित भेल अवस्थामे एहि मार्ग सँ जतेक यात्री आवत जावत करैत छल ताही अनुपातमे आन कोनो यातायात एवं सवारी साधन सा आवत जावत नहि होइत अछि जकर सत्य तथ्य यात्रीक सँख्या सँ पुष्टी होइत अछि । पर्यटनक युगमे रेलसेवा एनो उपेक्षित रहल ताहिसँ तराईवासीके जनमानसमे केहन भावना उत्पन्न हायत ?

असमान भेदवाभ सँ ग्रसीत मानल जाए की नहि ? आई जौं एहन छोट समस्या पहाड मे रहितै तहन की एहीना उपेक्षित रहैत रेल सेवा ? जनकपुरधाम धार्मिक् स्थल तथा पर्यटनकलेल आवऽबला यात्री मध्ये सर्वाधिक भारतिीय नागरिक रहैत अछि, एकदिनमे कमसँ कम पाँच छौ हजारक सँख्यामे यात्री आवत जावत करैत अछि । दूर्भाग्यवस महोत्तरी जिल्लाक मध्य क्षेत्रमे एकमात्र यातायातक साधन रेले अछि, ओहो अखन बन्द अछि । अन्य यातायातक सुविधा नइ रहल क्षेत्रक ई सेवा वन्द भेने जनजीवन कतेक प्रभावित हेतै तकर अनुमान सहजहिँ कायल जा सकैया ।

अशत्तm विमारी, उद्योगव्यापार, दैनिकजीवनक उपभोग सामग्रीक आभाव तथा त्रmय वित्रmयक समस्या सा एम्हरके जनमानस बहुत प्रभावित भेल अछि । प्राय प्रत्येकदिनक ई समस्याकेँ कारण रेलसेवा अभिषाप सिद्ध भऽरहल अछि । नयाँ नेपालक निर्मा०ँम्ै ज्ू६ल् द्यल् त्थ्ँ ज्न् प््रतिनिधि सबहक पूर्ण दायित्व होइत छन्हि, की त रेलसेवा फेर सा सञ्चालन कएल जाय या रेलसेवा बन्द कऽ वैकल्पिक मार्ग निर्माणमे ध्यान देथि । गणतन्त्रस्थापनाक महा अभियानमे एहि क्षेत्रक कम योगदान नहि रहल । राजनीति योगदान करऽबला बीर शहीदक पुण्यभूमि आई उपेक्षित अछि । आर्थिक योगदानमे सेहो रेलसेवा उल्लेखनिय काज बरबामे सहायक रहल अछि ।

दाता मित्र राष्ट््रक सरकार तथा जनप्रतिनिधिद्धारा रेलसेवा विस्तार आ सुव्यवस्थित करबामे उत्साहजनक आश्वासन सेहो भेटल,मूदा अखन धरि ई काज कियाक नहि सफल भऽरहल अछि ? भारतीय जनता, राजनीीत्क् द्यल्? स्म्ँीज्क् क्ँईकर्ता वेरवेर ई सवाल सदन सँ लकऽ सडक धरि उठा रहल अछि, भाषण एवं सार्वजनिक अभिव्यक्ति सेहो सँचार माध्यमसँ जानकारी भेट रहल अछि । तात्कालिन रेल मन्त्रि रामविलास पासवान, वर्तमान रेल मन्त्रि लालू प्रसाद यादवजेक अभिव्यक्ति सेहो सार्वजनिक भेल अछि कि जयनगर, जनकपुर, विजलपुरा होइत वर्दिबास धरि ब्रोडगेज रेलसेवा विस्तार कायल जाएत ।

भारतीय राजदूतावास सँ सेहो प्रस्ताव आएल कि जनकपुर विजलपुरा रेल्वेसेवा विस्तार कऽ काठमाण्डौ धरि महँुचाएल जाय तकरालेल नेपाल सरकारद्धारा प्रस्ताप पेश करओ आ ताहिमे भारत सरकार पूर्ण सहयोग करत । किछु साल पूर्व नेपाल भारत बीच रेलसेवा विस्तारक सन्दर्भमे बिना विष्कर्ष वार्ता भाग भेल एहि वार्ता सा पूर्वो एकटा वार्ता दिल्लीमे भेल छल । पहिल आ दोसर चरणक वार्तामे सहभागी सरकारक प्रधिनिधिक कथन अनुसार ई वैसार उपलब्धी मूलक रहल कुटनीतिक माध्यम सँ निष्कर्षमे पहँुचवाक मे दुनु पक्ष सहमत भेल ,मूदा आश्चर्यक बात जे एतेक वर्ष बित रहल अछि अखनधरिक ब्रोडगेजक बात छारिदी, सँचालित नेरो गेज लिंक आ ३ कडोर लागतक पूल निर्माण क कियाक नहि भऽरहल अछि ।

पंचायतकालमे सेहो जापान सरकार नेपाल रेलसेवाक विस्तार निर्माण प्रस्ताव रखने छलाह, हुनकर शर्त रहनि जे जापाने सरकारक रेखदेखमे ई काज हायत, मुदा कमिशनक कारणे ओ म्रस्ताव पतन भेल । एमाले सरकारक सभय तत्कालिन निर्माण तथा यातायात मन्त्रि भरत मोहन अधिकारी जनकपुर रेल्वे आ नेपालक विकाश विषयक गोष्ठीमे हुनकर अभिव्यक्ति छलन्हि, जे जनकपुरधाम सनक पवित्र स्थलक पर्यटकिय विकाशक लेल राष्ट््िरय सहमतिक आवश्यकता अछि । निकट भविष्यमे निर्माण तथा यातायात मन्त्रालयद्धारा जापान, भारत तथा प्रmान्स सरकार सपक्ष रेल्वेसेवाक आधुनिकीकरण एवं विस्तारकलेल लिखित प्रस्ताव पठायब जे प्रतिवद्धता जनौने छलाह ।

नेपाली काँग्रेसक मन्त्रिगणद्धारा वेरवेर निरीक्षण भेल ओ आशाजनक आश्वासन भेटैत रहल,मूदा समस्या अखनो यथावते अछि । अवस्था दयनिय अछि, पुरान भौतिक सँरचना, रेल्वे ट््रयाक,स्लीपर, इन्जनकोच तथा पूलसब जीर्ण अवस्थामे अछि । कर्मचारी व्यवस्थापन कमजोर रहलाक कारण रेल कम्पनीक आर्थिक अवस्था सेहो बहुत कमजोर अछि ।

हालहिमे नेपाल आ भारत सरकार बीच भेल सहमति अनुसार जयनगर सँ वर्दीबास धरि ७० किलोमिटर रेल्वेसेवा विस्तार करबालेल भारतक राइट्स नामक कम्पनि सन २००७ जुलाईमे सर्भे काज सम्पन्न कयलक अछि । तत्पश्चात भारतीय रेल सरकारक चीफ इन्जिनियर आ सहायक इज्निियर सबहक टोली पुन सर्वे काज सम्पन्न कयलक जे काजक पूर्णता देवऽमे कम सँ कम पाँच वर्ष लागत, मूदा प्रश्न अछि जे पाँच वर्षक अवधि धरि एहि क्षेत्रक अवस्था कि हायत ? यहि अवस्थाके ध्यानमे रखैत नेपाल सरकार तत्काल सँचालित लीक आ पूल निर्माण क रेल सँचालन मे आवओ ।

