Tuesday, August 17, 2010

कुर्सीक खेलमे ढुलमुलाइत देशक संविधान !


मनोज झा मुक्ति
    देशमे चारिम वेर वएह दूटा पहलमान प्रधान मन्त्रीक लडाईएकलेल अखाड़ामे आई ठाढ़ हएत । प्रधानमन्त्री पदकलेल एक्कहिटा व्यक्ति तीनबेर हारिकऽ चारिम वेर प्रतिपस्र्धा कएनिहारमे संसारमे संभवतः पहिल व्यक्ति होएताह पुष्पकमल दलाह‘प्रचण्ड’जी आ रामचन्द्र पौडेलजी । आ ओहुना एहन अदभूत साहस एवं हिम्मत नेपालेक नेतामे देखाइ देत ।
    ए.माओवादी आ नेपाली काँग्रेस फाँड़ बान्हिकऽ भिडल अछि अपना÷अपना नेताके प्रधानमन्त्री बनएवाकलेल । चुनावी प्रतिस्पर्धासँ बहार भऽ सबके चीत्त कऽ अपने प्रधानमन्त्री बनवाक दाओमे बैसल एमाले, कहियो एम्हर आ कहियो ओम्हर ढुलमुलाइत आन÷आन पार्टीसब सबकेसब अपने दाओमें अछि । तहिना संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा सेहो अपने दाओमें गबदी मारने बैसल अछि ।
    एहिसँ पहिने तीनुबेर भेल चुनावमे मधेशी मोर्चा तथस्टरुपमे सदनमे प्रस्तुत भेल । तहिना एमाले आ किछु आर पार्टीसब सेहो अपन तथस्टता देखौलक । मुदा सबसँ बेसी चर्चामे अछि मधेशी मोर्चा । अखनधरि प्रधानमन्त्री नईं बनऽमे सबसँ वेसी केओ दोषी मानल जाऽरहल अछि त ओ अछि–मधेशी मोर्चा । मोर्चापर नाना प्रकारक आक्षेप लागि रहल अछि । केओ कहैत अछि जे देशके मोर्चा अनिर्णयके बन्दी बना देने अछि , त केओ कहैत अछि जे मोर्चा ककरो इशारापर ई खेल खेलि रहल अछि । तहिना....आन बहुत तरहक आरोपसँ सूचनाक बजार गर्म अछि ।
    मधेश आन्दोलनक वादसँ नेपालक इतिहास जौं देखी त नेपालक सरकार बहुतोवेर मधेशकसँग मौखिक आ लिखित सहमति जनौने अछि, मुदा कार्यान्वयन कतेक भेल से सबहक सोझामें अछि । ओना एहिमे मधेशक दलसब सेहो दोषी छथि जे कुर्सीक लोभमे मधेश मुद्दाके कात कऽ दैत रहैत छथि । नेपालक सरकार मोर्चेसँगे नहि–आदिवासी जनजाती, दलित, महिला, कर्णाली, अपाँग ...आर बहुतोक सँग मौखिक या लिखीत सम्झौता कऽ चुकल अछि आ विसरिगेल अछि ।
    जौं अखन नेपाली काँग्रेसक बात सुनव त, काँग्रेसक कहब अछि जे २२ दलक मोर्चा एकताबद्ध रहवाक चाही, जेना काँग्रेस एमालेके प्रधानमन्त्री बनवऽमे सहयोग केने छल तहिना एमालेके सेहो सहयोग करबाक चाही । देशमे लोकतान्त्रिक सरकारक निर्माणक बात कसिकऽ काँग्रेसद्वारा उठाओल जाऽरहल अछि ।
    एमालेक अध्यक्ष झलनाथ खनाल अपने दाओमे व्यस्त छथि । कोनो तरहे प्रधानमन्त्रीक कुर्सीपर बैसिकऽ अपन जीवन सफल बनएवाक प्रयासमें ओ देशमे राष्ट्रिय सहमतिके सरकारक गप्प करैतछथि । ‘मान न मान, मैं तेरा मेहमान’ बला कहवीके जीवन्तता दैत सब दलकेँ ओ राष्ट्रिय सहमतिके सरकार बनयवाक सलाह दैत छथि ।
    एम्हर गल्तिसँ प्रधानमन्त्रीसँ राजिनामा देआगेल ए.माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड अपने नेतृत्वमे राष्ट्रिय सहमतिक सरकार निर्माणकलेल आ नईं त बहुमतीयोरुपमे प्रधानमन्त्री बनवाकलेल दिन–राति एक कऽदेने छथि । अपना अतिरिक्त हूनका अपना पार्टीक कोनो नेतापर भरोसा नहि छनि । प्रधानमन्त्री बनवाकलेल ओ किछु करबाकलेल तैयार नजरि अवैत छथि ।
