Monday, May 17, 2021

मारिपीटके राजनीतिकहियाधरि ?


–मनोज झामुक्ति

एकदिस संसारक देशसब चानपर वस्ती वैसावऽके जोगारमे लागल अछि । आमजनताके मानवअधिकारप्रति देशसब संवेदनशील अछि । आमलोकके समर्थन हासिल करैत विपक्षके परास्त करवाकलेल नव–नव कार्यक्रम राजनीतिकदलसब लएवामे दिनरातिलगौने अछि । त दोसर दिस नेपालमे अपन सत्ता टिकावऽलेल, वर्चश्व बढावऽलेल आ अपनविरोधीक आवाजके चुप्प कराबऽलेल नंगई, दवंगई देखायवसन निकृष्टकाज एखनोधरि समाप्तनई भेल अछि । मारिपीट या दवंगईयक सहारे कहियाधरि राजनीतिक गाडी खिचाइत रहत ? प्रजातन्त्र या गणतन्त्रकलेल बहुत पैघ समस्या आ अपनाके प्रजातान्त्रिक कहनिहार सबहक चरित्रपर प्रश्नचिन्ह ठाढ करैत अछि ।

किछुए दिनपहिने पर्सा जिल्लामे भेल मुकेश चौरसियाक हत्या आ महोत्तरीक मटिहानीमे नेकपाक नेता विजयकुमार चौधरी एवम् मेयर हरी प्रसाद मण्डल पक्षक बीचमे एक देसरपरभेल आक्रमण हमरासबहक समाजक राजनीतिके सहजहिं वर्णन करैत अछि । ई दुनू घटना अपना देशक राजनीतिक चरित्रक प्रतिनिधि घटना मात्र अछि, देशक हरेक जिल्ला, पालिका, वार्ड आ गाम–टोलमे रहल राजनीतिकर्मीमे एहनमानसिकता घर बनौने बैसल अछि ।

पार्टी एकिकरण भेलाकवाद दूटा गुटक वर्चस्वताक लडाईमे जान गुमौने मुकेश चौरसियासन हाल आन बहुतोठाम नईं होएत से कहव कठीन अछि । 

  मारिपीटक कारण की ?

ओना त राजनीतिक दल सबहक अपन अपन सिद्धान्त आ विचार भेल करैत अछि । मुदा, नेपालसन देश जतऽ आम जनता मात्र आ मात्र अपन व्यक्तिगत स्वार्थपूर्तिकलेल कोनो ने कोनो पार्टीक समर्थक या कोनो नेताके अनुयायी भेल देखवैत अछि एवम् केहनो अपराधिक काज कएलाक बावजुद अपना समर्थककेँ सहयोग करवाक काजके राजनीतिक धर्म निर्वाह करवाक मान्यता घर बनौने अछि, ओतऽ कोन राजनीतिक सिद्धान्तके राजनीति भऽ रहल अछि से आमलोकसँ लऽकऽ राजनीति कएनिहार सबके नीकजकाँ बुझल अछि ।

अपन गुटक नेताके वर्चश्व बढएवाकलेल, अपन पक्षक नेताके विरोधीके शान्त करवाकलेल, अपना पक्षके अपराध नुकएवाकलेल, विरोधीके नीचा देखएवाकलेल मारिपीट भेल करैत अछि आ ओकरा राजनीतिक चादर ओढादेल जाइत अछि ।

जनताक मतसँ जितल प्रतिनिधि अपन कार्यकालधरि अपनाके सेवकके बदलामे राजा बुझवाक, अपन कमजोरीके विरोध कएनिहारकेँ गुन्डा लगाकऽ पीटपाटिकऽ शान्त करवाक जे मानसिकता देशक राजनीतिकर्मीमे बढल अछि, मारिपीटके संस्कृतिके आओर बढावा भेटिरहल अछि ।

जनताके भयत्रासमे रखवाक आ अपन मनमानी करैत रहवाक मारिपीटके प्रमुख कारण देखलगेल अछि ।

  मारिपीटके राजनीतिके प्रश्रय केना भेटिरहल अछि ?