बहुत प्रयासकबाद अर्थमन्त्रि ११ कडोर रुपैया देवाक निर्णय कयलथि । यहि प्रयासमे यातायात मन्त्रिक पूर्ण सहयोग रहलन्हि, मूदा ११ कडोर रुपैया भऽ की रहल छैक ? ११ कडोर मध्ये ५ कडोर जनकपुरसँ पूर्व आ ६ कडोर जनकपुर सँ पश्चिम बिजलपुरा धरिक मर्मत निर्माणकलेल छुटियाओल गेल छल तथापि अखन धरि काज प्ररम्भक गँधधरि नहि आबिरहल अछि ।

यातायतक प्रणलीमे रेलसेवा एकटा एहन प्रणली प्रमाणित भेल अछि । जे जतेक लम्बा खूरी धरि विस्तार करय ततवे वेसी आरामदायी हायत आ सँगहि ओतवे आमदानी होयवाक निश्चित अछि । सामान ढुवानी, यात्री आवत जावतमे राजश्ववृद्धिक सँगहि रोजगारीक अवसर सेहो प्राप्तक साथसाथ आहि क्षेत्रक सर्वाङ्गीन विकासक पूर्वाधार सुनिश्चित रहत । रेल्वेसेवा त्रmमश रुपान्तरीत होइत संस्थानसँ कम्पनिमे परिणत भेल ई स्वायत्तता प्रप्त कम्पनिमे सात मन्त्रालयक शेयर अछि, मनोमानी ढँगसँ बिना मूल्याङ्कन कयल जायत त कैयक असबके सम्पति छैक । कम्पनि चाहे त अपने बलबूत्तापर रेलसेवा सँचालन कऽ सकैत अछि ।

एकटा सक्षम व्यवस्थापन, पारदर्शिताक आवश्यकता छैक । आशा राखी लोकतान्त्रिक सरकार एहि शुभकाजमे सहयोग करय, नहि त वोहि क्षेत्रक जनता आब हाथ पर हाथ धऽ बैसल नहि रहत आ देसर विकल्पक खोजीमे जुटत, जकर परिणाम सरकारमे सहभागी दल एवं सरकारके भोगहिटा परतैक ।

अवैद्य नागरिकताः सिक्कमीकरणक प्रयास
मनोज झा मुक्ति

नेपालमे नागरीकता वितरण बहुतो वर्ष पहिने सँ चर्चित विषय बनल अछि । खास कऽ पहिल मधेशवादी दलक रुपमें जानल जाइत नेपाल सदभावना पार्टी अपन स्थापने कालसँ नागरीकताके अपन प्रमुख मुद्दाक रुपमे रखैत आएल छल । प्रजातन्त्रक आगमनकबाद २०४८ सालमे बनल सरकारक समयमे सेहो नागरीकताक प्रश्न सदन गर्मओने छल ।सदभावना पार्टीक अडान रहैक बहुतो मधेशी जनता नागरीकतासँ बञ्चित अछि, सबके नागरीकता देल जाए । सदभावना पार्टीक एहि अडानपर जनमोर्चा लगाएतक दलसब एकरा भारतक विस्तारवादी नीति कहैत विरोध करैत छल । हूनकर सबहक कहब रहैनि जे मधेशीसबके नागरीकता दऽदेलासँ नेपाल सिक्कमीकरण भऽ जायत ।

जनआन्दोलन २०६२÷०६३ सँ पहिने सेहो नागरीकता वितरणकलेल आयोग सब बनैत रहल, अपन प्रतिवेदन बुमmवैत रहल । कोनो बेर जौं नागरीकता देलोगेल त æसबै भारतीयहरुलाई नागरीकता दियो, देशमा अब विखण्डन हुन्छ” कहैत, रिट दायर कऽ मधेशमे देल जाचुकल नागरीकताके बदर सेहो कराओल गेल ।

एकटा विदेशी नागरीकके नेपालक नागरीकता देनाई वास्तवमे बहुत बडका षडयन्त्र होइत छैक, देशक हीत विपरीत काज होइत छैक । देश हीतक विपरीत काज कयनिहार ककरो नईं छाडल जएबाक चाही । ताहुमे नागरीकता सन सँवेदनशील विषयमें त सबहक नजरि रहब ओतबे जरुरी होइत छैक । मुदा जोर जोरसँ गरजनिहार सबहक मानसिकता एहिबेरक नागरीकता वितरणक समयमे देखागेल । नागरीकता वितरणक तथ्याँक अनुसार लगभग २४ लाख नागरीकता समुच्चा देशमे वितरण कायलगेल । जाहिमे लगभग ११ लाख तराई मधेशमे आ १३ लाख पहाड हिमालमें । कि वास्तवमें नागरीकता प्रप्त केने चौबिसो लाख व्यक्ति नागरीकता लेबाक हकदार रहथि ? ई एकटा पैघ प्रश्न अछि । हँ सदनमे बहुत हँगामा कायलगेल, अपनाके देशक ठिकदार कहनिहार देखावटी देशभक्त पार्टीसबद्धारा । अहु हँगामा सबहक एकहिटा कहब छल जे तराई मधेशमे सबटा भारतीय सबके नेपाली नागरीकता द कऽ देशके सिक्कमीकरण करबाक तैयारी कायल जाऽरहल अछि । मुदा कि नागरीकता वितरण कयनिहार अधिकारीमे कएटा व्यक्ति तराई या मधेशी मूलक रहथि ? आँगुरपर गनल जा सकैया । अवैद्य रुपसँ वितरण कायलगेल नागरीकता मधेशक विरोधमें बहुत पैघ षडयन्त्र अछि । मधेशमें जाऽक गैर मधेशी अधिकारीसबद्धारा जे किछु मात्रामे विदेशी सबके मोटगर पाई ल कऽ नागरीकता वितरण कायलगेल अछि से मधेशीसबके अपने धर्तीमे गुलाम बनयबाक चालि अछि । एकर दू टा पक्ष अछि, जौ नागरीकता लेने विदेशी भुख्खे मरत त उदारवादी मधेशी अपनो हिस्साक भोजन देबऽमे पाछा नई रहत, आ मानसिक एवं शारीरिक यातनाक पीडा मmेलैत रहत । जौ पाइके बलपर नागरीकता लेने कोनो धन्निक विदेशी गाममे रहत त गामक जिमदार बनिकऽ सबके फेरसँ कमैया बनालेत जेना पश्चिमी तराई मधेशमे थारु सबके पहाड सँ विस्थापित पहाडी सबद्धारा कमैया बनालेल गेल । ताएँ एहि बातपर मधेशीसब सचेत रहथि आ विदेशी सबके नागरीकता लेबऽसँ सकभर रोकलथि । मुदा तैयो पाइयक भुखल आ द्धेष भावनासँ कुटिकुटिकऽ भरल गैर मधेशी अधिकारीसबद्धारा मधेशोमे किछु नागरीकता अवैद्यरुपसँ वितरण कायलगेल ।

दोसर दिश पहाड आ हिमालमे जे जनसँख्यो सँ बेसी नागरिकता वितरण भेल ताइके विषयपर सदनमे ककरो बकार धरि नहि फुटल । कत चलिगेल ओई देशभक्त नेता सबहक देशभक्ति ? ई अहिने प्रष्ट कऽदैत अछि जे ओइ खोखला देशभक्तसबक नियति, ओसब कि चाहैत अछि, आ कत सँ सञ्चालित अछि ?