    तहिना, चारिटा मधेशवादी दल मिलिकऽ बनल संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा सेहो एहि खेलमे अपनासँगे कएलगेल सम्झौतापर फेरसँ प्रतिवद्धता करएवाक जागाड़में लागल अछि । ओना राष्ट्रिय सहमतिक सरकारपर अपन दावा सेहो मोनेमोन मोर्चा कएने बातक हवा सेहो बुद्धिजीविक बजारमें चलैत अछि ।
    जहन सब पार्टी अपना–अपना दाओमे लागल अछि, तहन कोनो एक्कहिटा पार्टी या व्यक्तिके सम्पूर्ण दोष देव कतेक उचीत अछि ?
    कहल जाइत छैक,‘राजनीतिक, प्रेम आ द्वन्द्व अर्थात लडाईमे सबकिछु जाएछ छै’ । अपन समर्थन करबाकलेल– पहिने ककरो प्रेमसँ, तकरावाद लोभसँ, तकरावाद धम्कीसँ आ तत्पश्चात लाञ्छना लगाविकऽ अपना दिस लाएव बला सब चलि अखनधरि मधेशी मोर्चालग विफल भऽरल देखि नेपालक पैघ पार्टीसबके तिलमिलाएब स्वभाविक छैक ।
    अपना आपके मधेशक हितैषी कहऽवला एवं सबदिन मधेश मतपर सरकारक गाडीके ड्रइवर बनल नेपाली काँग्रेस जहन मधेश प्रदेश आ नेपाली सेनामे मधेशीके सामूहिक प्रवेशके मुद्दा सामने एलै त किए पाछा हटलैक ? अहिना, अपना कार्यकर्ताके सुनियोजितरुपसँ प्रयोग ककऽ मधेश आन्दोलनक विरोध करौनिहार एवं अपनाके मधेशीके असली हितैषी कहऽबला एमाले किया मधेशी मोर्चाक माँगपर मौन वैसि अपने दाओमे बैसल अछि ? तहिना, मधेश मुद्दामें अखनधरि अपना आपके सबसँ आगा रहल नारा दैत ए. नेकपा माओवादी किए सेनामे सामुहिक प्रवेश आ स्वायत्त मधेश प्रदेशक माँगपर पुनर्विचारके बात करऽ लागल ?
    जहन काँग्रेस, एमाले, ए.माओवादी अपनाके मधशी जनताके सबसँ पैघ हितैषी कहवामे गर्व करैत अछि, सब पार्टीमें मधेशी मूलक नेताकेराखि अपन मधेश भक्ति दर्शयवाक जहन ढोंग नहि त, मधेशक जायज माँगपर किए पुनर्विचारक गप्प ? कि जौं नेपाली सेनामें मधशीक सामूहिक प्रवेश होएतैक तहन मात्र तमलोपा, फोरम, फोरम लोकतान्त्रिक आ सद्भावने पार्टीक कार्यकर्ता नेपाली सेनामे जयतै ? आकि सब मधेशीक बच्चाकलेल रस्ता खुजतै ? जौं मधेशी मोर्चाक माँग गलत छई, तहन अपना–अपना पार्टीमें मधेशीक पद आरक्षित करवाक नाटक किएक ?
    एम्हर मधेशी मोर्चा सेहो कखनो एक रहैत अछि त कहियो घटक दलक कोनो नेताक व्यक्तिगत या पार्टीगत स्वार्थमें परिकऽ निष्कृय भऽ जाइत अछि । कहियो मोर्चाक कोनो घटक एसगरे ककरो सरकारमे जाकऽ मन्त्रीमण्डलके कुर्सीपर विराजमान भऽ जाइत अछि त कहियो कोनो दोसर घटक । आशाकरी जे एहिबेरुका पुनर्जिवीत मधेशी मोर्चा कोनो एकटा घटक दलक स्वार्थक शिकार नहि बनय ।
    देश, अखन नव संविधान लिखवाक क्रममे अछि आ सब दल अपने–अपने बाजा बजावऽमे मस्त । जौं वास्तविक अर्थमे दलक नेतासब नेपाली जनताकलेल÷नेपाल देशकलेल राजनीति करैत छथि त नेपालक हरेक कोनामे रहल जनताक भावनाके बुझहिटा पडतैनि । हरेक नेपालीक समस्याके अपन समस्या मानहिंटा पड़तैनि । तहने देश विकास एवं समृद्धि सड़कपर यात्रा कऽ सकैय । सबसँ पहिने जरुरी अछि देशमे आम जनताक भावनाके समेटिकऽ बनल नव संविधानक निर्माण आ तकरालेल जरुरी अछि देशमे राष्ट्रिय सहमतिक सरकार, मुदा प्रधानमन्त्रीक कुर्सीक खेलमे निर्माणधिन संविधानक बात अखन गौण अछि । देश आ जनताकलेल राजनीति कहियासँ शुरु होएत....भगवाने जानथि ।

