Saturday, October 10, 2020

अपन टेटर कहिया देखब ?


 अपन टेटर कहिया देखब ?

                     — मनोज झा मुक्ति

    अखुनक परिवेशमे ककरोसँ पुछियौक देशक अवस्था केहन अछि ? त, कहता कि कहू सभ ठाम भ्रष्टाचारे भ्रष्टाचार व्याप्त अछि । देशक नेता भ्रष्ट, कर्मचारी तन्त्र भ्रष्ट, पत्रकारिता जगत भ्रष्ट, व्यापारी भ्रष्ट...आर किदन किदन...सभचीज भ्रष्टे भ्रष्ट, तहन देशक स्थितिके कि कहबैक...।

    देशक स्थिति निश्चितरुपेण नीक त नहिंए अछि, मुदा एकर दोषी के ? सभ जौं भ्रष्टाचारिए अछि त नीक व्यक्ति केओ नहिं ? आ देशक जनता कि दूधक धोएल अछि ? सबकेँ एकवेर अपना छातीपर हाथ राखिकऽ सोंचहिटा पड़त । आखिर किया देशक हालति एहि तरहें दिनानुदिन खसकैत जाऽरहल अछि ?

     देशमें सब तरहक लोक हाएव कोनो आश्चर्यक गप्प नहिं । सबहक कहब ई छन्हि जे सभक्षेत्रमे भ्रष्टाचारीए लोकक चलाचल्ती छैक । अईसँ असहमत बहुत कम्मेगोटे हएता । मुदा यहो सत्ये छैक जे सत्यक बाटपर धिरे—धिरे आगा ससरैत लोक सेहो अई देशमे अछि । हँ, सत्यवादी धारमे लागल खाँटी राष्ट्रवादी सभक सँख्या बहुत कम अछि आ दिनानुदिन ओहि सँख्यामे ह्रास होइत जाऽरहल अछि । तकर कारण कि ?

     जौं स्पष्टरुपसँ कहल जाए त देशक एहि परिस्थितिक जिम्मेवार आन केओ नहिं, हमहि आँहाँ छी । हमही आँहाँ देशक नेताके, व्यापारी आ कर्मचारीकेँ भ्रष्टाचारी बनावि रहल छियैक ।

      हम आँहाँ एकटा नेताके भ्रष्टाचार करबालेल विवश कऽ दैत छियैक । जौं गाममे एकटा कोनो नेता साइकलपर चढिकऽ अवैत अछि या पैदल अवैत अछि त ओकरा देखबाकले कोना जनता नहिं जाइत छियैक । एतवे नहिं ओई नेताके अपना दरबज्जापर बैसऽदेवमें सेहो हमसब अपनाआपके हीन महशुस करैत छी । आ हमरे आँहाँक गाममे जौं एकटा नेता महँग गाड़ीमे चढिकऽ अवैत अछि त ओकरा पाछा या कहु स्वागत करबाकलेल माइए पुते दौड़ैत छियैक, ओकरा अपना दरबज्जापर बैसबऽमे हमसब अपनाके गर्वान्वित भेल अनुभूति करैत छी । चुनावक समयमे कतबो सकारात्मक साेंंचवला नेता किएक नहिं हुअए ओकरा भोंट देवाक बदलामें हमसब मतपत्रमे अपन जातिक उम्मेदवारके चिन्हमे मोहर लगवैत छी । ओतवे नहिं अपन मतक महत्वके बुझितो हमसब अपना मतके पाई लऽ कऽ बेचि दैत छियैक जकर कारणसँ जकरालग अपन जातिक जनसँख्या वेसी अछि आ वेसी पाई अछि वएह नेता चुनाव जितैत अछि । कि हमर आँहाँक एहि तरहक व्यवहार एकटा नेताकेँ भ्रष्ट बनवाकलेल विवश नहिं करैत छैक । जौं जातिक नामपर केओ जितैत अछि त ओ अपना जातिक वाहेक आन जनताके वारेमे किया सोंचत ? आ अपना जातिकलेल सेहो किछु नहिं कऽसकैया, कियाक त ओ ई नीक जकाँ बुझने रर्हैत अछि जे अपना जातिकलेल हम काज नहिंयो करब तखनो हमर जाति हमरा भोंट देबेटा करत । आ ओ जे पजेरोबला नेता आ पाईबला नेताक तुलनामें अपनाके निरीह बुझैत अछि, ओहो हमरा आँहाँक सामिप्यता पएवाकलेल आ चुनाव जीतवाकलेल पाईएके अपना जीवनक सभसँ पैघ लक्ष्य बुझि ‘एनि हाउ, पाई कमाऊ’ के नीति अवलम्वन कऽलैत अछि । आ जखन ओ पाइएक बलपर हमरआँहाँक भोट लेत त किया  हमरा आँहाँक विकासकलेल ओ सोंचत ? 