वास्तवमे अवैद्य नागरीकता वितरण क कऽ नेपालके सिक्कमीकरण करबाक प्रयाश सोंचल सममmलरुपमें शुरु भऽगेल अछि । नेपालमे लाखोके सँख्यामें तिब्बती, भुटानी आ भारतीय(दार्जिलिङ्ग) नागरीकके नागरीकता द कऽ वैद्य नागरीक बनयबाक खेल शुरु भऽगेल अछि, आ तकरा सब मधेश विरोधी मानसिकताक लोक भितरिया मोन सँ स्वागत करैत गदगद भऽ रहल अछि । एकर कारण एक्कहिटा अछि जे नागरीकता लेनिहार तिब्बती, भुटानी आ भारतीय(दार्जिलिङ्ग) लोकके मुँहकान आ प्रायःके भाषा नेपालक ओइ बेतुक्का देशभक्त नेता सबसँ मिलैत जुलैत अछि । ई सिक्कमीकरण नईं त कि अछि ? देशक सम्पूर्ण सचेत नागरीकके सोंचबाक चाही ।

मधेशको मर्म अनुरुप संविधान नबने सशक्त संघर्ष


मधेशको मर्म अनुरुप संविधान नबने संविधान सभा छोडेर सशक्त संघर्ष गर्छौ
महन्थ ठाकुर
अध्यक्ष (तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी)


(देशमा निर्माण हुन लागेको नयाँ संविधानमा जनताको भावना बुझ्न महोत्तरी आइपुग्नु भएका तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टीका अध्यक्ष एवं तमलोपा संविधान सभादलका नेता महन्थ ठाकुरसँग गरिएको कुराकानीको प्रमुख अंश)

१. जनताको भावना बुझ्न जुन प्रकारको लिखित प्रश्नहरु लिएर आउनु भएछ, कस्तो जटिलता रहेको छ त्यसमा ?

—.प्रश्नहरुमा भाषा सम्बन्धि कठिनाइहरु रहेका छन् । चाहे पहाडका जनताहुन या मधेशका, सबै जनतालाई यस प्रकारको समस्या परेको छ । प्रश्नहरु ज्यादै लामो लामो तथा कानूनी जटिलता युत्तm शब्दहरु रहेको छ । जसरी भन्नुस न, सार्वभौमसत्ता शब्दलाई जनतालाई कसरी सम्झाउने ?

२. यी प्रश्नहरु तयार गर्दा तपाईहरुसँग छलफल त भयो होला नि ?

—सामान्यतया यी विषयहरुमा कुनैदलसँग छलफल गरिंदैन र हामीसँग पनि कुनै प्रकारको छलफन गरिएन ।

३. के लाग्छ यस्तो स्थितिमा जनताको हीतको संविधान बन्ला ?

—हेर्नुस, जनताकोलागि बन्छ कि बन्दैन त्यो प्रश्न होइन । २०३६सालमा बहुदललाई हराइए पनि एउटा लोकतान्त्रिक मान्यता के स्थापित भयो भने जनताले नै आफ्नो मतले बहुदललाई हरायो । त्यसतै, संविधानलाई मान्यता प्रदान गराउन भएपनि जनताको घरदैलोमा पुगेको देखाउनु पनि कुनै न कुनैरुपमा लोकतन्त्रलाई स्थापना गर्ने एउटा कडीको रुपमा लिनु पर्दछ, संविधान बनाउने अधिकार जनताको हो भनेर ये प्रकृयाले प्रमाणित गरेको छ ।

४. कस्तो खाले प्रश्न या सुझावहरु जनताबाट आइरहेको छ ?

— जनताबाट राम्रो सुझावहरु पनि आइरहेको छ । रुपन्देहीमा एउटा ५० वर्षे मानिस आएर भन्नु भयो, ‘श्रीमान् मधेशीसँग भइरहेको भेदभाव कसरी हट्छ त्यो कुरा संविधानमा लेख्नु होला’ यति भन्दै सरासर उहाँ आफ्नो बाटो लाग्नु भयो ।

५. नेपाली जनतालाई कस्तो खाले संविधान चाहिएको महशुश गर्नु भएको छ ?

— नेपालको भौगोलिक अवस्था, सँस्कृति, जनसंख्याको वितरणले जहिले पनि नेपाललाई सहमतिको आधारमा जाने निर्देश गरेको छ । यसको विपरीत जो जो आज सम्म नेपालमा जान खोज्यो, ऊ विफल भएको छ । राजाले एक्लै शासन गर्न खोज्यो विफल भयो, काँग्रेस पूर्ण बहुमत पाएर पनि एक्लै आफ्नो अवधिभरि सरकार चलाउन सकेन । अहिलेको एकिकृत माओवदी सरकार संख्यात्मकरुपमा कमजोर छैन तर पनि एक्का शासन चलाउन खोज्यो भने विफलता निश्चित छ । अर्थात सहमतिको आधारमा संविधानको निर्माण भयो भने जनताको पक्षको संविधान बन्नेछ र बहुमतिय आधारमा संविधानको निर्माण भयो भने अहिले देखिएको समस्याहरु रहिनै रहन्छ ।

६. अहिले कस्तो खाले समस्या रहेको छ ?

— एउटा विषेश समुदाय बाहेकलाई छोडेर पहाड,मधेश सबैठाउँका जनता आन्दोलित छन्, जो सदियौं देखि विभिन्न प्रकारका अवसर तथा हकबाट बञ्चित हुँदै आएको छ । उनिहरुको भावनालाई सम्बोधन गर्नु एकदमै आवश्यक रहेको छ ।

७.संविधानप्रति जनतामा कस्तो खाले शंका उपशंका रहेको छ ?

—जनतामा दूई खाले शंका व्याप्त रहेको छ । एउटा त संविधान बन्छ कि बन्दैन र अर्को दलीय भागवण्डाको आधारमा त कतै संविधानको निर्माण हुँदैन ? यसो भएमा द्धन्द्ध पूर्णरुपमा समाप्त हुन सक्दैन ।

८. यदि दलीय भागवण्डाको आधारमा संविधानको निर्माण भएमा तमलोपाले कस्तो रणनीति अख्तियार गर्छ त ?

—राष्टि«य राजनीतिमा हाम्रो मूल प्रश्न ‘मधेश’ हो । मधेशको माँगलाई उपेक्षा गरियो भने जस्तो सुकै संविधान पनि हामीलाई अमान्य हुनेछ । यदि मधेशी जनताको भावनालाई उपेक्षा गरियो भने तमलोपा अहिले संघर्षमा त छँदैछ, हामी संविधान सभाबाट राजिनामा गरेर शसस्त्र त होइन सशक्त आन्दोलनमा जानेछौं ।

९. नेपालका राजनीतिक सत्ताको कुन कुरा सुधार्नु पर्ने आवश्यकता छ ?