Monday, August 9, 2010

महोत्तरीक यूवाके देशव्यापी अभियान


                        मनोज झा मुक्ति
    ‘अपना गामठामक विकास करबाकलेल सरकारी पाई, एन.जि.ओ. या आ.एन.जि.ओ.क आवश्यकता नहिं अछि, आवश्यकता अछि त सकारात्मक दृष्टिकोणकेँ आ अपना माटिप्रतिक आस्था एवं आत्मबलकेँ’ यैह नारा लऽ कऽ महोत्तरी जिलाक यूवा शंखनाद कएने अछि– देशके सुन्दर बनएवाक अभियानकेँ ।
    जौँ पाइयक बलपर विकास भऽ सकैत त नेपालक सभ गाम स्वर्ग भऽ गेल रहैत । नेपालक कोनहुँ स्थान विकाससँ बञ्चित  नईं रहैत । सरकार नेपालक प्रत्येक गामें प्रतिवर्ष २० सँ ३० लाख अनुदान दैत अछि, जिला विकास समितिक मादे अरबोक बजेट रहैत अछि विकासकलेल से अलग सँ । एकरा अतिरिक्त सभासद सबके क्षेत्र विकासलेल बजेट भेटैत अछि तकर बाते छोडु । तहिना समाज आ देशक विकास हेतु एन.जि.ओ. आ आ.एन.जि.ओ. मार्फत नेपालमे प्रति वर्ष खरबो रुपैया अवैत अछि ताइसँ कतऽके विकास होइत अछि, भगवाने जानथु ।
    चाहे गामक कोनो पार्टीक नेता हुए जे गामक विकासकलेल गा.वि.स.के प्रतिनिधि बनल करैत छथि या जिला विकास समितिमे पार्टीक प्रतिनिधि बनैत छथि, जँ ओसब अपना कर्तव्यप्रति कनिक्को सचेत रहितथि त नेपालक गामसब पूर्ण नहि त बहुत विकसीत भऽगेल रहैत । अपना गामकलेल या जिलाक लेल आएल बजेटमेंसँ कमीशन खाकऽ कागजपर विकासक काज गा.वि.स. सचिव आ जि.वि.स.क एल.डि.यो.सँ करौनिहार नेतेसबके एहि तरहक रवैया अछि तहन कोना भऽ सकत नेपालक विकास ? आश्चर्य त तखन लगैत अछि जखन देश विकासक लेल आएल बजेटके खएनिहार नेतासब अपनाके देश आ जनताक हितैषी आ अगुवा कहैत नईं थकैत अछि । ईमान्दारी आ सत्यपर सँ आम जनताके विश्वास उठाबऽमे नायकक भूमिकामे रहल अधिकांश कमिशनखोर नेताक कारण किछु ईमान्दार एवं नैतिकवान राजनीतिकर्मीसब अनेरे बदनाम भेल करैत अछि । ताँए जरुरी अछि आम जनतामे आत्म विश्वास जगएवाक आ सत्यपर भरोषा बढएवाक । आ एकर शुरुवात कऽ रहल अछि, महोत्तरी जिलाक किछु यूवासब ।
महोत्तरीमें अभियानमे लागल यूवाक कहब छन्हि– ‘अपना गामठामक विकास करबाकलेल सरकारी पाई, एन.जि.ओ. या आ.एन.जि.ओ.क आवश्यकता नहिं अछि, आवश्यकता अछि त सकारात्मक दृष्टिकोणकेँ आ अपना माटिप्रतिक आस्था एवं आत्मबलकेँ’ । ओसब अभियानक शुरुवात कऽ रहल छथि–वृक्षारोपणक काजसँ । जखन हुनकासबसँ जिज्ञासा राखल गेल, कि वृक्षेरोपण किया ? त हुनक कहब छन्हि–‘ गामघर या जिलामे जत्र–तत्र व्याप्त भ्रष्टाचारके एक्कहिवेर कम नहि कएल जा सकैय । कोनो गाममे जौँ कोनो विकास निर्माणक काज होइत अछि त स्थानिय नेता, कार्यकर्ता या यूवा ओहि काजमे निक जकाँ अभिरुचि लैत अछि । मुदा दुर्भाग्यक बात हूनका सबमेंसँ ९८ प्रतिशत लोकक अभिरुचिक अभिप्राय रहैत छन्हि–कमिशन लेवाक, काज चाहे कागजेपर किए नई भऽ जाय । ताँए, पहिने काज कएल जाए तकरा बाद कर्मचारी, जनता आ नेताके सचेत करबाक काज शुरु हुए ।’
