Thursday, April 29, 2010

होरी बहार

बुरा नई मानो होली छ.....
रंग आ उल्लसक पर्व होरी÷फगुआ–२०६६क अवसरमे ‘होली बहार’ समिति द्वारा मात्र मनोरञ्जनकलेल तैयार कएलगेल ई चटनी प्रस्तुत अछि । किनको ठेस पहुँचाएब एकर उद्देश्य नहिं ।
राष्ट्रसँ उपर रहल गैर सरकारी(कमाउ) संस्था
१. नेपाली काँग्रेस – कमाए धोतीवला खाए टोपीवला
२. नेकपा एमाले – चोर बाजय जोर सँ
३. ए. नेकपा माओवादी – फाइनल खेलमें सुसाइट गोल
४.मजफो नेपाल(यादव) – गेल महिष(भैंसी) पानीमें
५. मजफो लोकतान्त्रिक(एन्टी यादव समूह) – लुटि लाऊ, कुटि खाऊ
६. तमलोपा(ब्राम्हणवादीके ठप्पा के कारण गैर ब्राम्हणके हालीमोहाली) – झिझिरकोना खेलमे डूबल
७. सद्भावना पार्टी(वन मैन आँडरमे चलैत) – ....के लिए आपूर्ति मन्त्रालय ही चाहिए, प्रधानमन्त्री चाहे जो बने ।
८.नेसपा(गिरी) – मधेशके नामपर राजनीति पर मधेश विरोधी गतिविधि
९.नेकपा माओवादी – देखना बाकी है, वाजुमे दम है या सिर्फ बोलीए में ?
१०. नेसपा(मण्डल) – भाँगगेल पेटमे, लोटा गुरकल खेतमे.....
११. नेसपा(तिवारी) – देखते रहिए, सारके एक्के पटका मारेगें......
१२.नेसपा(गुप्ता) – ई कोइ चोरका पार्टी नही है ।(...तो क्या डाकुओं का ?)
१३.नेपाली जनता दल – ना मेरा कोइ मञ्जिल ना मेरा कोई ठिगाना....
१४. दलित जनजाती पार्टी – हेर्नु भो, कसरी.....

पार्टी सबहक नेता जे जनताकलेल नेटा(पोंटा) बनल अछि । जनताक नाम लऽ कऽ जनताके ठकनिहार सब....पुरुष
१.गिरीजा प्र. कोइराला – पोलिटिकल पार्टीमा न्वाइज हुनु हुँदैन । सबैले मैले भनेको कुरा मान्नै पर्छ, मेरो बाउ,दाजुहरुले आर्जेको हो यो ।
२. विमलेन्द्र निधि – कस्ले भन्छ म मधेशी हो ? (सेहे त, आहाँ मधेशीके लेल त सामन्ते छियै कि ?)
३.उमाकान्त चौधरी – कोन थारु कहैत छौ जे मधेशी नई छी ?(किया त आहाँ त मधेशीए कोटापर छी ने ?)
४.माधव नेपाल – गदहा जनम छुटि गयो ।
५. झलनाथ खनाल – मेरो पनि गदहा जनम छोडाउनु पर्यो ।
६.रामचन्द्र झा – सारके हाथ पैर तोडि देवैन....
७.उपेन्द्र यादव – खदन चिरैया जकाँ अपन चालि विसैरगेल नेता ।(जिस थालीमे खाया, उसीको फोडा)
८.जे.पी. गुप्ता – समइ का इन्तजार है, अदि उपेन्दर जी जादा उडे तो....
९. विजय गच्छेदार – जाँनी हम कुर्सीको ढुँढते रहते हैं । दिया त दिया नहि तो अपने ले लिया ।
१०. शरतसिंह भण्डारी – हैन, म कसरी मधेशी भइन ?(वही तो..सबदिनसे आपके पूर्वज ने मधेशीको ठगा, आपतो वस उसीको निरन्तरता दे रहे हैं)
११.महन्त ठाकुर – किसीको जो ए लगता होगा जे हम बलिगोबना नेता हैं सो हम नहीं हैं से जानि लिजिए ।( के कहैया बलिगोवना ? अपने त महा...छी)
१२.महेन्द्र यादव – कुछ दिन और ठहरिए, सब फोरवर्डवा सबको देखादेंगें । थोडा पैसा तो कमालें तव...(मुस मोटहन त लोढा होइहन...)
१३. हृदेश त्रिपाठी – आदत से मजबुर (चुदुर बुदुरके महारथि)
१४.रामचन्द्र कुशवाहा–हम अधक्ष बननेवाले थे इसिलिए निकाला गया हमें ।(..बाप चमार, बेटा दिल्लिप कुमार)
१५.सर्वेन्द्र नाथ शुक्ल – इतिहास गवाह है और रहेगा....
१६. राजेन्द्र महतो – मै कर्म करता हुँ, फलका आशा नहि करता ।(आपको करनेका जरुरते नहिं है, फल लेनेवाले लिए तो आपके मिसेज और भतिजा त हइये है)
१७. अनिल कुमार झा – हम पदके लिए मरने वालो मेसे नही हैं ।(....वस पैसा मिलता रहे)
१८.लक्ष्मणलाल कर्ण – कहुना झण्डा भेटलै ने, वस हमर तपस्या पूर्ण भेल ।
१९.सरिता गिरी – कुछ भि करो, कैसै भि मुझे पद÷पैसा दिलवादो ।
२०.विकास तिवारी – गजेन्द्र नरायण सिंहके असली वारिश हम हैं ।(...से त है, इतना दिन तक आप कार्यालय सचिव रहें तो नहि ?)