—कुनै स्थापित शक्तिलाई आफ्नो स्थान जब कुनै कारणवस छोड्नुपर्ने हुन्छ तब वर्षौं देखि दबाइएको जनता आफ्नो क्षतिपूर्ति खोज्छन् र फलस्वरुप आन्दोनको उदघोष हुन्छ । आन्दोलनको पहिलो कारण राज्यद्धारा गरिएको भेदभावप्रतिको आत्रmोश हो । र कुनैखाले विरोधलाई सत्ताले कहिल्यै सहजरुपमा लिएन, सजाय तथा दण्डदिने प्रवृतिलाई बढावा दिंदै आयो । महिलाको आन्दोलनलाई ‘डलरखेती’को सँज्ञा दिइनु, मधेश आन्दोलनलाई ‘विखण्डनकारी’को सँज्ञादिनु लगाएतका कामहरु लोकतन्त्रको भाषण दिएर नथाक्ने नेताहरुबाट हुँदै आएको छ । दलहरु सत्तामा पुग्दा विरोध नसहने बानी जुन परेको छ, वास्तविक लोकतन्त्रको अनुभूति गराउन यी यस्ता प्रवृतिहरु सुधार्नु पर्ने नै हुन्छ ।

१०. प्रेस स्वतन्त्रताप्रति तमलोपाको कस्तो धारणा रहेको छ ?

— स्वतन्त्र न्यायपालिका र स्वतन्त्र प्रेस लोकतन्त्रको ग्यारेन्टर हुन्छ । जनताको अधिकारको वारेमा प्रेसले सूचना प्रवाह गर्छ र अदालतले त्यसलाई संरक्षण गर्छ । प्रेस कसैप्रति पूर्वाग्रही हुनु हुँदैन र कसैको हीतकारी पनि हुनु हुँदैन । तथापि ‘अस्पताल खोल्नुको अर्थ रोग नै नलाग्नु भने हुँदैन ।’

११.भारतको राजधानी नयाँ दिल्लीमा भईरहेको नेताहरुको भ्रमणप्रति सरकारको अगुवाई गरिरहेका एकिकृत माओवादीका नेताहरुको व्यत्तm आशंकालाई कुनरुपमा लिनु भएको छ ?

—हेर्नुस, माओवादीले १० वर्षे जनयुद्ध भारतमै बसेर गर्यो, १२ बुँदे सम्झौता पनि भारतमै गर्यो त्यसैले उनिहरुलाई थाहा भएर होला शंका लागेको हुनसक्छ । एकिकृत माओवादीका नेताहरुको आत्मविश्वासको कमीले यस्ता शंका लागेको मात्र हो । अब ज्ञानेन्द्र वा कुनै राजा आउने कुनै संभावना नेपालमा छैन । कथम कदाचित दलहरुले राजालाई ल्याए पनि नेपाली जनताले मान्नेवाला छैन ।

मैले व्यत्तिmगतरुपमा नेताहरुको भारत भ्रमणलाई नकारात्मकरुपमा लिएको छैन, यो सबै स्वभाविक प्रकृया हो ।

Sunday, April 19, 2009

कस्तो महानता ? भारत विरुद्ध नेपाली जनतालाई उक्साउनेहरु




कस्तो महानता ?
भारत विरुद्ध नेपाली जनतालाई उक्साउनेहरु....


मनोज झा मुक्ति
नेपाल एउटा भूपरिवेष्ठित राष्ट« हो जसको तीन तिरबाट विशाल मुूलूक भारत र एकातर्फबाट सँसारको अर्को ठूलो देश चीनले घेरेको छ । भौगोलिक सुगमता, मिल्दोजल्दो सँस्कार र सँस्कृतिले गर्दा आफ्नो दुवै छिमेकी मध्ये नेपालको सम्बन्ध भारतसँग अलि बढि नै रहने गरेको छ । यसको अतिरिक्त नेपालीहरुको शिक्षाको केन्द्र, कामगर्ने ठाउँ, राजनैतिक सहयोग लगायतका कार्यले गर्दा पनि नेपाल—भारतको सम्बन्ध प्रगाढ रहिआएको छ ।


नेपालमा परापूर्वकाल देखिनै भारतको सहयोग हरेक कार्यमा अविस्मरणिय छ, यसमा दुईमत छैन । चाहे राणा शासनलाई समाप्त गर्न होस या पञ्चायति व्यवस्थाबाट नेपाली जनतालाई मुक्त गराउने आन्दोलन होस, चाहे राजतन्त्रको अन्त्यकोलागि गरिएको आन्दोलन किन नहोस नेपाली जनाले गरेका हरेक सँघर्षहरुमा प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्षरुपमा भारतको योगदान रहेकै छ । हुनत, भारतको स्वतन्त्रता संग्राममा नेपालीहरुले निर्वाह गरेको भूमिकालाई पनि विर्सन सकिन्न ।

एउटा उखान नै चलेको छ हामीकहाँ, ‘नेपालमा मन्त्री बन्नलाई एकचोटी दिल्ली भ्रमण गर्नै पर्ने हुन्छ ।’ र बेला—बेलामा यस उखानलाई हाम्रो नेताहरुले प्रमाणित पनि गर्दै आएका छन् ।नेपालका नेताहरुमाथि कुनै समस्या आइपर्यो भने वा कुनै प्रकारको सहयोगको आवश्यकता पर्यो भने भारतलाई गुहार्ने चलन हामीकहा चलि आएको छ । तर दुखद पक्ष केहो भने आपूm या आफ्नो पार्टीलाई पृष्टपोषण गर्न भारतीय सहयोग पाएर जन्मेका तथा हुर्केका नेताहरु न्ेपालका जनताहरुमा भारत विरुद्धको मानसिकता तयार गर्नमा पछि हटेका छैनन् ।

राणा शासन अन्त्यकोलागि थालिएको विद्रोह, पञ्चायत फाल्न गरिएको आन्दोलन, माओवादीको १०वर्षे जनयुद्ध र राजतन्त्रको समूल नष्टगर्नै आन्दोलन सबैको तानाबना भारतमै बुनियो तथा भारतमै बसेर आन्दोलनहरुको शुभारम्भ गरियो । आफ्नो पार्टी चलाउन प्रशासनिक खर्च होस या आफ्नो क्षेत्रमा विकासको नाममा होस हाम्रा नेताहरु भारतको सहयोगको सदैव अपेक्षा गरेको हुन्छ । भनिन्छ भारतीय दतावासमा जुन नेताको जति पकड छ, उसलाई त्यति शक्तिशाली नेपाली राजनीतिमा मानिन्छ । नेताहरु आफ्नो बाल—बच्चाहरुको विभिन्न छात्रवृतिहरुकोलागि भएपनि आफ्नो सम्बन्ध बलियो बनाएर राख्न चाहन्छ । तर, यी कुराहरु सत्य भएपनि नेपालका नेताहरुको चरित्र बुझिनसक्नु देखिन्छ ।