      तहिना देशक कर्मचारिके हमही आँहाँसब अपन काज जल्दीसँ जल्दी करेबाकलेल या कानूनन नहिंयो होबऽवला काज गैरकानूनन रुपसँ करेबाकलेल घुस देल करैत छियैक आ एहिं तरहें एकटा कर्मचारीकेँ जवरदस्ती हमसब भ्रष्टाचारी बना दैत छियैक । ओनो कर्मचारीयो खासकऽ एकटा पुलिसमे जेबाकलेल हाकिम एकलाख टका लेल करैत छैक, हाकिमके डाइरेक्टर बनेवाकलेल मन्त्रीद्वारा लाखो रुपैया घूस लेल जाइत छैक । जहन ओ कर्ज पैंच  लऽ कऽ बहाल भेल रहैत छैक त कोनो बहन्ने कमेबेटा करतैक ।

     एकटा व्यापारीकेँ काला बाजÞारी करबामे सेहो हमसब अपने बहुत बेसी दोषी छी । हमसब बुझितो रहैत छि तइयो ओकर विरोधमे बजबाक हिम्मत नई करैत छियैक ? हमरा आँहाँलेल के बाजि देत ? ककरो लग ओतेक फुरसति नहिं छैक ।

     हमसब सबके भ्रष्टाचारी त कहैत छियैक, मुदा अपन टेटर नहिं देखैत छी । सरकार अपन गाम अपने बनाबु कहिकऽ प्रत्येक गाममे १५ सँ ३० लाखधरि रुपैया प्रतिवर्ष देल करैत अछि । गामक विकास कतेक भेल छैक, विशेषकऽ मधेशमे से ककरोसँ छुपल नहिं अछि । सभ पार्टीक प्रतिनिधिसब अपन बपौटी(पैतृक) सम्पति बुझि खुलेआम लुटैत अछि आ हम आँहाँ मौन भऽ सबकिछु देखैत रहैछी । जौं कियो व्यक्ति ओइ काजक विरोध करैत छैक त हमहि आँहा केओ पार्टीक नामपर, केओ जातिक नामपर ओहन भ्रष्टाचारीके दूधक धोएल बनाऽदैत छियैक । ओहन भ्रष्टाचारीकलेल पार्टीयोसब अपन प्रतिष्ठाधरि दाओपर लगा दैत अछि ओकरा बँचवऽमें । एकरा अरिक्त जे किछु कोनो गामठाममे जौं छोटछीन विकासक काज होइत अछि त ओकरा विनाश करबामें हमसब बहादुरी बुझैत छी । अपना घरक अगााक सडकपर राखलगेल ग्राभेलक पाथर अपना घरमे घुसियाबऽमे त हमरा सबके जोरा सम्भवतः कतौ नहिं भेटत । 

     एतेक धरि कि सरकार विद्यालयसबके व्यवस्थित करबाकलेल अपनेगामक स्थानिय व्यक्तिक अनुसारे चलेवाकलेल विद्यालय व्यवस्थापन समीतिके निर्माण योजना लाबि प्रायः सभ विद्यालयके समुदायमे हस्तान्तरण केलक, मुदा विद्यालय व्यवस्थापन समिति अखन मात्र   पाई कमेबाक एकटा स्थलक रुपमें परिणत भऽगेल अछि । चाहे विद्यालयमे शिक्षकक रखबामे होय या शिक्षककेँ सरुवामें हुए, विशेष कऽ मधेशक प्रत्येक विद्यालय व्यवस्थापन समीतिसभ एहि तरहक व्यापारमें लागिगेल अछि । विद्यालयक पढाई केहन छैक, शिक्षक विद्यालयमें अवैत अछि कि नहिं, विधार्थी अवैत अछि कि नहिं ताहिसँ व्यवस्थापन समीतिके कोनो मतलव नई रहल देखल जाऽरहल अछि ।

     एहि तरहें देशक विकास कोना होएत ? जाधरि हमसब अपने नहिं सुधरब त आन के सुधारत ? जौं हमसभ एकटा सत्य बाटपर चलनिहार, देशभक्त आ जनताक समस्याके अपन बुझऽबला नेताक बदलामे तामझामबला पँजेरो पर एनिहार नेताके निरुत्साही नहिं करब त दिनानुदिन भ्रष्टाचारक दलदलमें हमसब धँसैत जाएब । सत्यक पक्षधरके मनोबल बढेनाई जरुरी आ सभक कर्तव्य भऽगेल अछि । आन कियो किया हमरा आँहाँक सम्बन्धमे सोंचि देत ? ताएँ आनके दोष देबासँ पहिने एकवेर हमसभ अपने टेटर देखब कि ?

  


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