अपना अभियानक शुरुवात ओसब नेपालक गाम–ठाममें वृक्षारोपण क कऽ करऽ चाहैत छथि । हुनकसबहक कहब छन्हि–‘काज ककरो देखयवाकलेल नहिं होएवाक चाही, अपना आपसँ इमान्दारिता करैत काज करैत जाउ, लोक चाहे जे कहय । जँ नीक काज करबई त दुश्मनो के ई कहैएटा पडतैक जे–‘....ओना त छौंडा बदमाश अछि, मुदा काज नीक कऽ रहल अछि ।’ एहि उद्देश्य ल कऽ हमसब जतबे सकब, सबहक सहयोगसँ नेपालक कोना–कोनामें वृक्षारोपण करब आ कराएब । ओसब अपना वृक्षारोपणक अभियानमें आम देशवासी सँ एहि तरहक अनुरोध कएल करैत छथि–‘ हमरा सबहक वृक्षारोपणक अभियानमें  जँ आँहाँ सहयोग करऽ चाहैत छी त, एकटा बाँस दऽ दिय नहिं त एकटा कोनो फूलक या फलक गाछ दऽ दिय । जँ से नहि त एकदिन आबिकए पानि पटा दिय, नहिं त सप्ताहमे आधा घण्टा आबिकऽ वृक्षारोपण स्थलमें बैसि जाऊ । जँ आँहाँलग समयक आभाव अछि, आँहाँ कर्मचारी छी त अपना गाम गेल वेरमे अपना खेतमे या दरबज्जापर एहि अभियानक नामपर एकटा अपना नीक लागऽबला वृक्ष लगालिय, आ नहिं त जँ आहाँके ई अभियान नीक लगैय त कम स कम हमरा अभियानी मीत्रके हौसला बढादिय । हमर स्वार्थ याह अछि जे केओ कतौ गाछ–वृक्ष लगाओत या लगौने हायत त ओकर आक्सिजन हमहुँ लेब आ सबकियो लेत, बटोहीके रौदमे छाहरि भेटतैक एवं बहुतो गरीबकेँ घरक आँचकलेल ओकर पात काज औतैक । ताएँ सब गाम–शहरकेँ फूल आ वृक्षसँ सजाबी, जतऽ किछुदेर कियो वैसिकऽ स्वच्छ हावा लऽ सकय ।’
तहिना ओ सब कहैत छथि जे जतेक नेताके देखू सब देशे विकासके बात करत । आर्मी, पुलिस, कर्मचारी देशक या कहु माटिक सपथ खाइत रहत । पत्रकार या बुद्धिजीवि दिन–राति देशक उन्नतिक गप्प करैत नईं थाकत । जे अपनाके जनता कहैत छथि ओ सब दिन–राति नेतासबके गारि पढैत नहिं थकैत छथि जे नेतासब देशके बेच देलक । एकर मतलब जे गारि पढनिहारक भीतर सेहो देश या कहु माटिप्रतिक सिनेह छन्हि ताईमें दू मत नहि । एहि बातक विश्लेषण करैत अभियानी यूवा सब  सम्पूर्ण नेपाली सँ एहि तरहें अभियानमे जुटवाक आग्रह करवाक सोंच बनैने छथि–‘सबकियो अपन काज करैत अपना माटिकलेल किछु कऽ सकैत छी । जौँ आहाँ किसान छी, सबदिन अपना खेतमे काज करु आ ४÷५ दिनमें एक घण्टाकलेल कोनो दोसर चौरी÷बाधमे टहलि जाऊ आ ककरो खेतक लगाओल बालीमे कोनो प्रकारक रोग या गड़बड़ी देखाइत अछि त सम्बन्धित किसानकेँ सलाह दऽ दियौक । जौँ आँहाँ शिक्षित छी आ अपना कोनो काजमे लागल छी या कर्मचारी छी त अपना ड्यूटीक अतिरिक्त प्रतिदिन÷दूदिनक एक घण्टा नियमित रुपसँ ओतुक्का बच्चाके पढ़ा देल करियौ । एहिं तरहें अपन काजके हर्जा नहिं करैत, अपन नियमित जेब खर्चमे कटौति ककऽ अपना धर्तीकलेल बहुत किछु कऽ सकैत छी । जँ हमसब एहि तरहक काज करबैक त विकासक नामपर पाइ हजम करऽबला सबके आँखिमे अवश्य लाज लगतैक आ एकदिन हमरो धर्ती हँसबेटा करतैक ।’
 महोत्तरीक यूवाक अभियानक आहाँके नीक लगैय, जौं अहुँ एहि अभियानक सहयात्री बनऽ चाहैतछी त जुटि जाऊ आइए सँ आ अहुँ शंकनाद कऽ दिय अपना गामे वृक्षारोपणक अभियानकेँ । 