एकातिर हरेक क्षेत्रमा भारतका सहयोग लिएर आफ्नो राजनीतिदेखि आफ्नो जीविकोपार्जन गरिरहेका हाम्रा नेताहरुको भारत विरोधी भाषणहरु जब पत्र—पत्रिकाहरुमा पढ्न पाइन्छ, त्यतिबेला नेताजीहरुको चरित्र हेरेर लाग्छ हामी विकास गर्न अझै धेरै समय लाग्छ । आपूmहरु भारतबाट जस्तोसुकै सहयोग लिन पनि पछि नपर्ने हाम्रा नेताहरु आफ्ना देशका जनताहरुको बीचमा भारतलाई नेपाल विरोधी राष्ट«कोरुपमा दर्शाएर के गर्न खोजेकोहो, पत्ता लगाउन धेरै मुस्किल छ ।




आपूmलाई केही भयो भने भारततिर कुद्ने नेताहरु आपूm बाहेक अरु दलकाकोही भारततिर गयो भने त्यसलाई नराम्रो तरिकाले जनताको बीचमा प्रस्तुतगर्ने बानी किन लागेको होला ? यो प्रवृति एउटा मात्र पार्टीको नेतामा भए त हुन्थ्यो नि, सबै पार्टीका नेताहरुको चाला यही नै अहिले सम्म देखिएको छ ।

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म बाहेक अरुकसैले भारतबाट सुविधा नपाओस’ भन्ने सोंच हो कि भारत वा ‘कसैलाई धम्क्याउँदा बढी भागबण्डा पाइन्छ’ भन्ने सोंच हो, बुझिनस्कनु छ । या भारतले नै यस्तै सम्बन्ध चाहेको हो हाम्रो नेताहरुसँग ? ‘नेपाली जनताले भारतबाट लिने गरेको सहयोगकोवारेमा थाहा पायो भने कतै आफ्नो पर्दाफास त हुदैन ?’ यस कारणले पनि हाम्रा नेताहरु आम जनमानसमा आपूmलाई प्रवल विरोधी देखाउने नाटक गरेको हुनसक्छ । नेपाली जनतालाई भ्रममा राखेर हण्डीखाने प्रवृति जबसम्म हाम्रा नेताहरुले त्याग्दैनन् तबसम्म हामी साँचो राष्ट«को निर्माणगर्ने कल्पना गर्न सक्दैनौ । नेपाली जनताले पनि हाम्रा नेताहरुको यस्ता द्वैध चरित्रलाई बुझ्नुपर्ने अति आवश्यक छ । कि त हाम्रो नेताहरु कसैबाट केही लाभ नै नलेओस् वा लिन्छ भने त्यसतै कुरा गएर आफ्ना जनताहरुको बीचमा गर्नसक्नु पर्छ ।

अहिले विभिन्न हाम्रा नेताहरुको दिल्लीमा उपचार गराउने कुरालाई लिएर नेपाली राजनीतिको वृतमा सत्ताधारिहरुको टाउको दखिरहेको छ । विभिन्न शंका—उपशंका गरिराखिएको छ । नेपालका सर्वसाधारण जनतालाई थाहा नभएपनि हाम्रा नेताहरुलाई राम्ररी थाहा छ होलाकि दिल्लीमा नेताहरु कस्तोखाले उपचार गराउन जाने गर्छन । अनि ‘आपूm गयो भने देशहीतकोलागि र अरु गयो भने देश भाँड्नकोलागि’ जस्तो वाहियात भाषणहरु किन ? यावतकुराहरु सोंचेर, हेरेर अब नेपाली जनताहरु वस्तविक रुपमा सोंच्न वाध्य भएका छन् कि कतै हाम्रा नेताहरु साच्चिकै देशलाई समृद्धि र विकाशबाट सँधै—सँधैकोलागि टाढा त राख्न चाँहदैन ? कि आफ्नो भ्रमको राटीलाई जनताको टाउकोमा सेक्दैराखौं भन्ने सोंच छ ?

होइन, यदि भारत वास्तविकरुपमा नेपालको अहित चाहन्छ, नेपाली जनताको कुभलो चिताउँछ भने हामी किन विभिन्न बहानामा भारतको सहयोग र सानिध्यता चाहन्छौ ? किन हामी आफ्नो आत्मविश्वास बढाउने तिर सोंचिराखेका छैनौं ? पशुपतिनाथले हाम्रो चरित्र सुधार्न प्रेरणा हामीलाई देओस् ।

Saturday, April 18, 2009

यस्तो पाराले संविधान बन्दैन !



सुझाब संकलनकालागि गएका सभासदहरुको अनुभव : यस्तो पाराले संविधान बन्दैन
—निलम वर्मा, सभासद, मधेशी जनाधिकार फोरम नेपाल

म संविधान निर्माणकोलागि जनताको अभिमत बुझ्ने त्रmममा नवलपरासी र तनहुँ जिल्लामा गएकी थिए । संकलनको त्रmममा तनहँु र नवलपरासीको नगरपालिकाको सभाहलमा संयुत्तm टोलीको छलफल गरियो ।

प्रश्नको सन्दर्भमा मधेशी जनताहरुले नेपाली भाषामा मात्र रहेको प्रश्नावलीको विरोध गर्यो । मधेशी जनताहरु विरोधमा आएकोमा हामी ३ जना मधेशी सभासदलाई सम्हाल्न लगाइयो । मधेशी जनताहरुको माँग रहेको थियो, ‘प्रश्नहरु हाम्रो मातृभाषामा हुनुपर्छ’ । साधारण जनताकोलागि ४५ पन्नाको २९४वटा प्रश्नहरुको उत्तर किन र कसरी दिने ? जनताहरुको गुनासो थियो,‘संविधान बनि सकेको छ, तपाईहरु आफ्नो भत्ता पचाउन मात्र आउनु भएको छ, यो सुझाव संकलन मात्र एउटा नाटक हो’ । नवलपरासीमा थारुहरुले हाम्रो कार्यत्रmमलाई एकदिन विथोलेको थियो ।

हाम्रो टोलीले घरदैलोमा गएर मत संकलनगर्ने भनेपनि एउटा पनि घरमा हामी जान सकेनौं । ६ हजार जनसंख्या भएको एउटा गाउँमा मात्र ७० वटा जति प्रश्नहरु बाँडिनु एकदमै अव्यवहारिक लाग्यो । ६ हजारमा जब ७० जनाको मत मात्र आउछ भने बाँकीको भावनालाई नयाँ बन्ने संविधानले समेट्ने कि नसमेट्ने ? कुनै—कुनै गाउँमा त ५० वटा जति प्रश्नहरुमात्रै बाँडियो । प्रश्नहरु पूर्णतया अवैज्ञानिक तरिकाको थियो । जनताहरुले नबुझ्ने जटील थियो । प्रश्नहरुवारे सभासदहरुलाई कुनै प्रकारको पूर्व जानकारी तथा ट«ेनिँग केही दिइएको थिएन । म त भन्छु ५० प्रतिशत भन्दा बढी सभासदहरु ती प्रश्नहरुको जवाफ दिन सक्तैनन् । प्रश्नावलीको सन्दर्भमा प्रत्येक समितिहरुमा जुनरुपले व्यापकरुपमा छलफल हुनुपर्दथ्यो त्यस्तो केही भएन ।

