Monday, April 20, 2009


अवैद्य नागरिकताः सिक्कमीकरणक प्रयास
मनोज झा मुक्ति

नेपालमे नागरीकता वितरण बहुतो वर्ष पहिने सँ चर्चित विषय बनल अछि । खास कऽ पहिल मधेशवादी दलक रुपमें जानल जाइत नेपाल सदभावना पार्टी अपन स्थापने कालसँ नागरीकताके अपन प्रमुख मुद्दाक रुपमे रखैत आएल छल । प्रजातन्त्रक आगमनकबाद २०४८ सालमे बनल सरकारक समयमे सेहो नागरीकताक प्रश्न सदन गर्मओने छल ।सदभावना पार्टीक अडान रहैक बहुतो मधेशी जनता नागरीकतासँ बञ्चित अछि, सबके नागरीकता देल जाए । सदभावना पार्टीक एहि अडानपर जनमोर्चा लगाएतक दलसब एकरा भारतक विस्तारवादी नीति कहैत विरोध करैत छल । हूनकर सबहक कहब रहैनि जे मधेशीसबके नागरीकता दऽदेलासँ नेपाल सिक्कमीकरण भऽ जायत ।

जनआन्दोलन २०६२÷०६३ सँ पहिने सेहो नागरीकता वितरणकलेल आयोग सब बनैत रहल, अपन प्रतिवेदन बुमmवैत रहल । कोनो बेर जौं नागरीकता देलोगेल त æसबै भारतीयहरुलाई नागरीकता दियो, देशमा अब विखण्डन हुन्छ” कहैत, रिट दायर कऽ मधेशमे देल जाचुकल नागरीकताके बदर सेहो कराओल गेल ।

एकटा विदेशी नागरीकके नेपालक नागरीकता देनाई वास्तवमे बहुत बडका षडयन्त्र होइत छैक, देशक हीत विपरीत काज होइत छैक । देश हीतक विपरीत काज कयनिहार ककरो नईं छाडल जएबाक चाही । ताहुमे नागरीकता सन सँवेदनशील विषयमें त सबहक नजरि रहब ओतबे जरुरी होइत छैक । मुदा जोर जोरसँ गरजनिहार सबहक मानसिकता एहिबेरक नागरीकता वितरणक समयमे देखागेल । नागरीकता वितरणक तथ्याँक अनुसार लगभग २४ लाख नागरीकता समुच्चा देशमे वितरण कायलगेल । जाहिमे लगभग ११ लाख तराई मधेशमे आ १३ लाख पहाड हिमालमें । कि वास्तवमें नागरीकता प्रप्त केने चौबिसो लाख व्यक्ति नागरीकता लेबाक हकदार रहथि ? ई एकटा पैघ प्रश्न अछि । हँ सदनमे बहुत हँगामा कायलगेल, अपनाके देशक ठिकदार कहनिहार देखावटी देशभक्त पार्टीसबद्धारा । अहु हँगामा सबहक एकहिटा कहब छल जे तराई मधेशमे सबटा भारतीय सबके नेपाली नागरीकता द कऽ देशके सिक्कमीकरण करबाक तैयारी कायल जाऽरहल अछि । मुदा कि नागरीकता वितरण कयनिहार अधिकारीमे कएटा व्यक्ति तराई या मधेशी मूलक रहथि ? आँगुरपर गनल जा सकैया । अवैद्य रुपसँ वितरण कायलगेल नागरीकता मधेशक विरोधमें बहुत पैघ षडयन्त्र अछि । मधेशमें जाऽक गैर मधेशी अधिकारीसबद्धारा जे किछु मात्रामे विदेशी सबके मोटगर पाई ल कऽ नागरीकता वितरण कायलगेल अछि से मधेशीसबके अपने धर्तीमे गुलाम बनयबाक चालि अछि । एकर दू टा पक्ष अछि, जौ नागरीकता लेने विदेशी भुख्खे मरत त उदारवादी मधेशी अपनो हिस्साक भोजन देबऽमे पाछा नई रहत, आ मानसिक एवं शारीरिक यातनाक पीडा मmेलैत रहत । जौ पाइके बलपर नागरीकता लेने कोनो धन्निक विदेशी गाममे रहत त गामक जिमदार बनिकऽ सबके फेरसँ कमैया बनालेत जेना पश्चिमी तराई मधेशमे थारु सबके पहाड सँ विस्थापित पहाडी सबद्धारा कमैया बनालेल गेल । ताएँ एहि बातपर मधेशीसब सचेत रहथि आ विदेशी सबके नागरीकता लेबऽसँ सकभर रोकलथि । मुदा तैयो पाइयक भुखल आ द्धेष भावनासँ कुटिकुटिकऽ भरल गैर मधेशी अधिकारीसबद्धारा मधेशोमे किछु नागरीकता अवैद्यरुपसँ वितरण कायलगेल ।

दोसर दिश पहाड आ हिमालमे जे जनसँख्यो सँ बेसी नागरिकता वितरण भेल ताइके विषयपर सदनमे ककरो बकार धरि नहि फुटल । कत चलिगेल ओई देशभक्त नेता सबहक देशभक्ति ? ई अहिने प्रष्ट कऽदैत अछि जे ओइ खोखला देशभक्तसबक नियति, ओसब कि चाहैत अछि, आ कत सँ सञ्चालित अछि ?

वास्तवमे अवैद्य नागरीकता वितरण क कऽ नेपालके सिक्कमीकरण करबाक प्रयाश सोंचल सममmलरुपमें शुरु भऽगेल अछि । नेपालमे लाखोके सँख्यामें तिब्बती, भुटानी आ भारतीय(दार्जिलिङ्ग) नागरीकके नागरीकता द कऽ वैद्य नागरीक बनयबाक खेल शुरु भऽगेल अछि, आ तकरा सब मधेश विरोधी मानसिकताक लोक भितरिया मोन सँ स्वागत करैत गदगद भऽ रहल अछि । एकर कारण एक्कहिटा अछि जे नागरीकता लेनिहार तिब्बती, भुटानी आ भारतीय(दार्जिलिङ्ग) लोकके मुँहकान आ प्रायःके भाषा नेपालक ओइ बेतुक्का देशभक्त नेता सबसँ मिलैत जुलैत अछि । ई सिक्कमीकरण नईं त कि अछि ? देशक सम्पूर्ण सचेत नागरीकके सोंचबाक चाही ।

No comments:

Post a Comment