मधेशवादी मोर्चा आ देशक राजनीति



–मनोज झा मुक्ति
देश अखन सरकार बिहीन अवस्थामें अड़कल अछि । प्रधानमन्त्रीकलेल अपन–अपन दावेदारी प्रस्तुत कएने नेपाली काँग्रेसक संसदीय दलक नेता रामचन्द्र पौडेल आ एकिकृत नेकपा माओवादीक अध्यक्ष पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचण्ड’ दू वेर हारि चुकल छथि । नैतिकता बिहीन राजनीति होवऽबला एहि देशमे दूनु हरलहवा नेता फेरसँ तेसरोबेर चुनावी अखाडामे उतरवाकलेल तैयार अछि ।
अखनधरि २२ दलक सहयोगसँ सरकार चलवैत आएल नेकपा एमाले अपना पार्टीएमे मानसिक मल्लयुद्धमे व्यस्त अछि आ ककरो समर्थन देवऽसँ वेसी अपने सरकारक नेतृत्व करबाक फिराकमे रहल अछि । त आन–आन छोट दलसब फेरसँ वेचाराक भूमिकामे नजर आबि रहल अछि । दोसरदिस २४० वर्षसँ शोषणक शिकार होइत आएल, देशक आधा जनसंख्या रहल मधेशी जनताद्वारा चुनाकऽ आएल मधेशवादी दल अखुनका सरकार बनयवाक खेलसँ पहिने अपने–अपने गीत आ अपने–अपने राग गवैत छल, मुदा अखन आविकऽ बुझाइय मधेशवादी दलसभके सदबुद्धि आबिगेल अछि आ सबहकलेल मधेशमुद्दा वास्तविकरुपमे पहिल प्राथमिकतामे पड़ल देखारहल अछि ।
मधेशवादी दल सबहक मधेशमुद्दापर एक होएव आम मधेशी समुदायमे फेरसँ आशाक किरणक संचार अछि । संविधानसभा चुनावक वादसँ बनल सरकारसबमे जएवाक मधेशवादी दलसबहक रवैयासँ आम मधेशी जनताक भावना एहि दलसबसँ लगभग–लगभग मृत्य जकाँ भऽगेल छल । मधेशवादी दल सबहक एकता एकप्रकारक आशाक लहर मधेशी समुदायमे लाएल अछि त दोसरदिस आम मधेशी जनता एहि एकताके मधेशमुद्दा वास्ते मजबूत बनैत देखऽ चाहिरहल अछि आ मधेशवादी दलसबहक विगतसँ सशंकित सेहो अछि ।
मधेशवादी दलसब अखन एकिकृत माओवादी आ नेपाली काँग्रेसक आगा समर्थन करवाक आधार–पत्र प्रस्तुत कएने अछि । मधेशवादी दलसबहक आधारपत्र विशुद्ध रुपसँ आम मधेशीक अन्तरात्माक भावना अछि । मधेशवादी मोर्चाक आधार–पत्रके विश्लेषण करबामें नेपाली संचार माध्यमसब फेरसँ अपन नैतिकता देखाबि रहल अछि जे ‘नेपालक संचार माध्यम आ संचारकर्मीक मनसाय अखनधरि कुत्सिते अछि, अर्थात नेपाली संचार आ संचारकर्मी अखनो पत्रकारिताक मूलमर्म नहिं सिखने अछि ।’ नेपाली संचारकर्मीसब मधेशवादी मोर्चाक आधारपत्रके शर्त, ब्ल्याकमेलिंग त आरो कि कि संज्ञासँ सुशोभित कऽ रहल अछि । पत्रकारिताक मर्यादा नईं बुझल जकाँ जथाभावीरुपसँ समाचार प्रकाशन÷प्रशारण ककऽ विकासशील नेपाली पत्रकारिताक खुलेआम धज्जी उडाओल जाऽरहल अछि । समाचार लिखवासँ पहिने पूर्ण जानकार होयब आवश्यक मानल जाइछ पत्रकारितामें, मुदा समाचारमें विरोधाभासपूर्ण शब्दक प्रयोग मधेशी मोर्चाप्रति करब कतेक उचीत अछि ?
सरकार बनयबाकलेल मधेशी मोर्चाद्वारा राखल गेल आधार–पत्रमें कोनो नयाँ विषयक समावेश नहिं कएलगेल अछि । सब पुरने विषय÷मुद्दा अछि जे संविधान सभाक चुनावसँ पहिने फागुन १६ गते वालुवाटारमे तात्कालीन प्रधानमन्त्री स्व.गिरीजा प्रसाद कोइराला, तात्कालिन एमाले प्रमुख एवं अखुनका कामचलाउ प्रधानमन्त्री माधवकुमार नेपाल आ तात्कालिन माओवादी रहल अखुनका एकिकृत नेकपा माओवादीक अध्यक्ष पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचण्ड’ आ संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा बीचक भेल हस्ताक्षरीत सहमतिक विषयसब मात्र अछि जे एतेक दिनधरि पुरा नई कएलगेल । हँ, एकटा माँग मात्र नयाँ अछि साझेदारी वनबला, जे देशमे सामुदायिक वनके नामपर भऽरहल जंगल विनाश रोकवाकलेल अछि । कि नेपालक संचारमाध्यमसबके ओ फागुन १६क सम्झौता विसरागेल छैक ? जँ नहिं विसराएल छैक त हस्ताक्षरीत सहमतिके कार्यान्वयन करबालेल लिखऽमे नेपालक पत्रकारसबके मसी किया सुखा गेलैक ? मधेशी मोर्चाक आधारपत्रके अनर्गलरुपसँ प्रचार करबमे पत्रकारक सोंचमे बीझ किया लागि गेल छैक ? मुदा नेपालमें एहन बात सामान्य अछि । एतऽ पत्रकारिता कम आ विरोधाभाष विश्लेषण बेसी भेल करैत अछि । ओना पत्रकारिताक ज्ञान नहिं होएब सेहो एकर कारण अछि ।