आम जनताहरुले हाम्रो प्रश्न भन्दापनि ‘भारत—नेपालको खुल्ला सिमाना हुन पर्ने, इन्डियाको गाडी नेपालमा जसरी विना रोकटोक चल्छ, त्यसैरुपमा नेपाली गाडीहरुपनि भारतमा बिना रोकटोक आउन जानु पर्यो । बेरोजगार छौं रोजगारी चाहिन्छ । दलित जनजातिको बच्चा पढ्न पाउनु पर्छ, दलित जनजातिको छोरा—छोरीहरुको विवाह गर्न खर्च चाहियो र मधेश एक प्रदेश हुनु पर्यो ’ जस्ता प्रश्नहरु जनताले हामीसँग गरेका थिए । जनताले सडक, पुल, शौचालय, बच्चाको नोकरी, बृद्धा भत्ता समयमा नपाएको गुनासो, विधवा भत्ताको अव्यवहारिक नीतिको खारेजी लगायतका चाँसो देखाएका थिए ।

जनताहरुलाई न्यायालय, प्रान्तवारे जानकारी नै छैन त के विचार दिन्छन् । अभिमत संकलनको सन्दर्भमा जुन प्रकारले प्रचार—प्रसार हुन पथ्र्यो त्यसरी भएन । परासीमा ११ बजेदेखि हाम्रो कार्यत्रmम थियो र १२ बजे त्यहाँ प्रचार—प्रसार नै शुरु गर्यो, के भन्नु हुन्छ यसलाई ? शिक्षितवर्गहरुको टिप्पणि थियो,‘ यत्रो लामो—लामो धरै प्रश्नहरु जनता विरुद्धको षड्यन्त्र हो, भाषा स्थानिय भएन, प्रश्नहरु मातृभाषामा किन भएन ?’ २३ दिनमा ९६ गा.वि.स. र एउटा नगरपालिकामा कसरी अभिमत संकलन हुन सक्छ ? कतिपय बुद्धिजीबिहरुलाई त खबर समेत हुन सकेन ।

यसरी अभिमत संकलन गर्नु भन्दा एउटा टेप रेकर्डरमा जनताको आवाजहरुलाई रेकर्ड गरेर ल्याइनु पथ्र्यो । प्रमुख केही सीमित प्रश्नहरु मात्र लिएर जानु पर्दथ्यो जसलाई स्थानिय भाषाहरुमा अनुवाद गराएर लैजानु पर्दथ्यो । समय एकदमै कम भयो ।

हाम्रो जनताले बुझ्छ कि बुझ्दैनन् त्यो सबै नेताहरुले राम्ररी बुझ्नु पथ्र्यो त्यो नबुझेर ठूलो गल्ति गरेका छन् राजनैतिक दलहरुले ।

मेरो विचारमा यो त्रुटिपर्णछ, नत जनताको भावना आउँछ नत नयाँ नेपालको निर्माण हुन्छ । प्राध्यापक, वकिल लगायतका बुद्धिजीबिकहाँ नै प्रश्न पुगेन भने आम जनताले कस्तो सुझाव दिन्छ ? जसरी उत्कृष्ट संविधान बन्ने ढोल पिटिंदैछ, त्यसतो केही हुनेवाला छैन । सरकारको पैसा र सभासदहरुको समय वर्वाद गर्ने काम मात्र भएको छ । मधेशी जनता एकचोटी फेरि ठगिएको छ । मधेशवादी पार्टीहरुले आफ्नो धारणा आम जनतालाई बुझाउन जसरी आफ्ना कार्यकर्तालाई परिचालित गर्नु पथ्र्यो त्यस्तो नगरेर ठूलो गल्ति गरेको छ ।

आम जनताले हामीले लगेको प्रश्नमा खासै रुचि देखाएनन्

— सरिता गिरि, सभासद एवं अध्यक्ष, नेपाल सद्भावना पार्टी(आ.)

म जनताको अभिमत बुझ्ने त्रmममा पश्चिम नेपालको कैलाली र कञ्चनपुर जिल्लामा गएकी थिएँ । म जम्मा ८ दिन जति फिल्डमा जाने मौका पाएँ । आम जनताले प्रश्नमा भन्दा पनि आफ्नै थुप्रै सुझावहरु थिएका छन् । मुख्यरुपमा जनताले आपुmले भोग्दै गरेको सामुदायिक समस्या, लिँग विभेदको समस्याहरु सुझावको त्रmममा राखे । कैलालीमा तेस्त्रो लिँगी समेतले हामीलाई आफ्नो सुझाव दिएका छन् । प्रशिक्षक, कृषक, व्यापारीले अ—आफ्नो समस्या राखे ।नयाँ संविधानमा आफ्ना आकाँक्षाका कुरापनि नआएको होइन । शहरी क्षेत्रमा नियोजित ढँगले ‘सँघियताले देश टुत्रm्याउने हुनाले सँघीयतामा जानु हुन्न’ भन्ने प्रश्न पनि आए । ग्रामीण जनताहरु आफ्नो समस्याको आधारमा संविधान बन्नुपर्ने धारण राखे । ग्रामीण क्षेत्रमा महिलाहरुमाथि गरिराखिएको भेदभावका गुनासाहरु पनि आए ।

केही ठाउँमा त ‘तपाईहरु भत्ता पचाउन मात्र आउनु भएको छ,संविधान निर्माण त पहिला नै भइसकेको ’ भन्ने प्रश्नहरुपनि जनताले हामीलाई गरे । मालाई लाग्छ प्रश्नको जटीलताको कारणले नै यस्ता प्रश्नहरु जनताले हामीसँग गरेका हुन् । मैले जानु भन्दा अगाडी नै संवैधानिक समितिमा भनेको थिएँ कि समान्य जनताले बुझ्ने ड«ाफ्ट तयार गरेर जनतामा जानु पर्दछ । अहिलेको प्रश्नमा हामीले आपत्ति जनाएका थियौं । यसमा भाषयी जटिलता छ, लामा—लामा प्रश्नहरु छ त्यसैले जनमत संकलनका लागि उपयुक्त छैन । यो कुनै अवधारणा पत्र लेख्न गाइडकोरुपमा मात्र प्रयोग हुन सक्छ ।

हुन त हिजोको ६वटा संविधान निर्माण भन्दा यसपालिको संविधान निर्माणको प्रकृया अलि अग्रगामी छ । प्रश्नावलीमा रहेको २९४वटा प्रश्नको जवाफ ६०१ सभासद मध्ये कतिले दिन्छ या दिंदैन भनेर म भन्दिन ।मलाई लाग्छ कि ग्रमीण क्षेत्रमा जसरी हामी पुग्नु पथ्र्यो त्यसरुपमा हामी पुगेनौं । प्रचार प्रसार पनि भएन ।

विषयगत समितिले तयार गरेका प्रश्नहरुलाई संविधानविद्लाई जिम्मा लगाएर बढीमा ३ पेजको प्रश्नहरु सरल तरिकाको, विभिन्न मातृभाषामा अनुवादित भएको भए धेरै राम्रो हुन्थ्यो । सर्वसाधारण किसान, व्यापारी, कर्मचारीका समस्याहरु के छन्, ति समस्याहरुको संविधानमा सम्बोधन कसरी गर्न सकिन्छ त्यस अनुरुपको प्रश्नावली वैज्ञानिक र व्यवहारिक हुन्थ्यो । हामी सहमतिय प्रणालीमा गए मात्र जनताको संविधान निर्माण हुनसक्छ, कनै पार्टीविषेश या बहुमतिय प्रणलीमा गए जनताकोलागि कुनै पनि हालतमा संविधानको निर्माण हुन सक्दैन।

कस्तो महानता.....स्ववियू निर्वाचनले सँकेत गरेको नेपालको भविष्य...



