Monday, May 25, 2009

सांस्कृतिक संगम


सांस्कृतिक संगम
सभसं पहिल फ़ोटो देखियौ । वामकात बैसलि व्रती महिला काठमाण्डू रहनिहारि छैथ । हुनक नाम छन्हि ज्योति महर्जन(आब झा) । ओ बरसाइत पूजि रहल छैथ अपन जेठ ननैद अर्चना झा संग ।

मैथिली भाषा, संस्कृति, संस्कारसं दूर काठमाण्डुमे पलल बढल ज्योतिके बरसाइतक बियनि आ बरक पातके महत्व आब निक जका बुझल छन्हि । भलेहि ओ कहियो एहन ककरो करैत नई देखने रहैथ । तें आब घोघ तानिक'हुनका बरसाइत पुजैत देखि ककरो छुबुद्धि लगनाई अस्वभाविक नहि । अन्तरजातीय विवाह कएलाक बाद ज्योती आब मैथिली संस्कृतिसं पुरा तरहसं परिचित भ' गेल छैथ । मिथिलाक संस्कृति एहन अछि जे सभके अपनामे समेटिक' आगु बढैत अछि रहैया ।

पतिक दीर्घायुक कामना
पतिक दीर्घायुक कामना करैत रविदिन मिथिलान्चलक महिला बरसाइत (बट सावित्री) पाबनि पुजलनि। जनकपुरमे भोरेसं राममन्दिरक आगुके बड गाछलग स्त्रीगणक भीड लागल छल । ब्रातालु महिला भोरेसं नदी , पोखरिमे जा क' स्नान क' बरक गाछतर परम्परागत रुपसं पुजा पाठ कएलनि । मिथिलान्चलमे महिला बडड श्रद्धाक संग ई पावनि मनबैत अछि । सावित्री आ सत्यवानक जीवनगाथासं ई व्रत जोडल हएबाक कारणे अहिवातक लेल महत्वपूर्ण मानल गेल अछि । वरको गाछमे जल चढाओल जाइत अछि त नवका बांस आ तारक पंखासं वरके गाछके होंकल जाइत छै । व्रतालु स्त्रीगण एहि दिन प्रात: काल नित्यकर्म क' सासुर आनल कपडा लगा साथी संगीसभ संगे मंगलगीत गबैत वडक गाछके पूजैत अछि । व्रती महिला निष्ठापुर्वक गौरी आ विषहरके पूजा क' अन्त्यमे सत्यसावित्री तथा सत्यवानक कथा सुनैत अछि । एहि व्रतक एàतिहासिक महत्व रहलाक कारणे मिथिलांचलमे ई बहुत महत्व र विशेषता रखैत अछि । मैथिल स्त्रीगण अपन गाम ठामसं कोशो दुर रहितो परम्परागत रुपसं पुजैत छैथ ।

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