आरो जे जेना हुए, मधेशी मोर्चा सेहो एतऽ गल्ती करऽ जारहल अछि । एक्कहिटा विषयपर कएवेर लिखित प्रतिवद्धता ? ककरा–ककरासँग प्रतिवद्धता ? जखनकि सबके बुझल अछि जे नेपालक नेता प्रधानमन्त्री या मन्त्री बनवाकलेल कोनो प्रतिवद्धता कऽ सकैया । प्रतिवद्धता या हस्ताक्षर ककऽ विसरि जाएब नेपाली राजनीतिकेँ पुरान आ चलन–चल्तीके दर्शन बनिगेल अछि । मधेशी मोर्चाके कोनो दलसँ या नेतासँ लिखित प्रतिवद्धतासँ वेसी ओकर कार्यान्वयनक प्रतिवद्धता लेवाक जरुरी अछि । मधेश सबदिनसँ अधिकारसँ बन्चित होइत आएल अछि । कहियो संविधानसभा चुनावक संभव करऽलेल सम्झौता करबालेल मधेशके बाध्य करलगेल त अखन नव सरकारक निर्माणकलेल ककरो समर्थन करबाक दवाव मधेशपर अछि । मुदा, सबदिन देश आ आन नेता एवं पार्टीकलेल सबकिछु करैत आएल मधेशके अपनालेल आब सबकिछु बिसरिकऽ सोंचहिटा पड़तैक ।
२४० वर्षसँ मधेशी, आदिवासी, दलित आ जनजातीसब ठकाइत आएल इतिहास अछि । देशमेभेल कोनो प्रजातन्त्रक आन्दोलनमें मधेशक जनता सबसँ पहिने बिगुल फुकने इतिहास अछि । मधेशमुक्तिकलेल मधेशी जनता कहियो राणाक विरोधमें त्रिभूवनके क्रियाशील करऽमे अपन जानक वाजी लगौलक त कहियो वि.पी. कोइरालाक आव्हानमे भेल प्रजातन्त्रक आन्दोलनमे अपन शहादत देलक । चाहे २०४६सालक आन्दोलन हुए या २०६२÷६३क जन आन्दोलन, सब लडाईमे मधेश खुला हृदयसँ अपन सर्वस्व लुटवैतगेल । मुदा बदलामे मधेशके भेटल अपमान आ अपहेलना । नेपाली राजनीतिके इतिहासमे मधेशीक हक,अधिकारके सबदिनसँ दबाओल गेल भेटैत अछि । एतेक दिनसँ मनमे दवाओल पीड़ा आखिर कण्ठसँ उपरभेल आ फलस्वरुप मधेश आन्दोलनमे बहुतो मधेशी सपुत अपन शहादत देलक । मधेश आन्दोलन–२क वाद लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चासँगे तात्कालिन प्रधानमन्त्री आ देशक पैघ दलक नेता सब लिखित सम्झौता कैलक आ देशमे संविधानसभाक चुनाव संभव भेल ।  संविधानसभाक चुनावमे मधेशी जनता विभिन्न मधेशवादी दल एवं गैर मधेशवादीदलमे अपन प्रतिनिधिके चुनिकऽ पठौलक । गैर मधेशवादीदल  मधेशक नामोधरि उच्चारण नहिं केलक त मधेशवादीदलसब सेहो अपना मुद्दासँ भटकैतगेल आ कुर्सीक खेलमें लागल रहल जकाँ प्रतीत होइतगेल, ओना बीच–बीचमें मोर्चाकसँग कएल सहमतिक वात उठबऽ नईं बिसरैत छल । अखन आबिकऽ सब मधेशवादीदलकेँ अपन मधेशी जनताकसँग कएल वादा बुझाइय याद आएल आ नयाँ सरकारक निर्माणमे अपन निर्णायक भूमिकाकेँ आम जनताक पक्षमे प्रयोग करबाक काजमे लागल अछि । कनो पार्टीके सरकार बनबऽमे सहयोग करबासँ बेसी राष्ट्रीय सहमतिक सरकारक निर्माणके बात जे मोर्चा उठौने अछि तकरा दृढता पूर्वक निर्वाह करब सँनकाज मोर्चाकलेल सँजिवनी भऽ सकत । तहिना जँ बहुमतिय सरकार देशमे बनैत अछि त मोर्चामें सहभागी मधेशीदल सबके सरकारमें मन्त्री बनवासँ परहेज करहिटा पडतैन । किया त मन्त्री बनलाकवाद अपन मुद्दा कतेक याद रहि जाइत छैक से मोर्चामे रहल सब दलके नीकजकाँ अनुभव छन्हि, सबकियो सरकारी घोडापर फेराफेरी सवारी कसि चुकल छथि ।
देखवाक ई अछि जे वास्तवमे मधेशवादीदलसब मोर्चा बनाविकऽ मधेशक माँगके पुरा कराओत, नयाँ संविधानक निर्माण कराओत या मात्र एकरा कुर्सीक भागवण्डामें सीमीत ककऽ राखिदेत ! आशाकरी मधेशी मोर्चाद्वारा मधेशी जनताक मोनमे जगाओल आशके मोर्चा विश्वासमें परिणत ककऽ छोडय ।