मनोज झा मुक्ति


देशमा कुशल राजनीतिकर्मीको उत्पादन गर्नु, राजनीतिक संस्कार निर्माण गराउने उद्देश्यले विद्यार्थीलाईँ राजनीति गर्ने मौका दिइन्छ । विद्यार्थीले राजनैतिक सँस्कार सिकून भनेर क्याम्पसहरुमा स्वतन्त्र विद्यार्थी युनियनको चुनावको प्रावधान गरिएको छ । हुनत धेरै पहिलादेखि नै नेपालमा स्वतन्त्र विद्यार्थी युनियनको चुनाव हुँदै आएको छ । देशको धेरैवटा क्याम्पसहरुमा चैत्र ६ गते र केही क्याम्पसहरुमा चैत्र १७ गते चुनाव सम्पन्न भएको छ ।


यसपालिको चुनाव कुनै पहिलो त थिएन, तर अरु बेलाको चुनाव जस्तो पनि रह्न सकेन । यो चुनावले देशको राजनीति कुन अवस्थामा छ र भविष्यको राजनीतिक कता जाँदैछ, त्यसको संकेत गरेको छ । हुनत विद्यार्थीको चुनावमा अन्य चुनावभन्दा अलि बढ़ि नै मारिपीट, होहल्ला हुनुलाई सामान्य मानिन्छ । किनकि त्यसमा उमेरको दोष पनि रहने गर्दछ । यो कुरा बेग्लै हो कि अबत सांसद, जिविस र गाविसको चुनावमा विद्यार्थी चुनावभन्दा बढी नै होहल्ला र मारपीटको माहौल रहन्छ । त्यसमा यो पनि मान्नसकिन्छ कि सांसद, जिविस र गाविसको चुनाव लड़नेहरु विद्यार्थी राजनीतिबाट नै आएका हुँदैनन् त्यसैलेले सबैमा राजनीतिक संस्कार नभएको पनि हुन सक्छ ।


आजका युवालाई भोलीको देशको भविष्य भनिन्छ । त्यसैले सरकार र समाजको प्रयास रहेको हुन्छ कि देशका युवा शिक्षित र संस्कारित होउन । प्रसंग छ युवासँग जोडिएको विद्यार्थी राजनीतिको । यसपालिको स्वतन्त्र विद्यार्थी युनियनको चुनावमा खासगरि मधेशमा जुन नजाराहरु हेर्न पाइयो त्यसले धेरैहद सम्म नेपालको र विषेशगरि मधेशको आउने भविष्यलाई वर्णन गर्दछ । एउटा सांसदको चुनावमा जुन प्रकारको तामझाम र तरिका देखिदैन त्यस प्रकारको पजेरोमा प्रचार—प्रसारको झाँकी लगायतका चुनावी रौनक विधार्थी चुनावमा देखियो । त्यसमा पनि एउटा—दूइटा होइन ५÷५, ६÷६ वटा पजेरोमा चुनावको प्रचार गरिनु एउटा विद्यार्थी नेताको शौख थियो या बाध्यता ? या आउने भविष्यको कुनैपनि चुनावहरुमा गरिने प्रचार—प्रसारको तरिकाको तरिकाको भावि रुपरेखा ? जब एउटा विद्यार्थीको चुनावमा –जसको कुनै प्रकारको आम्दानी हुँदैन) यस प्रकारले खर्च गरिन्छ मात्र प्रचार—प्रसारमा त अन्य—अन्उचुनावमा या यी विद्यार्थी नेता नै जब देशको राजनीति गर्छन तब के गछैन् ?हो, कुनै पेशागत संघ÷संस्थाको चुनाव यदि भएको भए त्यति आश्चर्यको कुरा हुने थिएन ।


प्रचार—प्रसार बाहेक मतदातालाई खुवाउनु—पिलाउनु अलावा जेबखर्च दिने जुनप्रकारको संस्कृति बढ़िरहेको छ, त्यसले कुन प्रकारको राजनीतिक संस्कार हाम्रा भविष्यका नेताल सिखिरहेका छन् ? पहिलो कुरा कि एकटा विद्यार्थीसँग यतिका पैसा कहाँबाट आयो ?दोस्रो कि यस्ता नेताबाट भविष्यमा देशको राजनीति भ्रष्टाचार मुत्तm हुने आश कति गर्न सकिन्छ ? चुनावमा मतदान गर्नकालगि लाइनमा उभेका विद्यार्थीसँग कुनै प्यानलमा भएपनि व्यत्तिmगत मतकोलागि आग्रह गरिंदै थियो ।


एउटा पार्टीको भातृ संगठनको रुपमा चुनाव लडेपनि व्यक्तिगत रुपमा मत माग्नु, कुन प्रकारको राजनीतिक संस्कारलाई बढाबा दिइएको हो ? यदि यहि कुरा हो भने स्वतन्त्र रुपमा चुनाव किन न लडने ? के यसले पार्टीभन्दा गुटबन्दी राजनीतिलाई बढाबा दिने सँस्कार विकसित गर्न खोजिएको हो ? वा पार्टीप्रति अविश्वास राख्नुपर्छ भन्ने सँस्कारलाई बढावा दिन खोजिएको संकेत हो ? त्यसतै लाइन लागेका मतदातासँग आफ्नो जातिको उम्मेदवारलाई मतदिन भनेर खुलेआमरुपमा चिच्याउनुले जातिवाद राजनीतिलाई मलजल हालेको होइन र ?


स्वतन्त्र विद्यार्थी युनियनको चुनाव देशकालागि भावी नेता जन्माउने एउटा माध्यम हो । जुन प्रकारले अन्य चुनावपछि नेता या दलहरुसँग चुनावी खर्चको विवरण मागिन्छ, त्यसै प्रकारको प्रावधानलाई कठोरतापूर्वक पालन हुन्छ कि हुँदैन ? भविष्यको राजनीतिलाई यदि एउटा सही बाटोमा ल्याउनु छ भने यस प्रकारले भएको स्वतन्त्र विधार्थी युनियनको चुनावलाई सरकार, राजनीतिक पार्टी एवं सम्बन्धित पक्षहरुले सत्रिmयतापूर्वक जाँचगरि आफ्नो जिम्मेवारी देखाउनु अति आवश्यक देखिन्छ । यदि राजनीतिक संस्कार नै यहि हो भने त कुनै कुरै होइन ।


हामीले विचारपूर्वक मनन गर्न जरुरी छ कि हामीहरु कुन प्रकारको राजनीतिक रुपरेखा बनाउन चाहन्छौ ? यदि यस प्रकारको देशको भविष्यप्रति हामीहरु गम्भीर हुँदैनौ भने देशको भविष्य कस्तो हुने हो ? यसपालिको स्ववियु चुनावको विकृतिहरुलाई हटाउनु विषेश गरि सरकार र राजनीतिकपार्टी सबभन्दा ठूलो चुनौती रहेको छ ।

कस्तो महानता.. ? नयाँ नेपालका प्रधानमन्त्रीको गणतान्त्रिक भाषण...

