Thursday, April 29, 2010

पम्पलेट

जलेश्वर चलें । जलेश्वर चलें ।। जलेश्वर चलें ।।।
‘छुट गए तो लुट गए’
कबतक गुलाम रहोगे ?
आप और आपके बेटों भतीजो ने मिलकर मधेश आन्दोलन किया, कई मधेशके बेटा अपना शहादत दिया । मधेशके लोग आशावादी थें कि शायद अब अधिकार मिलेगी । हमे भी अपने देशमे बराबरीका दर्जा मिलेगी, देशके सभी अंगमे हमारी भी समानरुपसे प्रतिनिधित्व होगी । क्या हमें सबकुछ मिला ? या कितना मिला ?
दोस्तों, मधेश आन्दोलन और वीर मधेशी शहीदोके बलीदानके बदले कुछ उपलब्धियां जरुर हुई जो अपनेके मधेशीका हमदर्द बतानेवाले मधेशवादी दलके कुछ नेता और बडे–बडे पार्टीके मधेशी नेता ने झपट लिया । हमने जिसे अपना हमदर्द समझा वही हमारा व्यापार करने लगा । मधेशके नामपर मधेशी नेता तो हमें लुटही रहा है, अब पहाडी नेता भी हमदर्दका खोल ओढ़े हमे बर्बाद करने पर तुला है । और यह सरकार ऐसे–ऐसे अपराधी, लुटेरोंको साथ देनेके लिए मधेशमें विषेश सुरक्षा नीति नामसे मधेशकेलिए जनविरोधी कार्यक्रम लाया है ।
विषेश सुरक्षा नीति कोई बुरा कार्यक्रम नहीं है, लेकिन सदियोंसे मधेश को अपना जमिन्दारी और मधेशी जनताको अपना गुलाम समझते आरहे उच्च पहाडिया अहंकारवाद वाले शासक मनस्थितिके लोगों ने अपना सोचे समझे चालके रुपमें मधेशमे इसे लागु किया है । और उनके मनसुबेको साकार बनानेमे हमारे हिं कुछ मधेशी भाई उनलोगोंका चमचा बने हुए हैं ।
दोस्तो, ईन प्रश्नपर जरा गौर किजिए.....
ड्ड क्या सुरक्षा नीतिमे जवरदस्ती किसीके घरमे घुसकर पीटना लिखा गया है ?
ड्ड क्या अन्यायका विरोध करने वालोंको जेलमे रखने के लिए यह नीति है ?
ड्ड क्या सुरक्षा नीतिके तहत अपने लिए बोलनेवाले अपराधी होते है ?
ड्ड क्या सिर्फ मधेशमे हिं स्थिति असमान्य हैं, जन जीवन त्रसित है पहाड़मे नही है जो मधेशको संवेदनशील कहते हुए सुरक्षा नीतिके तहत मधेशको फिरसे दबाया जा रहा है ?
नही तो क्यूँ हम चुपचाप हैं ? आपको यदि लगता है यह ठीक है तो कोइबात नही । यदि आपमे थोड़ा भी मानवता और समझ है, आप अपने आपको मनुष्य समझते है तो कदापी यह सुरक्षा नीति आपको अच्छा नहि लगेगा ।
आदरणिय मित्रों, अब वारी आगई है आपको अपने और अपने भावी सन्ततीके वारेमे सोचनेका । आइए हमारे उपर वक्रदृष्टि रखकर मधेशमे सुरक्षा नीति लागु करने वालो और उसको समर्थन करने वालोकों सबमिलकर चेतावनी दें ।
भाइयों एवं बहनों अगहन १२ गते जलेश्वर चले और मधेशको बचाएँ ।

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