कि मात्र खसे'नेपाली' भाषाक लेल अछि प्रज्ञा प्रतिष्ठान ?

 
                                       
    २२ जुन १९५७ ई.मे तात्कालिन शाह वंशिय राजा महेन्द्रद्वारा भाषा,साहित्य, कला, संगीत, नाटक एवं संस्कृतिक संरक्षणकलेल नेपाल साहित्य कला एकेडमीक नामसँ स्थापना भऽ ३ मार्च १९५८ ई. मे पुनः नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठान अर्थात नेपाल एकेडमी नामाकरण कएलगेल एहि एकेडमीसँ देशमे रहल ९२टा भाषा मध्ये मात्र नेपाली भाषाक ,साहित्य, कला, संगीत, नाटक एवं संस्कृतिक विकासलेल काज होइत आएल अछि ।
राजनीतिसँ जकडागेल एहि प्रतिष्ठानक सम्बन्धमे  विद्वान लोकनि दुःखित छथि । अवधि भाषानुरागी  एवं लेखक दिजग्वजय मिश्र, प्रज्ञा प्रतिष्ठानमे अवधि भाषी विद्वानके जगह नई भेटवामे राजनीति आ अवधि भषाप्रति भेदभावक संज्ञा दैत छथि ।  दिजग्वजय मिश्र मात्र नहिं, नेपालक बहुत भाषाभाषीके संग पहिनहिंस प्रतिष्ठानक रवैया भेदभावक रहैत आएल अछि ।
     प्रज्ञा प्रतिष्ठान अपना स्थापनाक ४२ वर्षक आयुमे लगभग पच्चिस सालसँ निरन्तर पुस्तक छपवैत आएल अछि । आ ओहो मात्र राज्यद्वारा संरक्षित नेपाली भाषाके । एहि पच्चिस वर्षमे प्रतिष्ठान प्रतिवर्ष २०सँ२५टा पुस्तक निकालैत अछि । जौं एहि संख्याके मानी त अखनधरि लगभग एतसँ पाँचसय पुस्तक बहराएल अछि । नेपालमें मैथिली भाषा भाषीक संख्या नेपाली भाषीकवाद दोसर रहितो, सरकारी उपेक्षाक कारण एतेकवर्षमे नेपाल एकेडमीसँ मैथिलीके मात्र ११ टा पुस्तकक प्रकाशन भऽ सकल अछि । जकरा वर्तमानक मैथिली भाषी प्राज्ञ रामभरोस कापडि स्विाकारैत छथि । हुनका अनुसार एहिसँ पहिनुका मधेशमूलक प्राज्ञसब साहित्य विधासँ प्रत्यक्ष जुड़ल नई रहवाक कारणे मैथिलीपर विषेश काज नई होबऽ सकल । ओ कहैत छथि,‘पहिनुका समयमे ओहन वातावरण नईं छल ताहु कारणे मैथिलीके अपहेलनाक शिकार होमऽ पड़ल, मुदा हम प्रयासमें छी ।’
 परम्परागत शैलीमे अपना कार्यक्रमके प्रस्तुत करैत आएल एकेडमी, आन आन भाषाक नव साहित्यकारकलेल अभिषापे जकाँ बनल अछि । पहिनहीसँ एकेडमीक कार्यक्रममे सहभागि होइत आएल साहित्यकार,कविके कोनो कार्यक्रममे बजेबाक परम्परा अखनो चलि रहल अछि ।  कहबीए वनिगेल छैक, ‘एकेडमीक नजरिमे साहित्यकार बनवाकलेल या त अपन केश पकाव परत नई त जीहजुरिया करऽ परत ।’
  ओना भोजपुरी भाषाक कवि आ प्रज्ञा प्रतिष्ठानक प्राज्ञ ,दिनेश गुप्ता कहैत छथि,‘पहिने  मात्र केशपाकलवला, एक बित्ता आँखि भितर धँसल लोकके मात्र प्राज्ञ प्रतिष्ठान कवि या साहित्यकारक रुपमे सम्मानित करैत छल । मुदा आब एहि सोंचमे व्यापक परिवर्तन होेएत, बुढ़क अनुभव आ युवाक क्षमताके सम्मान भेटवाक परम्पराके शुरुवात होयत ।’ प्रतिष्ठानक अखनधरिक रवैयासँ परेशान आन आन भाषीके आव बेसी अफसियाँत नहि होयबाक बात ओ सेहो कहैत  छथि ।
     नेपालमे राजतन्त्रक समाप्तिक आ गणतन्त्र प्राप्तीकवादो प्रज्ञा प्रतिष्ठान अर्थात नेपाल एकेडमी अपन पुरने रंगमे रंगल अछि । आशाकरी नीतिमे परिवर्तन भेलाक बाद एकेडमीक उपकुलपति,प्राज्ञसभ, परिषदक सदस्यसभ एवं कर्मचारीक नीयतिमे परिवर्तन हुए आ नेपाल एकेडमी मात्र नेपालीए भाषाक एकेडमी नईं भऽ देशमे रहल ९२मे ओटा भाषाक सझिया एकेडमी बनय ।

अमर शहिद दुर्गानन्द जिनक सपना छल गणतन्त्र

                                    –मनोज झा मुक्ति
 
महान शहादतः शहीद दुर्गानन्द झाक तस्विरलेने शहीद पत्नी काशी देवी झा
 देश अखन दोसर गणतन्त्र दिवस मनावि रहल अछि । गणतन्त्रक परिभाषाधरि नीक जका नई बुझने सरकारमे रहल एवं विपक्षीक भूमिका निर्वाह करैत आएल पार्टीसबक रवैया दुर्गानन्द झा सनक शहादतपर पानि फेरैत बुझारहल अछि । गणतन्त्रक मतलव मात्र मनमौजी बुझने नेतासब एहू गणतन्त्रक दिवसपर सुधरत कि ? दुर्गानन्द झा सबहक आत्मा सबहक हिसाब राखि रहल अछि । कि दुर्गानन्दक शहादत एहिलेल छल ?
गणतन्त्र स्थापनाक धुनमे बीसोवर्ष पूरा नहि कएने दुर्गानन्द झा, राजा महेन्द्रके उपर २०१८ माघ ९ गते जनकपुरधामक जानकी चौकपर बम प्रहार कएने रहथि । हँसैत–हँसैत, बिनुकोनो लोभ लालचमे फँसने २०२० माघ १५ गते शहादत प्राप्त कएने दुर्गानन्द झाक बलिदान आई देशमे गणतन्त्र एलाकबादो गणतन्त्रके ताकि रहल अछि, जकरालेल ओ बलिदान देने रहथि ।
विद्यालयमे अध्ययन करितेकाल २०१५ सालक प्रथम आम निर्वाचनमे प्रजातन्त्रक पक्षमे अपनाके होमिदेने  दुर्गानन्द,  राजा महेन्द्रद्वारा २०१७ पुस १ गते संसद आ संसदीय सरकार विघटन कऽ प्रजातन्त्रवादी नेतासबके जेलमे राखिदेवाक सामाचार सुनिते मर्माहत आ क्षुब्ध भऽगेलथि । भारतीय स्वतन्त्रता संग्रामक वीर सेनानी भगतसिंह आ चन्द्रशेखर आजादक जीवनीसँ प्रभावित दुर्गानन्द, प्रजातन्त्रक हत्याराके नहि छोडवाक विचार कएलथि ।  आपन मायबाबुक एक मात्र सन्तान आ नवविवाहिता युवक भेलाकवादो दुर्गानन्द अपन लक्ष्यमे अडिग रहथि । 
 २०१८ माघ ८ गते बम लऽ कऽ रातारात जनकपुरधाम पहुँचल दुर्गानन्द झा प्रातभिने अर्थात माघ ९ गते जानकी चौकपर साँझ पाँच बिजे दिस तानाशाह राजा महेन्द्रक गाडी रोकिते आपन प्रतिज्ञा पूरा कएलथि । राजा चढल लैण्डरोभर गाडीउपर फेकल बम भूर करैत नीचा जानकी मन्दिरक पूर्र्वी द्वारक दक्षिणवारी देवालपर पर्खालमा फुटेल छल । बम प्रहार कएलाकवादो क्रान्तिकारी दुर्गानन्दके पुलिस नहि पकड़ऽ सकल । हजारो सुरक्षाकर्मी तैनाथ रहलाक बावजुदो नईं पकराएल क्रान्तिकारी युवक  ओहि राति  जनकपुरधामक एकटा कुटी मे रहिरहल अपनलोक हेमचन्द्र चौधरी आ भोगेन्द्र चौधरी लग रहलथि एवं प्रातभिने उमगाव पहुँचि गेलथि । एम्हर, नेपालमे बम काण्डक अनुसन्धानक नाममे ५६ गोटेके पकरिड़कऽ नीतदिन मारिपिट कऽ बम प्रहार कएने कहिकऽ सकारबाक दुष्प्रयास भऽरहल छल । निर्र्दाषसबके यातना देल जाऽरहल सुनिकऽ एक दिन अनायास जयनगरसँ जनकपुर रेल्वेद्वारा नेपाल आविकऽ ओ अपन गिरफ्तारी देने रहथि । 