मनोज झा मुक्ति
हाम्रो देशमा सबैथोक नयाँ भएको छ । नहोस पनि किन ! देशमा संविधानसभाको चुनाव नयाँ, जम्बो आकारको संविधान सभा नयाँ, राजतन्त्र फेरिएर गणतन्त्रात्मक देश भएको नयाँ, यस्ता यस्तै प्रायः धेरै कुरा नयै नयाँ नै भएर होला जनतादेखि नेता सम्म, पियन देखि हाकिम तथा कृषक, व्यापारी, पत्रकार, लेखक, मजदूर लगायत सबै तह र तप्काका मानिसहरुले नयाँ नेपाल बाहेक अरुकुरा कमै गरेका भेटिन्छन् ।
पुरै देश नै नयाँ भएको बेलामा संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपालका प्रथम प्रधानमन्त्री नयाँ नहुने त कुरै भएन । १० वर्षे जनयुद्ध पछि त्रmान्तिको बलमा प्रधानमन्त्री हुनुभएका पुष्पकमल दहाल æप्रचण्ड”को नाम वास्तविकरुपमा कर्म वहाँको कर्म अनुरुपकै रहेको प्रमाणित भएको छ । देशको प्रधानमन्त्री हुनुहुन्छ पुष्पकमल दहाल र वहाँ नै æप्रचण्ड”को नामले एकिकृत नेकपा माओवादीको अध्यक्ष हुनुहुन्छ ।
प्रधानामंत्रीको रुपमा सदन भित्र बोल्दा वा विभिन्न टोलीको डेलिगेसन लिएर जानेसँग कुरागर्दा वहाँ फूल जस्तै कोमल भएर प्रस्तुत हुनुहुन्छ र पार्टीका कार्यकर्ताहरुको बीचमा æप्रचण्ड” जस्तै विवेकहीन, हठी जस्तो कुरा गर्नुहुन्छ । अचम्मको कुरा त के छ भने जुनसुकै बेला नेपाली जनताको हवाला दिंदै आफ्नो दुइटै चरित्रमा वहाँ धेरै हदसम्म सफल हुनु भएको छ । मिठो कुरागर्दै कहिल्यै पुरा नहुने आफ्नो आश्वासनले देशी देखि विदेशी सम्मकालाई थामथुम पार्न एकातिर सफल हुनुभएकोछ भने अर्कोतिर कुराकुरामा विद्रोह गर्ने धम्की दिएर सत्तामा टिकिराख्न सफल भई नै रहनु भएको छ ।

सम्भवतः अब वहाँले आफ्नो यी चलाखीपूर्ण चालहरु आम जनता र विदेशी हीतमीतहरुले थाहा पाइसक्यो भनेर राम्ररी बुझिसक्नु भएछ, त्यसैले होला अब बोल्नै नहुने छाडा शब्दको प्रयोगगर्न थाल्नु भएछ । एउटा प्रधानमन्त्रीले सार्वजनिक ठाउँमा जथाभावी बोल्न मिल्छ कि मिल्दैन ? हाम्रो देशमा गणतन्त्र संस्थागत भइनसकेर होला नेपाली जनताहरुले गणतन्त्रमा यस्तै हुँदाहुन भनेर नै सोंचेका छन कि ? तर, आफ्नो मूलुक भर्खर गणतन्त्रको बाटोमा वामेसर्न खोजेपनि धेरै नेपालीहरुले ठूल्ठूला गणतान्त्रिक देशको नियम कानून र व्यवहारका वारेमा धेरथोर जानेका छन् । अरु गणतान्त्रिक मूलुकका प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रीहरु त त्यति छाडा हुँदैनन् क्यारे ! अनि हाम्रो प्रधानमन्त्री र मन्त्रीहरु फेरि किन छाडा भए ? मूर्ख नै हो भनौ भने प्रधानमन्त्रीले स्नातक सम्मको अध्ययन गर्नु भएको छ ।
विवेकहीन पनि कसरी मान्ने ? कहिलेकाहीं मीठो र गहकिलो कुरा पनि गर्छन नै । आम नेपाली जनता अहिले अलमलमा परेका छन् । हुनत हाम्रा प्रधानमन्त्री र मन्त्रीहरु अरुदेशको नक्कल होइन, नेपालमा बेग्लै किसिमको आफ्नो माटो सुहाँउदो व्यवस्था हुनुपर्ने धारण पनि बेला बेलामा नराखेका होइनन् । हो, यो पछिल्लो व्यवस्थाको बारेमा नेपाली जनता अनभिज्ञ भने पक्कै छन् । कतै त्यस्तै व्यवस्था अन्तर्गत नै यो जेपायो त्यो बोल्ने, आफ्नो मर्यादाको वास्ता नै नराखी बोल्ने कुराहरु त हुँदैनन् ? नेपाली जनताले सोंच्न थालेका छन् ।
एकीकृत नेकपा माओवादी र उनका सहयोगीहरुले यस्तै प्रकारको व्यवस्था ल्याउन चाहेका हुन त ? के नेपालमा ल्याउन खोेजिएको नयाँ व्यवस्थामा प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रीहरुले ठग र बहुलासरह नै बोल्ने हो त ? या मनपरि गर्नेलाई बाध्य भएर सबैले समर्थन नै गर्नुपर्ने जस्ता बाध्यता हुने हो । के यी यावत प्रश्नहरु हाम्रा नयाँ नेपालका गणतान्त्रिक प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रीहरुले आफ्नो बोली र व्यवहारले देखाइरहेका छैनन् त ? संघीय लोकतान्त्रिक गणतनत्र संत्रmमणकालिन अवस्थामा रहेको बेलामा आफ्नो जिम्मेवारी गम्भिरताका साथ प्रधानमन्त्री र मन्त्रीहरु तथा सहयोगी, विपक्षी या तथस्टरुपमा बसेका दलहरुले बहन गरेनन् भने नयाँ नेपालमा हुने नयाँ व्यवस्था वास्तवमा विश्वसामु नमूना नै बन्ने छ, सकारात्मक होइन कि नकारात्मकरुपमा । हामी र हाम्रो देश असफल र छाडाको पार्यायवाची नबनौं । नेपाल र नेपालीहरुको शान र मान बढाउन नयाँ नेपालका गणतान्त्रिक प्रधानमन्त्रीज्यूले नयाँ ढँगले शुरुवात गर्ने हो कि ? आफ्ना विकृतिहरु हटाएर !