Monday, August 9, 2010

महोत्तरीक यूवाके देशव्यापी अभियान


                        मनोज झा मुक्ति
    ‘अपना गामठामक विकास करबाकलेल सरकारी पाई, एन.जि.ओ. या आ.एन.जि.ओ.क आवश्यकता नहिं अछि, आवश्यकता अछि त सकारात्मक दृष्टिकोणकेँ आ अपना माटिप्रतिक आस्था एवं आत्मबलकेँ’ यैह नारा लऽ कऽ महोत्तरी जिलाक यूवा शंखनाद कएने अछि– देशके सुन्दर बनएवाक अभियानकेँ ।
    जौँ पाइयक बलपर विकास भऽ सकैत त नेपालक सभ गाम स्वर्ग भऽ गेल रहैत । नेपालक कोनहुँ स्थान विकाससँ बञ्चित  नईं रहैत । सरकार नेपालक प्रत्येक गामें प्रतिवर्ष २० सँ ३० लाख अनुदान दैत अछि, जिला विकास समितिक मादे अरबोक बजेट रहैत अछि विकासकलेल से अलग सँ । एकरा अतिरिक्त सभासद सबके क्षेत्र विकासलेल बजेट भेटैत अछि तकर बाते छोडु । तहिना समाज आ देशक विकास हेतु एन.जि.ओ. आ आ.एन.जि.ओ. मार्फत नेपालमे प्रति वर्ष खरबो रुपैया अवैत अछि ताइसँ कतऽके विकास होइत अछि, भगवाने जानथु ।
    चाहे गामक कोनो पार्टीक नेता हुए जे गामक विकासकलेल गा.वि.स.के प्रतिनिधि बनल करैत छथि या जिला विकास समितिमे पार्टीक प्रतिनिधि बनैत छथि, जँ ओसब अपना कर्तव्यप्रति कनिक्को सचेत रहितथि त नेपालक गामसब पूर्ण नहि त बहुत विकसीत भऽगेल रहैत । अपना गामकलेल या जिलाक लेल आएल बजेटमेंसँ कमीशन खाकऽ कागजपर विकासक काज गा.वि.स. सचिव आ जि.वि.स.क एल.डि.यो.सँ करौनिहार नेतेसबके एहि तरहक रवैया अछि तहन कोना भऽ सकत नेपालक विकास ? आश्चर्य त तखन लगैत अछि जखन देश विकासक लेल आएल बजेटके खएनिहार नेतासब अपनाके देश आ जनताक हितैषी आ अगुवा कहैत नईं थकैत अछि । ईमान्दारी आ सत्यपर सँ आम जनताके विश्वास उठाबऽमे नायकक भूमिकामे रहल अधिकांश कमिशनखोर नेताक कारण किछु ईमान्दार एवं नैतिकवान राजनीतिकर्मीसब अनेरे बदनाम भेल करैत अछि । ताँए जरुरी अछि आम जनतामे आत्म विश्वास जगएवाक आ सत्यपर भरोषा बढएवाक । आ एकर शुरुवात कऽ रहल अछि, महोत्तरी जिलाक किछु यूवासब ।
महोत्तरीमें अभियानमे लागल यूवाक कहब छन्हि– ‘अपना गामठामक विकास करबाकलेल सरकारी पाई, एन.जि.ओ. या आ.एन.जि.ओ.क आवश्यकता नहिं अछि, आवश्यकता अछि त सकारात्मक दृष्टिकोणकेँ आ अपना माटिप्रतिक आस्था एवं आत्मबलकेँ’ । ओसब अभियानक शुरुवात कऽ रहल छथि–वृक्षारोपणक काजसँ । जखन हुनकासबसँ जिज्ञासा राखल गेल, कि वृक्षेरोपण किया ? त हुनक कहब छन्हि–‘ गामघर या जिलामे जत्र–तत्र व्याप्त भ्रष्टाचारके एक्कहिवेर कम नहि कएल जा सकैय । कोनो गाममे जौँ कोनो विकास निर्माणक काज होइत अछि त स्थानिय नेता, कार्यकर्ता या यूवा ओहि काजमे निक जकाँ अभिरुचि लैत अछि । मुदा दुर्भाग्यक बात हूनका सबमेंसँ ९८ प्रतिशत लोकक अभिरुचिक अभिप्राय रहैत छन्हि–कमिशन लेवाक, काज चाहे कागजेपर किए नई भऽ जाय । ताँए, पहिने काज कएल जाए तकरा बाद कर्मचारी, जनता आ नेताके सचेत करबाक काज शुरु हुए ।’