सरकारद्वारा ताहि बीचमे एकटा विशेष अदालत गठन भेल छल जे दुर्गानन्द झाके बिनु सफाइक मौका देनहिं २०१९ साल भादो १९ गते मृत्युदण्डक निर्णय सुनादेलक । ताहि समय नेपालमे ब्राहृमणके मृत्यु दण्ड नई देल जाइत छल, ताहीलेल मुलुकी ऐन २०२० भादो १ गतेके संशोधन काएलगेल । विशेष अदालतक फैसला सर्वोच्च अदालतसँ अनुमोदन करओलाकबाद २०२० माघ १५ गते महानक्रान्तिकारी दुर्गानन्दझाके सुन्धारा जेलमे मध्यरातिमे मृत्युदण्ड देवाक वास्ते जहन दरबज्जा खोललगेल त,   मृत्युक लेल तैयार भऽ वैसल क्रान्तिकारीके देखिकऽ हत्यारासब चकित भऽगेल छल ।

प्राणदण्डक लेल लऽजाइत समयमे अपन अन्तिम इच्छा महान क्रान्तिकारीले एहि तरहें व्यक्त कएने रहथि –‘हमरा दीर्घ यात्रामे गेलाकबादो लोकतन्त्रके केओ नई रोकऽ सकत ।’
१९९७ साल माघ १० सँ १५ धरि शुक्रराज, धर्मभक्त, गङ्गालाल आ दशरथ चन्दके फाँसी (मृत्युदण्ड) देलगेल सवाएक वर्षकवाद १९९९ साल वैशाख १४ गते (वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि)में अमर सहिद दुर्गानन्द झाक जन्म धनुषाक जटही गाममे देवनारायण झा आ सुकुमारीदेवी झाक एक मात्र सन्तानक रूपमे भेल छल । पं. भोलानाथ झाक तीन भाइमें एक मात्र उत्तराधिकारी दुर्गानन्द झाक पीताक मृत्यु दुर्गानन्दक बाल्यकालमे भऽगेल छल । माइयक देखभालमे गामसँ ५ किलोमिटर दूर रहल क्षेत्रक उमगावस्थित दिनदयाल हाई स्कुलमे झाक शिक्षादीक्षा भेल छल । घरक एसगर सन्तान होएवाक कारणे मेट्रिकमे पढैतकाल २०१७ साल विवाह पञ्चमीक दिन काशीदेवीक सँग हूनक विवाह भेल छल । २०६० साल भादोमे वृद्ध मायक निधनकेबाद आब एसगर हूनक अर्घाड्ढनी काशीदेवी झा बाँचल छथि आ संविधानसभामा तमलोपापार्टीक सभासद् छथि ।
देशमे गणतन्त्र अएला दू साल भेलाकवादो, गणतान्त्रिक कहावऽबला सरकार आ देश दुर्गानन्द झाके लेल किछु नहि कऽसकल अछि । जाहि गणतन्त्रकलेल ओ हँसैत–हँसैत अपन जान दऽदेलथि ओ गणतन्त्रात्मक सरकार अखनधरि हूनका राष्ट्रीय शहिदधरि घोषणा नई करऽ सकल अछि ।
देशमे गणतन्त्र अएलाक दू वर्ष बितिगेलाकवादो दूर्गानन्द झा सन–सन जे देशक बेटा अपन जानके कनिको पर्वाह नई कएलथि, हूनका सभक शहादतपर सरकार आ पार्टीक नेतासब गणतन्त्रक गुलछर्रा उडावि रहल अछि । कि दुर्गानन्द झाक आत्माके दुःखीत कऽ हमसब शान्तिसँ जीवि सकव ?