२१. हरि चरण साह – विसनथवाके सभासद बनाके बहुत घाटा लगा ।( बेटीएके बनाके कोन पयदा हुआ है ?)
२२. रामचन्द्र राय – चौबे चला छब्बे बनने दुब्बे बनकर लौटे ।
२३. अमरेश ना. झा – काबिल माँखय तीन ठाम–पैर, हाथ आ नाक ।
२४.मातृका प्र. यादव– भगवान जातिवादसँ हिनका बँचबथुन ।
२५. किशोरी महतो – हाम्रो पाटीले राष्ट्र र राष्ट्रियताको रक्षा गर्छ ।( आज सम्म राष्ट्रियताको दर÷भाऊ कति रहेको छ ?)
२६. गणेश नेपाली – मेरा मम्पटिशन गिरीजा बाबु से है । वो अच्छा पीता(सुजाताका) साबित होते है, यामैं( बजरंग का) ?
२७. जितेन्द्र देव – दुविधामें दोनो गए, माया मिला न राम ।
२८. राम कुमार शर्मा – बेगर बैट्रीके ‘भोम्हा’ कतेक दिन बाजत ?
२९. बसन्ती झा – ....हे....हे...चौका...(लागल कि भेल ?)
बजारमे जकर चर्चा अछि.....
१. नेपाल मैथिल समाज, काठमाण्डू – कत..अछि ? ई नाम त सुनल सुनल बुझाइय ।
२. पिछडा वर्ग महासँघ – धूर..बुडि..नामे गलत छौह ।( पिछडा जातजाति महासँघ राखह ।)

साहित्यक आकाशमें विचरण करैत जकाँ प्रतीत भ रहल वरिष्ठसँ गरिष्ठ साहित्यकार लोकनि...
१. राम भरोस कापडी – राजतन्त्र हुए या प्रजातन्त्र, लोकतन्त्र या गणतन्त्र, प्रतिभाके केओ नहिं रोकय सकैय ।(प्रतिभाक विकास त कियो हिनका सँ सिखय...)
२. डा.पशुपतिनाथ झा – ...त्यो ‘परिबन्ध’ भन्ने कथा मठ्नु भा छ । हो, मसँग तेही भइराखेको छ ।....हम ओइ सार सबके किन्नहु नहि छोडबई ।
३. डा. राजेन्द्र विमल – हो, आब हम बुढ भ गेलौं ।( सर एना जुनि बजियौ, भैडम अखनो आहाँके जवाने बुझैत छथि )
४. राजेश्वर नेपाली – वरिष्ठ प्रेस स्वतन्त्रता सेनानी, हिन्दी भाषाके अभियानी, मैथिलीके अग्रणी ।( अपने आप सिफारिसपर सम्मान प्राप्त कयनिहार महारथि, अपनेके नमन अछि ।)
५. डा. गंगा अकेला – एक कितावक किछु अंश हमरा डाक्टर बनादेलक(होमियोपैथ) । लोकसब डा. माने डाकु थोरबे बुझैत छैक ?)
६.धर्मेन्द्र झा – मधेशीक गौरव ( कागकलेल वेल पाकल जकाँ)
७.धीरेन्द्र प्रेमर्षी – जौं भाषाक विकास चाहैत छि त व्यवसायिकता लाब परत ।( कतऽ..अपनेक घरमें ?)
८. मनोज झा मुक्ति – अँधेरी रातोंमे सुनसान राहो पे......(ई लडका कुछ न कुछ करेगा....?)
अन्तिममे देशक महा महिम सबके सास्टाँग दण्डवत
डा.रामवरण यादव – ...देश र जनतालाई गिरीजा बाबु र नेपाली काँग्रेसले धेरै गरेको छ ।(तपाई लाई चाहिं कति नि...महामहिम जी ?)
परमानन्द झा – कि केहन लागल हमर काज करबाक तरिका ?( कोनो आश्चर्य नहिं, मधेशीक परिभाषा नीक जकाँ भेटल अपनेक चालिमें)

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