अपना अभियानक शुरुवात ओसब नेपालक गाम–ठाममें वृक्षारोपण क कऽ करऽ चाहैत छथि । हुनकसबहक कहब छन्हि–‘काज ककरो देखयवाकलेल नहिं होएवाक चाही, अपना आपसँ इमान्दारिता करैत काज करैत जाउ, लोक चाहे जे कहय । जँ नीक काज करबई त दुश्मनो के ई कहैएटा पडतैक जे–‘....ओना त छौंडा बदमाश अछि, मुदा काज नीक कऽ रहल अछि ।’ एहि उद्देश्य ल कऽ हमसब जतबे सकब, सबहक सहयोगसँ नेपालक कोना–कोनामें वृक्षारोपण करब आ कराएब । ओसब अपना वृक्षारोपणक अभियानमें आम देशवासी सँ एहि तरहक अनुरोध कएल करैत छथि–‘ हमरा सबहक वृक्षारोपणक अभियानमें  जँ आँहाँ सहयोग करऽ चाहैत छी त, एकटा बाँस दऽ दिय नहिं त एकटा कोनो फूलक या फलक गाछ दऽ दिय । जँ से नहि त एकदिन आबिकए पानि पटा दिय, नहिं त सप्ताहमे आधा घण्टा आबिकऽ वृक्षारोपण स्थलमें बैसि जाऊ । जँ आँहाँलग समयक आभाव अछि, आँहाँ कर्मचारी छी त अपना गाम गेल वेरमे अपना खेतमे या दरबज्जापर एहि अभियानक नामपर एकटा अपना नीक लागऽबला वृक्ष लगालिय, आ नहिं त जँ आहाँके ई अभियान नीक लगैय त कम स कम हमरा अभियानी मीत्रके हौसला बढादिय । हमर स्वार्थ याह अछि जे केओ कतौ गाछ–वृक्ष लगाओत या लगौने हायत त ओकर आक्सिजन हमहुँ लेब आ सबकियो लेत, बटोहीके रौदमे छाहरि भेटतैक एवं बहुतो गरीबकेँ घरक आँचकलेल ओकर पात काज औतैक । ताएँ सब गाम–शहरकेँ फूल आ वृक्षसँ सजाबी, जतऽ किछुदेर कियो वैसिकऽ स्वच्छ हावा लऽ सकय ।’
तहिना ओ सब कहैत छथि जे जतेक नेताके देखू सब देशे विकासके बात करत । आर्मी, पुलिस, कर्मचारी देशक या कहु माटिक सपथ खाइत रहत । पत्रकार या बुद्धिजीवि दिन–राति देशक उन्नतिक गप्प करैत नईं थाकत । जे अपनाके जनता कहैत छथि ओ सब दिन–राति नेतासबके गारि पढैत नहिं थकैत छथि जे नेतासब देशके बेच देलक । एकर मतलब जे गारि पढनिहारक भीतर सेहो देश या कहु माटिप्रतिक सिनेह छन्हि ताईमें दू मत नहि । एहि बातक विश्लेषण करैत अभियानी यूवा सब  सम्पूर्ण नेपाली सँ एहि तरहें अभियानमे जुटवाक आग्रह करवाक सोंच बनैने छथि–‘सबकियो अपन काज करैत अपना माटिकलेल किछु कऽ सकैत छी । जौँ आहाँ किसान छी, सबदिन अपना खेतमे काज करु आ ४÷५ दिनमें एक घण्टाकलेल कोनो दोसर चौरी÷बाधमे टहलि जाऊ आ ककरो खेतक लगाओल बालीमे कोनो प्रकारक रोग या गड़बड़ी देखाइत अछि त सम्बन्धित किसानकेँ सलाह दऽ दियौक । जौँ आँहाँ शिक्षित छी आ अपना कोनो काजमे लागल छी या कर्मचारी छी त अपना ड्यूटीक अतिरिक्त प्रतिदिन÷दूदिनक एक घण्टा नियमित रुपसँ ओतुक्का बच्चाके पढ़ा देल करियौ । एहिं तरहें अपन काजके हर्जा नहिं करैत, अपन नियमित जेब खर्चमे कटौति ककऽ अपना धर्तीकलेल बहुत किछु कऽ सकैत छी । जँ हमसब एहि तरहक काज करबैक त विकासक नामपर पाइ हजम करऽबला सबके आँखिमे अवश्य लाज लगतैक आ एकदिन हमरो धर्ती हँसबेटा करतैक ।’
 महोत्तरीक यूवाक अभियानक आहाँके नीक लगैय, जौं अहुँ एहि अभियानक सहयात्री बनऽ चाहैतछी त जुटि जाऊ आइए सँ आ अहुँ शंकनाद कऽ दिय अपना गामे वृक्षारोपणक अभियानकेँ । 

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