गणतन्त्रमे जतऽ विचारके राजनीति होएवाक चाही, एकटा विचारसँ सहमत लोक एकठाम या कहु एकटा पार्टीमे रहव सामान्य मान्यता अछि । मुदा, नेपाल आ ताहुमे मधेशमे विचारसँ बेसी एक्कही जाति, वडका जाति–छोटका जाति, अपन टोल–दोसर टोल, धन्नीक–गरीबक नारापर राजनीति भऽरहल सत्यके केओ अस्वीकार नई कऽसकैत छी ।

अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमासके कोनो जाति या कोनो पार्टी नई होइत छैक । लेकिन जाइ देशमे÷जाइ प्रदेशमे अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमासमे अपन पार्टीक सदस्य नजर अवैत होइ, ओतऽ विचारके राजनीति हुकुर–हुकुर करवे करतै । अपना पार्टीक सदस्यता लेने अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमास जँ पकरा जाइत छैक त पार्टी आ पार्टीक भातृ संगठनद्वारा प्रेस विज्ञप्ति निकालिकऽ सरकार या विपक्षीके गरियाविकऽ संरक्षण प्रदान करब सन–सन काज मारिपीटक राजनीतिके समाप्त करऽसँबेसी प्रश्रय दऽरहल अछि ।

अपन पार्टीक सदस्य या समर्थकके बचाउमे धर्ना÷प्रदर्शनसन काज आओर राजनीतिके शर्मसार कऽरहल अछि । जतऽ अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमासके पक्षमे प्रेस विज्ञप्ति, धर्ना, प्रदर्शन आ दवाव रैली निकालल जाइत होई, ओतऽ अपराधक राजनीतिके प्रश्रय भेटतैक कि नहिं ? 

राजनीतिक दलमे आवद्ध नेतासब मारिपीटके राजनीतिके प्रश्रय दऽरहल अछि, ताइमे कोनो दू मत नहिं । जाधरि अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमासमे राजनैतिक दलक नेतासब समाजक कलंककेरुपमे देखवाक शुरु नई करतैक, ताधरि मारिपीटक राजनीतिके अन्त्येष्ठी होएव कठीन छै । 

देशक कानूनके जाधरि स्वतन्त्र नई छोडल जएतै, अनावश्यक राजनैतिक दवावके राजनीति बन्द नई होएतै अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमासके मनोवल बढिते जएतै आ मारिपीटक राजनीति दिनानुदिन बढिते जएतै ।

प्रशासनके ढुलमुल रवैया, ककरो प्रतिके सहानुभूति आ आक्रोशक कारण सेहो देशमे मारिपीटक राजनीतिके मलजल दैत आएल अछि । अपन पद बँचयवाक, बढुआ आ पारितोषिक पएवाक आश या लोभक कारणे जे प्रशासन आ सुरक्षा निकाय ढुलमुल नीति बनौने अछि, तकरा कारण सेहो वास्तविक अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमासके मनोवल बढिरहल अछि आ मारिपीटक राजनीति समाप्त होयवाक बदलामे दिनानुदिन फुलाएल जाऽरहल अछि ।

  कोना हटत ई मारिपीटक राजनीति ?

गणतान्त्रिक देशमे मतपत्रके सबसँ पैघ महत्व रहैत अछि । गणतन्त्रके जनताके शासन सेहो कहल जाइत अछि, जतऽ जनतासँ चुनल प्रतिनिधि शासन करैत अछि । मुदा, जतऽ मतपत्र जातिपाति, पाई, दारु, अपन गउँआ–दोसर गउँआमे ओझराएल रहत, ताधरि समाजमे परिवर्तन नई भऽसकैय । मत पएवाकलेल राजनीतिकर्मी कतवो नीच काज करवाक चलन देशमे विद्यमान अछि । जाऽधरि अपराधी, चोर, भ्रष्ट, दमनकारी, बदमासके खराब नै मानल जएतै, ताधरि मारिपीटक राजनीति चलैत रहतै । जतऽके अधिकांश जनता व्यक्तिगत स्वार्थमे लीन रहतै, ओतुक्का नेता अपन स्वार्थक पूर्ति अपराधी गतिविधिसँ करिते रहतै । जाधरि राजनीतिक दलक सिद्धान्त अनुरुप राजनीतिक दलक सदस्यसबहक आचरण नई होएतै, मारिपीटक राजनीतिके गाडी फूल स्पीडमे दौडिते रहतै ।

अतः अपनाके सजग आ वास्तविकरुपमे अहिंसाके समर्थक कहनिहार लोक, आम जनतामे जनजागरण नई करौतै, अपन व्यवहारके आत्मसात नई करतै ताधरि सबकियो अहिंसा–अहिंसा जपैत रहतै आ समाज सब तरहें दूर्गतीसँ भरैत जएतै । जानकी सबके समयमे सदबुद्धी देथुन । नीकके नीक आ खराबके खराब कहवाक सामथ्र्य सबमे आवैक ।


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